चीनी को कहें ना और शरीर में देखें ये अच्छे बदलाव
यदि आप अपने मोटापा से परेशान हैं या उम्र बढ़ने की प्रक्रिया से डरे हुए हैं तो बेहतर होगा कि आज से ही आप चीनी का सेवन कम करना शुरू कर दें। आपको विश्वास नहीं होगा कि अपने भोजन में केवल आप चीनी कम करके ही ये फायदे होने लगेंगे।

ग्लाइसेशन के प्रोसेस में चीनी, त्वचा और शरीर के अन्य भागों में मौजूद कोलेग्न से जुड़ा रहता है। ये इनफ्लेमेशन का कारण बनता है और कोलेगन और इलास्टीन के प्रभाव को कम करता है। ये प्रोटीन त्वचा को जवां रखने में मदद करता है। जब ये प्रोटीन अच्छे से काम नहीं करते तब त्वचा का ग्लो खत्म होने लगता है और त्वचा शुष्क और बेजान नजर आने लगती है। ऐसे में साफ समझा जा सकता है कि ग्लाइसेशन के प्रोसेस को खत्म करना आपके हाथ में नहीं है। लेकिन, आप चीनी का सेवन ना करके इसे धीमा जरूर कर सकते हैं। इस संबंध में हुए एक शोध में 600 पुरुष और महिलाओं को शामिल किया गया। शोध के परिणामों में पाया गया कि जिन लोगों का ह्लड शुगर हाई था वे और की तुलना में अधिक बूढ़े लग रहे थे।

निकली हुई तोंद और बढ़ा हुआ वजन किसी को पसंद नहीं होता। ऐसे में हर कोई वजन कम करने के लिए भरसक प्रयास करता है। लेकिन कितना अच्छा होता कि हमें ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती और अपने रुटीन लाइफ में एक सामान्य से बदलाव मात्र से ही हम अपना वजन कम कर लेते। अगर आपको पता चल जाए कि ऐसा हो सकता है तो! लेकिन ऐसा भला कैसे हो सकता है? इसके लिए आपको केवल चीनी के सेवन को ना कहने की जरूरत होती है। हाल ही में हुए शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि जो लोग लो फैट डाइट लेते हैं और शुगर से दूर रहते हैं वे डाइट में ज्यादा शुगर लेने वालों की तुलना में ज्यादा फिट रहते हैं।

खून में चीनी की मात्रा अधिक होने से अनिद्रा की समस्या होती है। एक तिहाई अमेरीकी इस समस्या से ग्रस्त हैं। लेकिन इस बीमारी से बचा जा सकता है। इसके लिए भी आपको केवल अपने दैनिक दिनचर्या में चीनी का सेवन कम करना होगा। कुछ नहीं तो कम से कम रात को सोने जाने से दो-तीन घंटे पहले चीनी या मिठाई ना लें। इससे रात को अच्छी नींद आएगी। अगर आपको सोने से पहले असल में ही स्नैक्स और मिठाई की जरूरत होती है तो ओटमील खाएं यो शुगरफ्री बिस्किट व मीठा लें। ये ब्लड शुगर नियंत्रित करता है और दिमाग में सेरोटोनिन का लेबल बढ़ाकर सोने के लिए प्रेरित करता है।

चीनी कम लेने से इंटेस्टाइन और शरीर के अन्य भाग अच्छे से काम करना शुरू कर देते हैं। शायद आपने कभी नोटिस किया हो कि हमारा शरीर हमें खुद ही बताता है कि उसे कब किस चीज की जरूरत होती है और शरीर को सबसे ज्यादा फाइबर और पानी की जरूरत होती है। ऐसे में जब आप अपने खाने में चीनी कम करते हैं तो ना केवल पाचन तंत्र को अच्छा बनाने में मदद करते हैं बल्कि साथ में ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित कर शारीरिक क्रियाओं को भी उचित ढंग से चलाने में मदद करते हैं।

अस्थमा, एलर्जी, हृदय रोग और यहां तक की कैंसर भी शरीर में क्रोनिक इनफ्लेमेशन के कारण होते हैं। सामान्य लेवल का इनफेलमेशन ठीक है लेकिन जब ये ज्यादा होने लगता है औऱ नियंत्रण से बाहर हो जाता है तो समस्या उत्पन्न होने लगती है। और सामान्य लेवल से अधिक इनफ्लेमेशन होने का कारण बनता है अधिक मात्रा में चीनी का सेवन करना। विशेषज्ञों का मानना रहा है कि चीनी और आटा क्रोनिक इनफ्लेमेशन का सबसे बड़ा कारण हैं। जैसे कि औसतन अमेरिकन एक साल में 130 पाउंड से अधिक चीनी और 133 पाउंड से अधिक आटा का सेवन करते हैं जिसके कारण वहां के लोग मधुमेह, आर्थरिटीस और अन्य बीमारी से अधिक ग्रस्त होते हैं।
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