जानें ऑफिस में बीमारी की 4 वजहें और इनसे बचाव के तरीके
क्या आप जानते हैं कि घर ही नहीं ऑफिस में भी छोटी-छोटी चीजें व आदतें बीमारियों का कारण बन सकती हैं। चलिये आज दफ्तर में बीमार बना सकने वाले 4 कारणों के बारे में जानते हैं।

किसी कर्मचारी के बीमार होने से न सिर्फ उसे परेशानी होती है बल्कि, संस्था के लिए भी उसका काम ना कर पाना नुकसानदायक साबित होता है। किसी संक्रमण आदि के होने पर कर्मचारी को की दिनों की छुट्टी लेनी पड़ती है और काफी कर्चा और तनाव जो होता है, सो अलग। लेकिन क्या आप जानते हैं कि घर ही नहीं ऑफिस में भी छोटी-छोटी चीजें व आदतें बीमारियों का कारण बन सकती हैं। चलिये आज दफ्तर में बीमार बना सकने वाले 4 कारणों के बारे में जानते हैं। -
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ऑफिस में बिछे कारपेट और फर्नीचर को साफ करने के लिये कई क्लिंज़र केमिकल इस्तेमाल किए जाते हैं। और जब हम सांस लेते हैं तो फर्नीचर/कारपेट से निकले ये फॉर्मेलिडिहाइड्स सांस के माध्यम से हमारी रक्त धारा में जा सकते हैं। लंबे समय तक इस माहौल में रहने पर कैंसर, थायराइड और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं ये अस्थमा अटैक व एलर्जी की आशंका को भी बढ़ाते हैं। देखिये दफ्तर में होने वाली ज्यादातर बीमारियां सर्दी-खांसी से जुड़ी होती हैं, जो तेजी से एक इंसान से दूसरे को फैल सकती हैं। और किसी बीमारी के वायरस ऑफिस में जल्दी फैलते हैं। इन कीटाणुओं का सबसे ज्यादा प्रसार शौचालयों से दरवाजों के हैंडल, लाइट स्विच, टेबल टॉप, कॉफी ब्रेक रूम या कॉफी मशीन, वॉटर टैप, फोन और कम्प्यूटर आदि से होता है।
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दफ्तरों में देखा जाता है कि लोग तो बहुत ज्यादा होते हैं, लेकिन वेंटिलेशन ठीक नहीं होता है, जिसके कारण ऑफिस में कार्बनडाइऑक्साइड का स्तर अधिक हो जाता है। कमाल की बात तो ये कि, दफ्तर में मौजूद लोग ही कार्बनडाइऑक्साइड का प्रमुख स्रोत होते हैं। दफ्तर से बाहर 'सीओटू' सामान्यत: 380 पीपीएम तक होती है, लेकिन दफ्तर में यह हजार पीपीएम तक भी पहुंच सकती है, और इसके कारण सांस संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
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सबसेजरूरी है कि आप अपने हाथों की ठीक से सफाई करें। दिनभर में कम से कम चार बार या इससे ज्यादा हाथ धोएं। इससे पीएफसी और अन्य हानिकारक केमिकल्स को 3 गुना तक कम किया जा सकता है। डिसइंफेक्टेंट्स (सेनेटाइज़र आदि) के इस्तेमाल और हाथों को साफ रखने से 80 से 90 प्रतिशत तक वायरस के फैलाव को रोका जा सकता है। हाथों के अलावा अपने वर्कस्टोशन को भी साफ और काटाणु मुक्त रखें। पीएफसी धूल के कणों के साथ आपके की बोर्ड, खाने और शरीर पर पहुंचते हैं। इसलिए सप्ताह में कम से कम एक बार कीटाणुनाशक लगाकर अपनी टेबल और वर्कस्पेस को जरूर साफ कराएं या खुद करें।
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नासा का एक शोध बताता है कि कुछ पौधों को लगाने से फॉर्मेलडिहाइड और अन्य केमिकल गैसों के निकलने से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इनमें बॉस्टन फर्न, किंबर्ली क्वीन और खजूर के पौधों को सबसे अच्छा माना जाता है। तो इस पौधों और पेड़ों को दफ्तर में लगाएं। इसके अलावा थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ मिनट का ब्रेक लेकर खुली हवा में जाएं। थोड़ी देर ही सही, खुली और साफ हवा में रहने से आपके शरीर का सीओटू लेवल सामान्य होता है।
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