भावनात्मक रूप से मजबूत बनने के 10 तरीके
भावनायें जीवन का सबसे अहम पहलू हैं, और इनकी महत्ता बहुत पहले से मानी जा रही है, यह व्यक्ति के विकास के लिए बहुत जरूरी है।

भावनायें जीवन का सबसे अहम पहलू हैं, और इनकी महत्ता बहुत पहले से मानी जा रही है, यानी जिसकी भावनायें मजबूत हैं वही इस दुनिया में सबसे सफल है। कुछ लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते तो कुछ भावनाओं को गलत जगह पर जाहिर कर देते हैं। भावनायें ही व्यक्ति के व्यक्तित्व को दर्शाती हैं। आगे के स्लाइडशो में जानिए कैसे भावनाओं को मजबूत बनाया जाये।

भावनात्मक अनुपात के बारे में जानना व्यक्ति के लिए बहुत जरूरी है। यह लोगों को पहचानने, पहचान दिलाने, समझने, भावनाओं को प्रबंधित करने, तनाव को दूर करने के साथ-साथ सकारात्मक सोच, दूसरे के साथ सहानुभति, चुनौतियों पर काबू पाने, जीवन के संघर्ष को आसानी से समझने की शक्ति देता है। यह आदमी के दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और यह जीवन के कई पहलुओं से जुड़ा भी है।

भावनात्मक अनुपात को बढ़ाने से पहले उसे अच्छे से समझने की कोशिश कीजिए, इसके लिए जरूरी है आप अपने भावनात्मक जागरुकता हो विकसित कीजिए। सबसे पहले अपनी वर्तमान स्थिति का जायजा लीजिए, उसके बाद अपने इतिहास को खंगालिए और यह जानने की कोशिश कीजिए कि किन कारणों से आपकी भावनाओं को आघात पहुंचा और किस कारण से आप अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाते या फिर भावनाओं को साझा नहीं कर पाते। हो सकता है आपके इन सवालों के जवाब से भावनात्मक अनुपात को बढ़ाने की शुरूआत हो जाये।

आप हमेशा काम में व्यस्त रहते हैं, आपके पास खुद के लिए समय नहीं है। जीवन की तमाम उलझनों ने आपको चिड़चिड़ा बना दिया है। इसलिए थोड़ा समय खुद के लिए निकालिए। एक शांत कमरे में बैठकर लंबी सांसे लीजिए, इससे तनाव दूर होगा और आपके दिमाग को आराम मिलेगा।

भावनात्मक अनुपात तभी बढ़ेगा जब आपको अपनी भावनओं की कद्र खुद हो। इसलिए आत्मचिंतन और आत्ममंथन जरूरी है। आत्मचिंतन के वक्त आप अपनी भावनाओं और अपने विचारों के बारे में सोचिये। उन पलों के बारे में सोचिये जब आपने अधिक गलतियां की थी, उन लोगों के बारे में सोचिये जिनके कारण आपकी यह स्थिति होती है।

भावनात्मक पहलू पर आदमी की प्रकृति के साथ-साथ उसके आसपास रहने वाले लोगों का बहुत प्रभाव पड़ता है। इसलिए ऐसे लोगों की पहचान कीजिए जो आपकी भावनाओं का मजाक उड़ाते हैं, आपकी गंभीर बातों को तवज्जो नहीं देते। ऐसे लोगों से मेलजोल कम कीजिए, इसकी जगह ऐसे लोगों से पहचान बढ़ाइए जो आपकी फीलिंग्स को समझते हों। ऐसे दोस्तों के पास अधिक वक्त गुजारिये जिंहे आपके विचारों की कद्र हो।

भावनात्मक अनुपात को बढ़ाने का यह भी बहुत अच्छा जरिया है। रोज सुबह उठकर खुद से एक सवाल कीजिए, 'मैं कैसा महसूस कर रहा हूं' यह सवाल पूछिये और आपके मन में जो भी आये उसका जवाब लिखिये। यदि आपके मन में नकारात्मक विचार आ रहे हैं तो उनको दूर करने की कोशिश कीजिए। ऐसा करने से आपकी भावनायें मजबूत होंगी।

आप भावनात्मक रूप से तभी मजबूत होंगे जब आपको अपनी क्षमताओं के बारे में पता होगा। हालांकि इस दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं जो असंभव है, लेकिन उसे करने के लिए आदमी के अंदर दृढ़संकल्प और विश्वास होना चाहिए। आपका यह दृढ़संकल्प और विश्वास आपकी भावनाओं में दिखना चाहिए। इसलिए अपनी क्षमताओं का आकलन कीजिए।

भावनाओं को व्यक्त करने का एक मुफीद समय होता है, इसलिए जब भी अपनी भावनाओं को व्यक्त करें सही समय और सही माहौल का ध्यान रखें। सही वक्त पर अपनी बात कहने से अन्य लोग उसकी तारीफ करेंगे इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और आगे भी आप अपनी बात कहने में संकोच नहीं करेंगे।

ऐसी किताबे पढ़ें जिससे भावनात्मक अनुपात बढ़े। ऐसे लोगों की जीवनी पढि़ये जिसने अपनी भावनाओं और अपने विचारों से दुनिया को बदल दिया है। महान विचारकों की रचनाओं को पढ़ें। इनमें लिखे तरीकों को आजमाकर आप अपनी भावनाओं को बढ़ा सकते हैं।

मेडीटेशन करने से दिमाग शांत होता है, तनाव नहीं होता। ध्यान करने से व्यक्ति एकाग्रचित्त होना सीखता है, और यह आदमी की भावनाओं को बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है। इसलिए रोज कम से कम 10 मिनट तक ध्यान लगाइए। स्वस्थ आहार का सेवन कीजिए और फिट रहिए।
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