जिम ट्रेनर है अनट्रेंड!

जिम करने वाला हर व्‍यक्ति यही चाहता है कि उसे जल्‍दी और अच्‍छा परिणाम मिले। हर किसी की चाहत होती है कि उसकी बॉडी शेप में हो जिससे वह आकर्षक दिखे। लेकिन सही कोच न मिल पाने के कारण अच्‍छा रिजल्‍ट नहीं मिल पाता है। कुछ कोच ऐसे होते हैं जिन्‍हें ज्‍यादा जानकारी नहीं होती है, जिसके कारण वह लोगों को शॉर्टकट रास्‍ते से बॉडी बनाने की सलाह देते हैं, जबकि ये बिल्‍कुल गलत है। इसलिए, आपके कोच को सही जानकारी है या नहीं यह भी आपको ही समझना होगा। आज हम 5 ऐसे टिप्‍स बताएंगे जिससे आप जान पाएंगे कि आपका अपने कोच से सीखना सही होगा या गलत।
अगर सप्लीमेंट पर जोर दे

जैसे ही आप पूछते हैं कि बॉडी कैसे बनेगी वो आपको कोई न कोई सपलीमेंट लेने की सलाह दे डालते हैं। डिब्बे से बस डिब्बे बनते हैं बॉडी नहीं। बॉडी हमेशा डाइट से बनती है और जब प्रोटीन की रिक्वायरमेंट इतनी हो जाए कि बिना सपलीमेंट पूरी न हो पा रही हो तब आपको सपलीमेंट खरीद लेना चाहिए।
वार्मअप ज्यादा कराते हैं

बहुत से जिमों के कोच बच्चों को खूब वार्मअप कराते हैं। उन्‍हें रनिंग वगैरा जैसी खूब कार्डियो कराते हैं ताकि बॉडी गर्म हो जाए और फिर वेट ट्रेनिंग शुरू करने का नंबर आता है। ये है दूसरी पहचान। वार्म अप का मकसद होता है आपको इंजरी से बचाना मगर इसका ये मतलब कतई नहीं है कि वार्म अप के नाम पर आपकी एनर्जी का लॉस हो। वार्म अप दो चार मिनट का होता है।
पेट कम कराने के लिए खूब क्रंचेस कराते हैं

अगर किसी जिम में आपको मोटे लोग ढेर सारे अलग अलग तरह के क्रंचेस करते दिखें तो समझ जाएं कि कोच साहब का गणित ठीक नहीं है। मोटा पेट क्रंचेस से नहीं जाता। मोटे लोगों के लिए क्रंचेस टाइम पास कसरत है।
हैवी वेट पर जोर देते हैं

अगर आपका कोच कहता है कि हैवी से हैवी वेट मारने से ही बॉडी बनेगी तो समझ लीजिए कि उन्‍हें अभी थोड़ा और पढ़ने की जरूरत है। हमेशा हैवी वेट मारना गलत है। इससे ग्रोथ की रफ्तार कम होती है। हैवी और लाइट वेट का कॉम्बिनेशन सबसे सही होता है। ये बात सही है कि मसल्स बनाने के लिए या गेनिंग के लिए हैवी वेट और 6 से 12 के बीच रैप रेंज सही मानी जाती है मगर इसका मतलब ये नहीं है कि लाइट वेट किसी काम का ही नहीं रह जाता।
किसी विशेष जगह के मसल्स कम करने का दावा

जो कोच ये कहता है कि वह किसी एक जगह का फैट अलग से घटा देगा वो अज्ञानी है। स्पॉट रिडक्शन जैसी कोई चीज नहीं होती।