इस साल इन 5 बीमारियों ने देश को झकझोरा
इस साल चिकनगुनिया, डेंगु, जापानी इंसेफेलाइटिस, स्क्रब टाइफस और विटामिन डी की कमी ने सबसे ज्यादा देश को परेशान किया।

इस साल देश को जिसने सबसे ज्यादा जिस बीमारी ने प्रभावित किया, वो है- चिकनगुनिया। जिस चिकनगुनिया को अब तक जानलेवा नहीं जाता तो उसने इस साल कई लोगों की जान ले ली। सितम्बर के मध्य तक चिकनगुनिया से मरने वालों की संख्या अकेले दिल्ली में 19 हो गई थी और मरीजों की संख्या 2800 गई थी। सबसे दुखी की खबर ये रही की इस साल चिकनगुनिया ने गांव में भी पैर पसारे।

इस साल फिर दिल्ली डेंगू से पीड़ित हुई। डेंगू का कहर हर साल दिल्ली में छाता है लेकिन इस बार डेंगू ने मलेरिया के साथ मिलकर पूरे देश में कहर बरपाया। अकेले दिल्ली के एम्स में सितम्बर तक 18 लोग डेंगू और मलेरिया के कारण मरे और 1,100 मरीज भर्ती हुए। अब भी देश के कई राज्यों से डेंगू की खबरें सुनने को मिल रही हैं। नवम्बर के आखिरी सोमवार तक गवालियर में डेंगू के मरीजों की संख्या 734 पहुंच गई थी।

चिकनगुनिया और डेंगू के बाद देश को सबसे ज्यादा परेशान जापानी इंसेफेलाइटिस ने किया। इस बीमारी में जोड़ों में बहुत तेज का दर्द होता है। इस बीमारी का सबसे ज्यादा कहर ओड़िशा में मचा। ओड़िशा में अब तक जापानी इंसेफेलाइटिस से 90 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस बीमारी में झटके आना, बेहोशी और कोमा जैसी स्थिति दिखाई देती है। ये ऐसी बीमारी बनकर सामने आ जाती है जहां 60 फीसद मरीज मारे जाते हैं। बचे हुए मरीजों में से लगभग आधे लकवाग्रस्त हो जाते हैं।

ये घास से होने वाली बीमारी है जो हिमाचल प्रदेश और उतराखंड से शुरू होकर पूरे देश में फैल गई है। इसके अब तक 1145 मामले पॉजिटिव पाए गए हैं और 37 लोगों की मौत हो चुकी है। इससे मरने वालों की संख्या अभी बढ़ेगी क्योंकि अब ठंड में लोग घास में बैठना शुरू कर देंगे। दरअसल ये बीमारी घास में पाए जाने वाले पिस्सु के काटने से फैलती है जिसके बाद मरीज को तेज बुखार, सिरदर्द और उल्टियां होने लगती हैं।

इस साल सबसे ज्यादा कहर विटामिन डी की कमी की रही। ये सरकार के साथ दुनिया को चौंकाने वाली खबर थी। विटामिन डी का सबसे बड़ा स्रोत धूप है और भारत में धूप की कोई कमी नहीं है। ऐसे में भारत के लोगों में विटामिन डी की कमी होना पूरी दुनिया के लिए चौंकाने वाली खबर थी। साल के अंत तक 65-70 फीसदी भारतीय विटामिन डी से पीड़ित पाए गए। विटमान डी की कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।
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