तलाक कैसे करता है आपकी सेहत को प्रभावित, जानिए
तलाक न सिर्फ दो लोगों को कानूनी तौर पर एक दूसरे से अगल कर देता है बल्कि मानसिक व शारीरिक तौर पर भी गहरा नुकसान पहुंचाता है। शायद आप इस तथ्य से वाकिफ न हों, लेकिन तलाक सेहत पर भी कई प्रकार से दुष्प्रभाव ड़ालता है।

कहते हैं कि किसी प्यार भरे रिश्ते में जुड़ना जितना आसान और आनंदमय होता है उस रिश्ते से बाहर आना उससे कहीं मुश्किल और दुख से भरा होता है। ज़माना तेज़ी से बदल रहा है और इस बदलाव के दौर में प्यार के रिश्ते की डोर भी कमज़ोर होती दिखाई पड़ती है। तलाक के बढ़ते मामले इस बात समाज के लिए जिंता का विषय हैं और ये साफ करते हैं कि कहीं न कहीं हमें इस गंभार सामाजिक विषय पर काम करने की ज़रूरत है। तलाक न सिर्फ दो लोगों को कानूनी तौर पर एक दूसरे से अगल कर देता है बल्कि मानसिक व शारीरिक तौर पर भी गहरा नुकसान पहुंचाता है। शायद आप इस तथ्य से वाकिफ न हों, लेकिन तलाक सेहत पर भी कई प्रकार से दुष्प्रभाव ड़ालता है। आज हम आपको तलाक के कारण सेहत पर होने वाले ऐसे ही कुछ दुष्प्रभावों से अवगत कराने जा रहे हैं।
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कई शोध बताते हैं कि तलाक के सबसे त्वरित दुष्प्रभावों में नींद न आने की समस्या प्रमुख रूप से देखी जा सकती है। तलाक के दौर से गुज़र रही सुमन बाजवा (बदला हुआ नाम) बताती हैं कि आमतौर पर होने वाली समस्याओं में उन्हें काफी नींद आती थी, लेकिन जब से उनके तलाक की प्रक्रिया शुरू हुई है उन्हें इंसोमेनिया (नींद न आना) की समस्या हो गई है। क्योंकि यह समस्या किसी विशेष समय अवधी के लिए होती है,, विशेषज्ञ इस तरह के इंसोमेनिया को "सेकंड्री इंसोमेनिया" पुकारते हैं। लेकिन वे सचेत भी करते हैं कि यदि इसका समय रहते प्रबंधन व सही उपचार न किया जाए तो आगे चलकर यह स्थाई समस्या का रूप ले सकती है। इसलिए तलाक की स्थिति में यदि इंसोमेनिया के लक्षण दिखाई दें तो एक बार डॉक्टर से इस संबंध में सलाह अवश्य लें।
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एक अध्ययन के दौरान, तलाक की प्रक्रिया से गुज़र रहे कई लोगों ने बताया कि इस दौरान उन्हें ज़ुख़ाम बुख़ार जैसी छोटी-मोटी संक्रामक बीमारियां आसानी से अपनी चपेट में ले लेती थीं। कई मैरिज काउंसलर भी इस बात पर अपनी सहमती देते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि तलाक मानसिकतौर पर झकझोड़ देनी वाली प्रक्रिया होती है और इसमें तनाव व अपसाद हो जाना बेहद आम होता है। और इसका सीधा प्रभाव सेहत पर पड़ता है और हमारा इम्यून सिस्टर गड़बड़ा जाता है। ऐसे में बीमारिओं के लगने की आशंका भी बढ़ जाती है।
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तलाक से गुज़र रहे लोगों को तनाव हो जाना सामन्य सी बात होती है। कई शोध बताते हैं कि तनाव के कारम लोग में सामान्य से ज्यादा भोजन करने की आदत लग जाना देखा जा सकता है। ऐसे में एक तो व्यक्ति ज़रूरत से अधिक खाना खा लेता है और वह ठीक से पचता भी नहीं है। जिसके चलते वज़न का बढ़ जाना भी लाज़मी होता है। तो तलाक के मुश्किल दौर से गुज़र रहे लोगों में वज़न बढ़ने की समस्या देखी जा सकती है।
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नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के अनुसार तलाक जैसे मुश्किल दौर में अधिक तनाव हो जाना और फिर इसके अवसाद का रूप ले लेने का जोखिम हमेशा ही बना रहता है। वहीं महिलाएं के इस दौरान मूड डिसॉर्डर काशिकार होने की आशंका अधिक होती है। उनके साथ ऐसा हार्मोन द्वारा दिमाग के रसायनों के साथ छेड़-छाड़ किए जाने के कारण होता है। इसके अलावा कुछ शोध यह भी बताते हैं कि तलाक जैसे पीड़ादायक दौर से गुज़रे या गुज़र रहे लोगों में सामान्य लोगों की तुलना में हृदय संबंधी समस्याओं होने की आशंका 20 गुना तक अधिक होती है।
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