जरूरत से ज्यादा विटामिन डी से हो सकते हैं ये नुकसान
हड्डियों के विकास के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी होता है और यह शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों में से एक है, लेकिन इसके सेवन की एक निर्धारित सीमा है, जरूरत से अधिक सेवन शरीर के लिए नुकसानदेह है।

विटामिन डी वसा में घुलनशील विटामिन के समूह में आता है और शरीर में कैल्शियम तथा फॉस्फेट के अवशोषण को बढ़ाता है। मानव में इस समूह में सबसे महत्वपूर्ण यौगिकों में विटामिन डी-3 और विटामिन डी-2 शामिल हैं। शरीर त्वचा में कोलेस्ट्राल से सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में विटामिन डी का निर्माण भी करता है। इसलिये इसे अक्सर सनशाइन विटामिन भी कहते हैं। विटामिन डी शरीर के आवश्यक तत्वों में से एक है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप इसकी अत्यधिक मात्रा की सेवन करने लगें। इस स्लाइडशो के जरिए विटामिन डी की अधिकता से होने वाले नुकसान के बारें में पढें:-
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विटामिन की खुराक लेने वाली महिलाओं के रक्त और मूत्र में कैल्शियम का स्तर बढ़ गया और इससे किडनी में पथरी होने की आशंका में भी इजाफा हुआ। विटामिन डी की मात्रा बढ़ने पर किडनी में पथरी के अलावा हड्डियों और किडनी की कई तरह की परेशानियों के बारे में इशारा किया गया था।
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खून में विटामिन डी की बहुत कम या बहुत ज्यादा मात्र दोनों ही सेहत के लिए हानिकारक है। खून में विटामिन डी की मात्रा प्रति लीटर 50 नैनोमोल से कम या 100 नैनोमोल से ज्यादा है तो यह जानलेवा हो सकती है। विटामिन डी का स्तर 100 नैनोमोल से अधिक हो तो दिल के दौरे से मरने की आशंका बढ़ जाती है।
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विटीमिन डी की अधिकता से हमारे शरीर में कैल्शियम का स्तर बढ़ जाता है, इससे हमारी भूख में कमी आती है। जिसकी वजह से बार-बार पेशाब का आना और कमजोरी हो जाती है। गर्भवती महिलाओं के लिए यह हर लिहाज से गलत है, इसके कारण मिसकैरेज की संभावना भी बढ़ा जाती है।
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अधिक मात्रा विटामिन डी लेने से शरीर के नाजुक ऊतकों जैसे हृदय/फेफड़ों में कैल्शियम को इकट्ठा होने के लिए प्रेरित करते है, जिससे इनकी कार्यप्रणाली बाधित होती है और किडनी स्टोन, उल्टी आने तथा मांसपेशियों के कमजोर होने जैसी समस्याएं होने लगती है। रक्त में विटामिन डी का स्तर सामान्य से ज्यादा होता है उनमें हृदयाघात का खतरा 2.8 फीसदी ज्यादा होता है।
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विटामिन डी का स्तर कम होने से ज्यादा दिनों तक जीने की संभावना बढ़ती है। शरीर में मौजूद 'सीवाईपी2आर1' जीन की सक्रियात कम होने पर भी इसकी संभावना बढ़ जाती है। मालूम हो कि विटामिन डी की मात्रा बढ़ने से इस जीन की सक्रियता बढ़ जाती है।
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प्राकृतिक विटामिन शरीर में जा कर खुद ही संतुलित हो जाता है, लेकिन अगर इसकी जगह पर दवाइयों या अन्य स्रोतों के जरिए आप विटामिन डी का सेवन करते हैं तो शरीर में उथल पुथल मच सकती है। इससे आपको साइड इफेक्ट हो सकते हैं। ऐसे कई प्रकार के विटामिन पाए जाते हैं, जिसकी आप पूर्ती नहीं कर सकते। अगर आप अलग-अलग विटामिनों की गोलियां लेनी शुरु कर देगीं तो अन्य विटामिन ठीक रूप से अपना कार्य नहीं कर पाएंगे। किसी भी प्रकार का सप्लीमेंट लेना कोई स्वस्थ आदत नहीं है।
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विटामिन डी शरीर के लिए जितना जरूरी है, अच्छी सेहत के लिए उतनी ही अहमियत दूसरे विटामिन की भी हैं। लेकिन बिना शरीर की जरूरत समझे विटामिन की गोलियां या कैप्सूल लेना सही नहीं है। अगर आप इस गलतफहमी में रहते हैं कि मल्टी विटामिन लेने से कोई रिएक्शन नहीं होगा, तो आप गलत हैं, जबकि हकीकत बिल्कुल अलग है। कोई भी विटामिन ज्यादा लेना खतरनाक होता है। किसी भी विटामिन की मात्रा ज्यादा होने पर खूब पानी पीने और हरी सब्जियां खाने की सलाह दी जाती है।
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