इन आहार योजनाओं से दूर ही रहें तो अच्‍छा

आहार योजनायें आप वजन कम करने के उद्देश्‍य से अपनाते हैं, लेकिन शायद आपको उनका फायदा भी नजर आए। लेकिन, वास्‍तव में ये आहार योजनायें दीर्घकालिक नुकसान पहुंचाती हैं। कुछ ऐसी प्रचलित लेकिन नुकसानदेह आहार योजनाओं के बारे में जानिये।

Anubha Tripathi
Written by:Anubha TripathiPublished at: Jul 30, 2014

डायट प्लान जो सिर्फ फायदेमंद लगते हैं होते नहीं

डायट प्लान जो सिर्फ फायदेमंद लगते हैं होते नहीं
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कई बार डायट प्लान हमें लुभाने के लिए यह कहते हैं कि 'जब जो मन करे वो खाओ और वजन घटाओ'। उनकी इसी बात का अनुसरण करते हुए हम वजन घटाने के लिए कुछ डायट अपनाने लगते हैं। लेकिन असल में ऐसा नहीं होता है। आप जिन डायट को वजन कम करने के लिए प्रयोग करते हैं वो असल में आपका वजन कम नहीं करते हैं बल्कि आपके कई तरह के नुकसान पहुंचा सकते हैं। आइए जानें ऐसे आहार के बारे में जिन्हें कभी ट्राई नहीं करना चाहिए।

पत्ता गोभी का सूप

पत्ता गोभी का सूप
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पत्ता गोभी सूप का सेवन सात दिनों में एक बार कर सकते हैं। इस दौरान आप फलों, सब्जियों और पत्ता गोभी सूप का सेवन कर सकते हैं। इस तरह से लोग अपना वजन घटाने की कोशिश करते हैं लेकिन इस तरह से वो केवल शरीर में मौजूद पानी को ही कम कर पाते हैं। जो फिर से आसानी से वापस आ जाता है।

ग्रेप फ्रूट डायट

ग्रेप फ्रूट डायट
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ग्रेप फ्रूट यानी चकरोता में कैलोरी न के बराबर होती है। इस आहार योजना को वजन कम करने की चाह रखने वालों के लिए मुफीद माना जाता है। सन् 1930 के दशक से ही यह आहार योजना काफी प्रसिद्ध है। इसमें चकरोते जैसे बिना मीठे फल, ब्‍लैक कॉफी, बिना स्‍टॉर्च की सब्जियां और कुछ मछली व मांस का सेवन किया जाता है। यह आहार योजना चकरोता की वसा कम की प्रवृत्ति पर आधारित है। हालांकि इस आहार योजना को किसी प्रकार का वैज्ञानिक समर्थन नहीं है और इसके जरिये क किया गया वजन दोबारा आसानी से बढ़ जाता है।

एचसीजी डायट

एचसीजी डायट
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यह आहार योजना 1950 के दशक से मौजूद है। इस आहार योजना में व्‍यक्ति को रोजाना 500 कैलोरी से ज्‍यादा उपभोग नहीं करना होता। लेकिन, जानकार भी मानते हैं कि व्‍यक्ति को रोजाना कम से कम 1200 कैलोरी का सेवन जरूर करना चाहिये। इसके अलावा एचसीजी में आपको हॉर्मोन इंजेक्‍शन भी लगाये जाते हैं। एचसीजी हॉर्मोन शरीर में वजन बढ़ाने की प्रक्रिया को उत्‍तेजित करता है। हालांकि इस प्रकार की हॉर्मोन चिकित्‍सा को महिलाओं में गर्भधारण संबंधी समस्‍याओं के लिए अनुमति है, लेकिन वजन कम करने के लिए नहीं। और तो और भूखे रहकर वजन घटाने की योजना वैसे भी बड़ी खतरनाक हो सकती है।

स्‍लीपिंग ब्‍यूटी डायट

स्‍लीपिंग ब्‍यूटी डायट
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इस आहार योजना में लोग अधिक से अधिक नींद लेते हैं ताकि वे कम से कम खायें। इसमें माना जाता है कि ज्‍यादा सोने और कम खाने का यह मिश्रण उनका वजन कम कर देगा। यह सुनने में ही काफी अजीब लगता है। बेशक जब आप सो रहे होंगे तो आप खा नहीं पायेंगे और ऐसे में आपका वजन कम होने की संभावना तो होती है। लेकिन, जरूरत से ज्‍यादा सोना भी आपकी सेहत के लिए अच्‍छा नहीं। और ऐसा करके आपको कोई फायदा होने वाला नहीं है।

एयर डायट

एयर डायट
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फ्रांस में एयर डायट काफी प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि फ्रांस की महिलायें मोटी नहीं होतीं। और उसके पीछे इसी आहार योजना को कारण माना जाता है। आपने देखा होगा कि कैसे फोटोग्राफर मॉडल्‍स को खाना मुंह के पास लाने के लिए कहते हैं। आपने मॉडल्‍स की इसी तरह की तस्‍वीरें देखी होंगी। वास्‍तव में वे खाना मुंह तक लाती तो जरूर हैं, लेकिन खाती नहीं हैं। इसी आहार योजना को 'एयर डायट' कहा जाता है। हालांकि यह डायट प्‍लान नहीं भूख को कम करने का तरीका है। इसे कभी ट्राई न करें। आपको भोजन के प्रति अरुचि हो सकती है।

पांच बाइट और बस

पांच बाइट और बस
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कम खाने से वजन कम होता है, लेकिन डॉक्‍टर एल्विन सी. लुइस की यह आहार योजना भोजन को बहुत छोटे हिस्‍सों में खाने पर यकीन रखती है। इस आहार योजना का पालन करने वालों को भोजन के बीच में काफी पानी पीने को कहा जाता है। इसमें लंच और डिनर में पांच कौर भोजन करने को ही कहा जाता है। लेकिन, नाश्‍ता इसमें पूरी तरह नजरअंदाज किया जाता है। लंबे समय तक वजन कम करने में यह आहार योजना अस्‍वास्‍थ्‍यकर और अप्रभावी है। इसमें आपकी पोषक आवश्‍यकतायें पूरी नहीं होतीं और साथ ही खानपान का व्‍यवहार भी बिगड़ जाता है।

कान दबाना यानी Ear Stapling

कान दबाना यानी Ear Stapling
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चीनी एक्‍यूपंक्‍चर ने ईयर स्‍टेपलिंग को जन्म दिया। इसमें कान की अंदरुनी उपास्थि में छोटे स्‍टेपल्‍स से छिद्र किये जाते हैं। इन स्‍टेपल्‍स को भूख दबाने वाला माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि ये स्‍टेपल्‍स कान के मुख्‍य बिंदुओं पर दबाव डालती हैं। लेकिन, मायोक्लिनिक के मुताबिक यह तरीका न केवल वजन कम करने में असफल साबित होता है बल्कि इसके साथ ही इससे संक्रमण का भी खतरा होता है।

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