पुरुषों के लिए जानलेवा हैं ये आठ बीमारियां
कई बीमारियां ऐसी हैं जो पुरुषों के लिए खतरनाक हैं और ये जानलेवा भी हो सकती हैं, कैंसर, कार्डियोवस्कुलर बीमारियां, डायबिटीज आदि प्रमुख हैं, इनसे बचाव करने की जरूरत है।

कई बीमारियां ऐसी हैं जो पुरुषों के लिए खतरनाक हैं और ये जानलेवा भी हो सकती हैं। आमतौर पर पुरुषों को लगता है कि वे महिलाओं से अधिक स्वस्थ होते हैं और महिलाओं की तुलना में उनको बीमारियां कम होती हैं। जबकि सच्चाई यह है कि मृत्यु के प्रमुख 15 कारणों में से 14 में पुरुष महिलाओं से आगे होते हैं। केवल अल्जाइमर ही ऐसी बीमारी है जिससे मरने वाली महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक होती है। वह भी इसलिए क्योंकि अधिकतर पुरुष उस उम्र तक पहुंच ही नहीं पाते, जिसमें अल्जाइमर की चपेट में आने की संभावना अधिक होती है। औसतन महिला पुरुष की तुलना में 6 साल अधिक जीती है, फिर भी पुरुषों को अधिक बीमारियां होती हैं। दस प्रमुख बीमारियां हैं जो पुरुषों के लिए जानलेवा हैं।
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दिल की बीमारियां महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक होती हैं। हृदय रोग और हार्ट स्ट्रोक पुरुषों में मृत्यु के पहले और दूसरे सबसे प्रमुख कारणों में से एक हैं। कार्डियोवस्क्युलर बीमारियों में प्लेक हृदय की धमनियों को ब्लॉक कर देता है, जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है। पांच में से एक पुरुष इस बीमारी से मरता है। नेशनल हार्ट एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार, 50 वर्ष की उम्र पार कर चुके पुरुषों को हृदय रोग होने का खतरा 40 फीसदी तक बढ़ जाता है।
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पुरुषों को प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना अधिक रहती है। प्रोस्टेट पुरुषों के प्रजनन तंत्र का एक इंडोक्राइन ग्रंथि है, जो ब्लैडर के ठीक नीचे और रेक्टम के ठीक सामने स्थित होता है। प्रोस्टेट कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जो केवल पुरुषों को प्रभावित करती है। इसमें कैंसर कोशिकाएं प्रोस्टेट में विकसित होती हैं। 50 की उम्र के बाद कैंसर के इस प्रकार के होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। मुंह का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर आदि कैंसर भी पुरुषों को होते हैं।
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डायबिटीज महिलाओं और पुरुषों को समान रूप से प्रभावित करता है, इसके कारण पुरुषों की जान भी जा सकती है। डायबिटीज मेटाबॉलिक बीमारियों का एक समूह है जिसमें खून में शुगर की मात्रा की ज्यादा हो जाती है। यह एक मेटाबॉलिक बीमारी है। डायबिटीज होने के दो कारणों में पैंक्रियाज द्वारा जरुरी मात्रा में इंसुलिन न बना पाना या शरीर में मौजूद कोशिकायें इंसुलिन का उपयोग करने में असमर्थ हो जाते हैं।
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जागरुकता बढ़ने के साथ इसके मरीजों की संख्या कम हो रही है, लेकिन इसकी चपेट में आने से मौत हो सकती है। एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनो डिफेशिएंसी वायरस और एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यूनो डिफेशिएंसी सिंड्रोम एक ही प्रकार के संक्रमण की दो अलग चरण हैं, जिसमें शुरुआती चरण को एचआईवी और बाद के चरण को एड्स कहा जाता है। यह संक्रमण ह्यूमन इम्यूनो डिफेसिएंसी वायरस के द्वारा शरीर में प्रवेश करने के कारण होता है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है।
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सीओपीडी यानी क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मुनरी डिजीजेज ऐसी बीमारी है जो पुरुषों के लिए जानलेवा है। एंफीसीमा (Emphysema) और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस (chronic bronchitis) इसके दो प्रकार हैं। धूम्रपान इस बीमारी की प्रमुख वजह है। धूम्रपान के जरिये विषाक्त पदार्थ पुरुषों के फेफड़ों को प्रभावित करते हैं, इसके कारण फेफड़े की कोशिकायें सही तरीके से काम नहीं कर पाती हैं और रक्त में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इससे सांस लेने में समस्या होती है और व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। यह फेफड़ों में संक्रमण भी फैलाता है।
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यह एक प्रकार की संक्रमित बीमारी है जिससे कारण पुरुषों की मौत भी हो सकती है। ट्यूबर क्यूलोसिस एक व्यापक पैमाने पर फैली हुई बीमारी है, मायकोबैक्टीरिया के संक्रमण से यह बीमारी होती है। यह खासतौर पर फेफड़ों की बीमारी है परंतु शरीर के अन्य हिस्सों में भी धीरे-धीरे फैल जाती है। इस बीमारी के इंफेक्शन हवा के द्वारा मरीजों के खांसी या छींकने से फैलते हैं। करीब दस में से एक संक्रमण इस बीमारी में तब्दील होता है और अगर उपचार न किया जाए तो टीबी के मरीजों की कुल संख्या में से 50 प्रतिशत से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार भारत में टीबी सबसे बड़ी महामारी है। यहां करीब 40 प्रतिशत लोग टीबी बैक्टीरिया से संक्रमित हैं।
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अवसाद एक जानलेवा बीमारी है, इसे हल्के में न लें। अवसाद केवल मूड खराब होना या दुखी होना नहीं है। यह एक भावनात्मक गड़बड़ी है, जो व्यक्ति के संपूर्ण शरीर और स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। इसमें मस्तिष्क के रसायन और तनाव पैदा करने वाले रसायन में संतुलन बिगड़ जाता है। अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि अवसाद के कारण हृदय रोगों की आशंका बढ़ जाती है।
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किडनी में संक्रमण भी पुरुषों के लिए जानलेवा हो सकता है। किडनी यानी गुर्दा शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, इसका काम किसी कंप्यूटर की तरह अत्यंत जटिल है। गुर्दा हमारे शरीर में सिर्फ मूत्र बनाने का ही काम नहीं करता, वरन इसके अन्य कार्य भी हैं, जैसे - खून का शुद्धिकरण, शरीर में पानी का संतुलन, अम्ल और क्षार का संतुलन, खून के दबाव पर नियंत्रण, रक्त कणों के उत्पादन में सहयोग और हड्डियों को मजबूत बनाना, आदि। लेकिन भारतीय स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की मानें तो आम तौर पर बरती जाने वाली लापरवाही के कारण भारत में कैंसर और दिल की बीमारी के बाद सर्वाधिक लोगों की मौत किडनी की बीमारी से होती है।
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