ये लक्षण बताते हैं कि लीवर को नुकसान पंहुचा रही है शराब
बॉडी में दूसरा सबसे बड़ा अंग माना जाने वाला अंग लीवर है। बदलते खान-पान के स्टाइल ने फैटी लीवर रोग के मरीज़ों में वृद्धि कर दी है। इसमें सबसे प्रमुख शराब है, जिसकी वजह से लीवर लगातार क्षतिग्रस्त होता जाता है।शराब से संबद्धित लीवर के रोग के बारे में इस

आजकल लिवर से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसा शराब और बिगड़ते लाइफस्टाइल की वजह से हो रहा है। शराब के सेवन से आंतों के जीवाणु लीवर में चले जाते हैं, जिससे लीवर संबंधित बीमारियां होती हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, शराब आंतों में प्राकृतिक एंटीबायोटिक के निर्माण को कम करते हैं और लीवर में जीवाणुओं के विकास में सहायता पहुंचाते हैं, जिससे लीवर की बीमारियां होती हैं।
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एल्कोहलिक फैटी लीवर शराब से संबंधित लीवर की शुरुआती बीमारी है। अधिक मात्रा में शराब का सेवन करने के कुछ घंटे के अंदर ही फैटी लीवर की स्थिति बन सकती है। अधिक का मतलब एक घंटे में 150 मिलीलीटर या पूरे दिन में 160 मिलीलीटर से ज्यादा शराब पीना। वैसे तो लीवर में फैट होना आम बात है, लेकिन पांच से 10 प्रतिशत ज्यादा फैट होना बीमारी कहलाता है।फैटी लीवर की प्रमुख वजह शराब का अत्यधिक सेवन है।
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एल्कोहलिक हेपेटाइटिस 35 करोड़ से अधिक लोगों में क्रॉनिक (लंबे समय तक) लिवर संक्रमण होता है, जिसकी मुख्य वजह शराब है। शराब के लगातार और लम्बे समय से सेवन के कारण हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारियां पनप सकती हैं। और हां, नियमित रूप से पीने पर हेपेटाइटिस के मामलों में वृद्घि होती है यह आपको विशेषकर हेपेटाइटिस ए और बी के प्रति अतिसंवदेनशील बना सकता है। हेपेटाइटिस की दो अवस्थाएं होती हैं, पहला, प्रारंभिक (एक्यूट) और दूसरा पुरानी (क्रॉनिक)।यदि फिर भी उचित इलाज न हो सका तो यह लिवर सिरोसिस में परिवर्तित हो जाती है जिसके फलस्वरूप पूरा लिवर क्षतिग्रस्त हो जाता है।
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लीवर नए लीवर सेल बनाकर अपनी क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की पूर्ति कर लेता है। जब लगातार क्षति होती रहती है तो लीवर पर जख्म हो जाते हैं, जिसे 'सिरोसिस' कहा जाता है। जो व्यक्ति रोजाना शराब पीते हैं उनके लीवर सेल डैमेज होने लगते हैं। हालांकि इसका इलाज उपलब्ध है, लेकिन यदि व्यक्ति दोबारा से शराब पीने लगता है तो उसका इलाज संभव नहीं है। ये लास्ट स्टेज होती है, इससे कैंसर होने का खतरा रहता है।
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शराब के कारण लीवर में होने वाली खराबी के लक्षण की बार समझ नहीं आते है। इलके लक्षण में भूख न लगना, वजन कम होना, पीलिया, बुखार, कमजोरी, उल्टी, पेट में पानी भर जाना, खून की उल्टियां होना, रंग काला होने लगना, पेशाब का रंग गहरा होना आदि। यह लिवर को सख्त कर देता और सिकुडऩे देता है।
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