अस्थमा से लड़ने में मददगार है ये 5 फूड
अस्थमा एक गंभीर बीमारी है, जो सांस नलिकाओं को प्रभावित करती है। लेकिन घबराइए नहीं क्योंकि अस्थमा को नियंत्रण में रखने में कुछ फूड महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते है।

बढ़ते प्रदूषण के चलते अस्थमा के मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। अस्थमा एक गंभीर बीमारी है, जो सांस नलिकाओं को प्रभावित करती है। अस्थमा के दौरान खांसी, नाक बंद या बहना, छाती का कड़ा होना, रात और सुबह के समय सांस लेने में तकलीफ आदि समस्याएं होती है। लेकिन घबराइए नहीं क्योंकि अस्थमा को नियंत्रण में रखने में कुछ फूड महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते है। यूं तो ऐसे आहार की लिस्ट बहुत लंबी है, जिनसे अस्थमा के मरीजों को एनर्जी और अस्थमा अटैक के खतरे के कारण दूर रहने की सलाह दी जाती है। लेकिन बहुत से ऐसे फूड भी है जो अस्थमा से लड़ने में मददगार होते हैं। ऐेसे ही कुछ फूड के बारे में आज हम आपको बताएंगें।

लगातार जलन और खांसी से टिश्यु को काफी नुकसान पहुंचता है, जिसके चलते नियमित अस्थमा अटैक आते रहते हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड फेफड़ों में होने वाली जलन और टिश्युओं को होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड अलसी में भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसलिए अस्थमा से बचने के लिए अपने आहार में अलसी को शामिल करें।

प्याज चाहे लाल हो या हरा, दोनों तरह के प्याज अस्थमा मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। कच्चे प्याज में सल्फर बहुत मात्रा अधिक मात्रा में होता है जिससे अस्थमैटिक्स में सूजन कम होती है। यह उन लोगों के लिए भी अच्छा होता है, जिन्हें सांसों सम्बन्धी समस्याएं रहती हैं।

संतरे में मौजूद प्रचुर मात्रा में विटामिन सी जलन को कम करने में मदद करता है। यह फेफड़ों पर असर करता है और श्वसन संबंधी समस्याओं से लड़ने में सहायता करता है। खट्टे फल और जूस के अलावा ब्रोकली और अंकुरित आहार जैसे कुछ फूड में भी विटामिन-सी की प्रचुर मात्रा होती है।

अस्थमा एक जानलेवा बीमारी है, जिससे बचने के लिए आप सेब के जूस का सेवन कर सकते हैं। सेब में मौजदू फ्लेवोनॉयड्स फेफड़ों को मजबूत बनाने में मददगार होता हैं। जिससे अस्थमा से बचाव होता है। इसलिए अस्थमा से बचने के लिए रोजाना एक सेब खाएं।

लहसुन का नियमित सेवन अक्सर होने वाली सर्दी को तो दूर करता है साथ ही इसके एंटी-बैक्टीरियल गुणों के कारण यह फेफड़ों संबंधित अनियमितता जैसे अस्थमा और श्वास लेने में तकलीफ आदि में भी लाभदायक होता है। इसलिए इसे एक अमूल्य औषधि कहा जाता है।
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