अच्छा जीवन जीने के दस स्वर्णिम नियम
अच्छा जीवन जिने से पहले, अच्छे जीवन के सही मायनों को समझना ज़रूरी है, हालांकि कुछ नियमों का पालन कर जीवन को बेहतर ढंग से जीने में मदद मिलती है।

क्या है अच्छा जीवन
सफलता और खुशी जीवन के दो पूरक होते हैं, यदि दोनों में से कोई भी एक न रहे तो निश्चित ही दूसरे का मिलना भी मुमकिन नहीं। पर यह भी संभव नहीं कि हर कदम पर आपको सफलता ही हाथ लगे या आप हर वक्त खुश रह पाएं। सुख और दुख दोनों एक सिक्के के दो पहलुओं की तरह होते हैं। इनके साथ समंजस्य बनाए रखते हुए एक बेहतर और खुशहाल, बेहतर जीवन जीने के लिए ज़रूरत है तो परिपक्व सोच की.... मुश्किल परिस्थितियों में भी जीवन में संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है, ताकि नई कामयाबी की तरफ बढ़ा जा सके। चलिये जानते हैं अच्छा जीवन जीने के दस स्वर्णिम नियम.....
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आशावादी बनें
आशावादी शब्द मूल रूप से लैटिन शब्द ओपटिमम से बना है जिसका अर्थ होता है ‘बेस्ट’। आशावादी होने का मतलब किसी भी स्थिति में सबसे अच्छा परिणाम देने से होता है। महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि जीवन जीने के दो तरीके हैं, पहला - या तो आप यह सोच लें कि कुछ भी चमत्कारिक नहीं है और दूसरा कि मान लें कि सब कुछ चमत्कारिक है।
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खुद को पूर्ण बनाएं
अगर आपके पास खुद ही कुछ नहीं है नहीं तो आप दूसरों को भला क्या दे सकते हैं। दूसरों के बारे में कुछ टिप्पणी या सोच बनान से पहले खुद को काबिल बनाएं। आप दूसरों को तब तक रोशनी नहीं दे सकते जब तक कि आपके खुद के पास रोशनी नहीं है। इसलिए पहले स्वयं को पूर्ण बनाएं।
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दिन की शुरुआत सुविचार के साथ
रोज़ सुबह उठकर आप ख़ुद को क्या कहते है? जो आप सुबह सोचते हैं उसका पुरे दिन के आपके मिज़ाज पर काफी प्रभाव पड़ता है। तो क्यों ना सुबह कुछ अच्छा-अच्छा सोच कर दिन भर इसका लाभ उठायें। सुबह उठने पर एक अच्छा वाक्यांश तैयार रखे इसे स्वयं को कहे। य़कीन मानिये यह बहुत सरल और मज़ेदार होता है।
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अपनी गलतियां स्वीकार करें और सीख लें
हम इन्सान है और गलतियां इन्सान से ही होती हैं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं की हम गलतियां करते ही जाएं। अपनी गलती को स्वीकार करना और अगली बार के लिए इससे सीख लेना बेहद ज़रूरी होता है। इसके लिए खुद को दंड ना दें बल्कि दो बारा इसे ना दोहराने का प्रण लेकर और सब कुछ भुलाकर कर एक अच्छी शुरुआत करें। गलती सफलता की ही एक सीडी है जिसे पार किये बिना आप सफलता तक नहीं पहुंच सकते।
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जोख़िमों से न डरें
दखिये चान्स तो सबको लेना पड़ता है। जोखिम यदि सोच समझ के अठाया जाए तो वह जोखिम नहीं निर्णय बन जाता है। इसलिए जोख़िमों लेने से पीछे मत हटो। आपने जीवन में नीरसता है क्योंकि आपने इसे डर के साये में ऐसा ही बनाया है। याद कीजिए वो अंतिम समय जब आपने कुछ कठिन करने का निर्णय लिया था।
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अवसर का महत्व समझें
अवसरवादी ना बनें बल्कि अवसर का महत्व समझें। यदि आप सोचते हैं कि “मैं सफल कैसे होता, मेरे पास तो कोई सुविधा ही नहीं है, नसीब ने ही मेरा साथ नहीं दिया आदि तो आप खुद को धोका दे रहें हैं। जीवन में सभी को सफलता के अवसर मिलते हैं, बस किसी को कम तो किसा को ज़्यादा। तो अवसरों को पहचाने और ध्यान रखें की सफलता के लिए अवसर से अधिक दृड़निश्चय होना ज़रूरी है।
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सही बनें, परफेक्ट नहीं
परफेक्ट बनने की अधिक कोशिश में जीवन को बर्बाद ना करें। सही बनें, चीजों को सीखें और अपने हुनर को बढ़ाएं। कोई भी परफेक्ट नहीं होता, हर चीज़ में सुधार की गुंजायश हमेशा रहती है। इसलिए अच्छा करने की कोशिश करें और पीछे मुड़ कर देखें और कहें कि मैं अच्छा कर रहा हूं।
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खुद को प्रेरित करते रहें
नकारात्मक सोच व विचारों से बचने के लिए जरुरी है कि आप ख़ुद को मोटिवेट करते रहें। आत्मविश्वास बनाये रखने के लिए जरुरी है कि आप खु़द को सकारात्मक और ऊर्जावान बनाए रखें। उन सभी सही चीज़ों की मदद लें जो आपको प्ररित करती हैं, जसै महापुरुषों के कथनों को पढ़े, सक्सेसफुल लोगों की जीवनी, प्रेरणादायक कहानियाँ, पर्सनल डेवलपमेंट आर्टिकल पढ़े आदि।
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नया सिखते रहने का जज़्बा
अपने आपको हमेशा कुछ नया सीखने के लिए तैयार रखें। कुछ सीखने के लिए बहुत भारी तैयारी की ज़रूरत नहीं होती, बस आपके अंदर सीखने की ललक और स्वभाव में विनम्रता होनी चाहिए। हां यदि जीवन में कुछ बेहतर सीखते रहना है तो अहम को ख़ुद से दूर रखना होगा।
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ख़ुल कर जियें ज़िदगी
ज़िन्दगी ये सोच कर जियो के तुम ही तुम हो और तुम हर गम से ऊपर हो। अगर गम आये भी तो उससे ख़ुशी के साथ जीना सीखो। बोलो तो ख़ुशी के लिए बोलो। ऐसा करो कि जो मरते हुए मैं प्राण फूंक दे, सोते को उठा दे, रोते को हंसा दे, लंगड़े को भगा दे, अंधे को दिखा दे, दुबले को फुला दे और दुखी को सुखी कर दे। तब देखना जीवन एक वरदान सा लगेगा।
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