वातावरण और कैंसर

कैंसर बहुत ही घातक बीमारी है, समय पर इसका निदान न हो तो यह जानलेवा हो सकती है। मानवीय गतिविधियों ने हवा, पानी, परिवेश, मिट्टी-सभी को प्रदूषित कर दिया है। ऐसे में शरीर को पूरी तरह स्वस्थ रखना एक कठिन पहेली बनता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में बच्चों के एक तिहाई से अधिक रोग बिगड़ते पर्यावरण की देन हैं, इनमें कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी भी है। कारखानों से निकलने वाले प्रदूषण की चपेट में आने वालों को कैंसर का खतरा अधिक होता है। यानी आपके आसपास का माहौल प्रदूषित हो गया है और इसके कारण कैंसर का खतरा बढ़ रहा है। Image Source - Getty Images
कैंसर का खतरा अधिक क्यों है?

कार्सिनोजेन्‍स कैंसर को फैलाने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। यही कार्सिनोजेन्‍स केमिकल के साथ हवा में मिल जाते हैं। ये बहुत सूक्ष्‍म होते हैं और लगभग हर जगह मौजूद होते हैं। अगर आपका कार्यालय औद्योगिक क्षेत्र में है तो इनके संपर्क में आने की संभावना अधिक रहती है। ये इतने सूक्ष्‍म होते हैं कि कैंसर के टेस्‍ट के दौरान भी नहीं दिखाई पड़ते। Image Source - Getty Images
जहरीले धातु

प्रदूषण में जहरीले धातु पाये जाते हैं और ये कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं। देखा गया है कि जो फैक्‍ट्री के आस-पास घरों में रहते हैं, उन्‍हें सिलिकॉन और अभ्रक की वजह से कैंसर के साथ त्‍वचा संबन्‍धी रोग और खून में जहर फैल जाने की वजह से जान तक गंवाना पड़ जाता है। यह सब जहरीले धातुओं की वजह से होता है जो हवा के माध्‍यम से शरीर में प्रवेश करता है। Image Source - Getty Images
रेडिएशन

रेडिएशन किसी भी प्रकार का हो वह कैंसर के लिए जिम्‍मेदार है। यहां तक की सूर्य से निकलने वाला अल्‍ट्रावॉयलेट रेडियेशन भी त्‍वचा कैंसर का कारण बनता है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार पराबैंगनी किरणों के अधिक एक्सपोजर से त्वचा पर दो प्रकार के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है - वो हैं मेलिग्नेंट मेलानोमा और स्किन कार्सिनोमा। इसके अलावा, एक्‍स-रे, उपचार के दौरान प्रयोग की जाने वाला रेडियेशन भी कैंसर को बढ़ाता है। Image Source - Getty Images
डीजल का धुआं

डीजल का धुआं कार्सिनोजेन्‍स को वातावरण में भी फैलाने का काम करता है। डीजल की फैक्‍ट्री और डीजल की गाडि़यों से निकलने वाला धुआं भी लंग कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है। यह धुआं ट्रकों से, ट्रेन के इंजनों से, कार से, बस से, जेनेरेटर आदि से निकलता है। इनके कारण सामान्‍य बस्तियां भी प्रभावित होती हैं। जिन रास्‍तों पर ट्रैफिक अधिक होता है उन जगहों पर इनका खतरा भी अधिक रहता है। Image Source - Getty Images
रेडॉन

यह एक प्रकार का रंगहीन और गंधहीन रेडियोधर्मी गैस है जो‍ मिट्टी और चट्टानों में पायी जाती है। जो घर अधिक ऊंचाई पर होते हैं और जो घर जमीन के नीचे बने होते हैं उन स्‍थानों पर रेडॉन का खतरा अधिक रहता है। यह भूमिगत घरों में अधिक खतरनाक हो जाता है और उनमें रहने वाले लोगों को इसके कारण फेफड़े के कैंसर के होने का खतरा अधिक हो जाता है। Image Source - Getty Images
हर कश में मौत है!

धूम्रपान कैंसर के लिए जिम्‍मेदार प्रमुख कारणों में से एक है, चाहे वह प्रत्‍यक्ष हो या अप्रत्‍यक्ष। अप्रत्‍यक्ष धूम्रपान तो प्रत्‍यक्ष धूम्रपान से अधिक खतरनाक है। सिगरेट में निकोटीन के अलावा 4000 दूसरे खतरनाक केमिकल होते हैं, इसमें से लगभग 60 कार्सिनोजेन्‍स होते हैं। अगर आप धूम्रपान घर के अंदर, कार के अंदर, काम करने वाली जगह पर करते हैं तो कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। Image Source - Getty Images
प्रयोग किये जाने वाले उत्पाद

आप जो भी उत्‍पाद प्रयोग करते हैं वे इतने खतरनाक होते हैं कि इनके कारण कैंसर हो सकता है। बात केवल मेकअप संबंधित उत्पादों के लिए ही लागू नहीं होती बल्कि टूथपेस्ट, परफ्यूम्स, बालों के जेल, क्रीम, लोशन आदि के लिए भी है जिनको आप रोजाना प्रयोग करते हैं। सोडियम लॉरेल सल्फ़ेट यह वास्तव में झाग बनाने वाला कारक है तथा इसे कैंसर पैदा करने वाला कारक भी कहा गया है, यह शेविंग क्रीम में अधिक होता है, मरकरी (पारा) यह लिपिस्टिक में होता है, शैंपू में कोल टार होता है, पैराबेन का प्रयोग सभी सौंदर्य उत्‍पादों में होता है। Image Source - Getty Images