World Thyroid Day 2020 : थायरॉइड ठीक से काम न करने के संकेत हैं शरीर में दिखने वाले ये 10 बदलाव
थायरॉइड को साइलेंट किलर माना जाता है क्योंकि इसके लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं, यह ग्रंथि खाने को शरीर के लिए उपयोगी उर्जा में बदलती है, अगर यह सही तरीके से काम न करे तो कई प्रकार की समस्या हो सकती है।

हम जो खाते हैं उसे थाइराइड ग्रंथि शरीर के लिए उपयोगी उर्जा में बदलती है, इसके लिए थाइराइड हार्मोन की भूमिका अहम होती है। थाइराइड ग्रंथि से दो प्रकार के हार्मोन निकलते हैं। थायरॉक्सिन टी-4 में चार आयोडीन और ट्राईआयोडोथाइरीन टी-3 में तीन आयोडीन होते हैं। टी-4 जरूरत के अनुसार, टी-3 में बदल जाते हैं। दिक्कत तब आती है जब यह ग्रंथि ठीक से काम नहीं करती। इस स्थिति में थकान, कमजोरी, जल्द जुकाम होने, त्वचा के सूखने, बाल गिरने, हाथ-पैर ठंडे रहने, मोटापा, तनाव और अवसाद, कब्ज, अनिद्रा, याददाश्त कमजोर होने की समस्या होती है।

थायराइड ग्रंथि जब सही तरीके से काम नहीं करती तो इसके कारण थकान लगता है। यह समस्या तब अधिक होती है जब थायराइड ओवरएक्टिव हो जाता है। ओवरएक्टिव थायराइड होने पर व्यक्ति ज्यादा एनर्जेटिक अनुभव करता है लेकिन उसे बहुत जल्दी थकान भी होने लगता है। व्यक्ति का शरीर सुस्त हो जाता है, आलस आता है।

थायराइड की समस्या होने पर ऊर्जा का स्तर बदलता रहता है। ओवरएक्टिव थायराइड चयापचय में तेज और अनियमित बदलाव करता है, जिसके कारण किसी व्यक्ति को सोने में तकलीफ, चिड़चिड़ापन, बेचैनी तथा इस प्रकार की कुछ अन्य परेशानियां होने लगती हैं। हाइपरथायराडिज़्म से ग्रस्त होने पर शरीर गतिशील रहने योग्य आवश्यक ऊर्जा जुटाने में असमर्थ रहता है, जिसके कारण शरीर में लगातार थकान या थकान के लक्षण हैदा हो जाते हैं।

ओवर एक्टिव थायराइड की समस्या होने पर मेटाबॉलिज्म काफी बढ़ जाता है, जिसके कारण व्यक्ति की भूख भी बढ़ जाती है और वे सामान्य से अधिक भोजन करने लगते हैं। लेकिन जरूरत से अधिक आहार का सेवन करने के वजन घटता ही है। वहीं दूसरी ओर अंडर एक्टिव थायराइड के कारण चयापचय घटने पर इन भूख में कमी हो जाती है और कम भोजन करने की स्थिति में भी वजन बढ़ने लगता है।

जब थायराइड ग्रंथि ओवरएक्टिव हो जाती है तब यह ग्रंथि शरीर की जरूरत से अधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन का निर्माण करती है जिसके कारण तनाव और अवसाद की समस्या होती है।

ओवरएक्टिव थाइराइड से ग्रस्त व्यक्ति की त्वचा सूखने लगती है। त्वचा में रूखापन आ जाता है। त्वचा के ऊपरी हिस्से की कोशिकओं की क्षति होने लगती है जिसकी वजह से त्वचा रूखी-रूखी हो जाती है।

हाइपरथायराइडिज्म से ग्र्स्त व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधक क्षमता क्षमता कमजोर हो जाती है। इसके कारण शरीर में कई प्रकार की बीमारियां होने लगती हैं और शरीर सामान्य और खतरनाक बीमारियों से खुद की रक्षा नहीं कर पाता है।

हाइपरएक्टिव थायराइड का असर व्यक्ति के दिमाग पर भी पड़ता है, इसके कारण व्यक्ति की याद्दाश्त कमजोर होने लगती है। इसके कारण व्यक्ति को एक जगह पर ध्यान लगाने में समस्या होने लगती है, यानी एकाग्रता भंग हो जाती है।

हाइपोथायराइडिज्म का असर व्यक्ति के यौन इच्छा पर भी पड़ता है, यौन संबंध के प्रति उसकी रुचि खत्म हो जाती है। इसमें वजन का घटना, थका हुआ शरीर, ऊर्जा की कमी होना, शरीर में दर्द होना भी जिम्मेदार हैं।

हाइपरथायराडिज़्म की समस्या होने पर माशपेशियों में दर्द होता है और इसके कारण वे कमजोरी भी होने लगती हैं। रोगी का शरीर थका तथा टूटा हुआ महसूस होता है। अक्सर कमर, कन्धों व जोडों में दर्द होता है तथा सूजन भी आ जाती है।

थायराइड ग्रंथि का असर व्यक्ति की नींद पर भी पड़ता है, इसके कारण व्यक्ति अनिद्रा से भी जूझता है, रात में गरमी अधिक लगती है जिसके कारण भी नींद नहीं आती। इसमें रात में सोते वक्त पसीना अधिक आता है जिसके कारण भी नींद उड़ जाती है। बेचैनी के कारण भी नींद नहीं आती। यह समस्या होने पर पुरुष को चक्कर आने की भी शिकायत होती है।
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।