गर्भावस्था में इन 5 कारणों से रात को नहीं आती नींद
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर की प्रक्रिया अलग हो जाती है, जिसके कारण रात के समय नींद न आना संभव होता है।

मां बनना किसी भी महिला के लिए एक सुखद अनुभव है, लेकिन साथ ही सबसे बड़ी चुनौती भी है। क्योंकि इस दौरान महिलाओं को बहुत सारी शारीरिक और मानसिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है। हालांकि इन परेशनियों के चलते गर्भवती को भरपूर आराम की जरूरत होती है। लेकिन गर्भावस्था को नींद ना आने की समस्या आम देखी जाती हैं। इस समय के दौरान महिलाओं के शरीर की प्रक्रिया अलग हो जाती है, जिसके कारण रात के समय नींद आना संभव नहीं होता है। इस वजह से डिप्रेशन और बेचैनी दोनों ही बढ़ने लगती हैं। आइए जानें गर्भावस्था के दौरान नींद क्यों नहीं आती है।

गर्भावस्था के दौरान अपनी जिंदगी और शरीर में आए बदलावों को लेकर थोड़ा तनाव होना सामान्य है। इसके अलावा अक्सर महिलाएं डिलीवरी की तकलीफ को लेकर परेशान रहती है, और उनका मन बेचैन होने लगता है। इन सब बातों के चलते महिलाएं रात को चैन की नींद नहीं ले पाती है। जब भी आपको ऐसा महसूस हो तो गहरी सांस लें और रिलैक्स करें। हल्का म्यूजिक सुनें और कोई अच्छी सी किताब पढ़ें। इससे आपका ध्यान दूसरी चीज़ों में लगेगा और आप डिलीवरी के दर्द के बारे में नहीं सोच पाएंगी!

गर्भावस्था के दौरान बार-बार पेशाब आने से भी रात को नींद नहीं आ पाती है। जी हां गर्भावस्था के दौरान किडनी सामान्य से ज्यादा तेज गति से काम करने लगती है। यानी इन दिनों किडनी ब्लड फिल्टर करने का काम 50 प्रतिशत अधिक करती है। जिसके परिणामस्वरूप बार-बार पेशाब आता है। इसके अलावा गर्भावस्था के तीसरे चरण में वजन बढ़ने के कारण ब्लैडर पर भी दबाव पड़ता है जिससे भी बार-बार पेशाब आने लगता है। इस समसया से बचने के लिए रात की तुलना में दिन के समय अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए।

बच्चे की मूवमेंट की वजह से भी गर्भवती को ठीक से नींद नहीं आती है क्योंकि जब भी शिशु गर्भ में कोई हरकत करता है तो थोड़ी बेचैनी महसूस होना स्वाभाविक है। ऐसे में आपको नींद आ पाना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन इससे बचने का कोई उपाय नहीं है क्योंकि गर्भ में बच्चे के हिलने-डुलने से ही बच्चे के स्वस्थ और एक्टिव होने का पता चलता है।

गर्भावस्था के दौरान पैरों में ऐंठन की समस्या काफी आम होती है। इस दौरान वजन बढ जाने की वजह से पैरों पर काफी जोर पडता है इसलिए जब रात में आप आराम करती हैं तो मसल्स ढीली पड जाती हैं और फिर उनमें असहनीय दर्द पैदा हो जाता है। इसके अलावा इस अवस्था में गर्भाशय के बढ़ जाने के कारण पैरों तक जाने वाली कुछ नसें दब जाती हैं जिससे पैर में खून का प्रवाह कम हो जाता है। जिसकी वजह से पैरों में ऐंठन होती है। और यही समस्या आपको रात को ठीक से सोने नहीं देती है। इस दर्द को कम करने के लिए अपनी मसल्स में थोड़ा स्ट्रेच करें और पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करें।

रात में नींद टूटने का एक कारण अपच भी है। गर्भावस्था के दौरान, प्लेसेंटा प्रोजेस्टीरोन हॉर्मोन का उत्पादन करती है, जो कि आपके गर्भाशय की कोमल मसल्स को राहत पहुंचाता है। यह हॉर्मोन उस वैल्व को भी शिथिल बनाता है, जो कि भोजन-नलिका को पेट से अलग करता है, ताकि गैस्ट्रिक अम्ल फिर से रिसकर नलिका में पहुंच जाए। इसकी वजह से ही असहजता और जलन महसूस होती है, जिसे हार्टबर्न कहा जाता है। प्रोजेस्टीरोन, पेट के लहर जैसे संकुचनों को भी धीमा कर देता है, जिससे पाचन मंद हो जाता है और एसिडिटी होने लगती है गर्भावस्था के दौरान अधिक खाने की वजह से भी अपच होती है। गर्भावस्था के दौरान तैलीय, मसालेदार, वसायुक्त भोजन का सेवन न करें। धीरे-धीरे खाएं और सही पोजीशन में सोने की कोशिश करें। Image Source : Getty
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