किडनी की बीमारियों के लक्षण जिसे न करें नजरअंदाज
किडनी की बीमारी के लक्षण आमतौर पर गैर विशिष्ट और जीवन शैली से संबंधित होते है जिसके कारण लोगों का इनपर ध्यान ही नहीं जाता है। आइए जानें ऐसे लक्षणों के बारे में जिनको अक्सर हम नजरअंदाज कर देते हैं।

किडनी के रोग को 'शांत रोग' के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसके होने के कोई भी लक्ष्ण दिखाई नहीं देते है और जानकारी के अभाव के कारण यह बीमारी समय के साथ ओर भी बिगड़ जाती है। अक्सर किडनी की समस्याओं का पता स्क्रीनिंग के परिणाम द्धारा उच्च जोखिम होने पर ही लगता है। इंडस हेल्थ प्लस (पी) लिमिटेड के डायरेक्टर कंचन नायकवाडी के अनुसार, वयस्क विभिन्न किडनी के लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं।

किडनी की बीमारी के लक्षण आमतौर पर गैर विशिष्ट और जीवन शैली से संबंधित होते है जिसके कारण लोगों का इनपर ध्यान ही नहीं जाता है। इसके लक्षण तब दिखाई देते है जब रोग गंभीर रूप धारण कर लेता है। लक्षणों की पहचान न होने के कारण इसके निदान में देरी हो जाती है। इसलिए समय पर इस समस्या से निपटने के लिए एक व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के बारे में पता होना चाहिए, समस्या से लड़ने के लिए पर्याप्त समय देना चाहिए और समय पर जांच करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए। आइए जानें ऐसे लक्षणों के बारे में जिनको अक्सर हम नजरअंदाज कर देते हैं।

भूख का कम होना और लगातार वजन का घटना किडनी की बीमारी का सबसे सामान्य लक्षण है। शरीर को कार्य करने के लिए पोषण और एनर्जी की जरूरत होती है और वह उसे भोजन से ही प्राप्त होती है। लेकिन किडनी रोग होने पर भूख इतनी कम लगती है कि व्यक्ति अपने दैनिक जरूरतों की पूर्ति के लिए जाने वाले पोषण और एनर्जी की जरूरत भी पूरी नहीं कर पाता।

किडनी शरीर से विषैले तत्व और अतिरिक्त तरल पदार्थ को बाहर निकालने का काम करती है। लेकिन जब किडनी रोग होने पर किडनी इस काम को करने में विफल हो जाती है तो शरीर में अतिरिक्त तरल पदार्थ सूजन का कारण बनते है और हाथ, पैर, चेहरे और टखनों में सूजन आने लगती हैं।

शरीर में अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने के साथ किडनी इरिथरोपोटीन नामक हार्मोंन का भी उत्पादन करता है। यह हार्मोंन ऑक्सीजन को लाल रक्त कोशिकाओं बनाने में मदद करता है। लेकिन जब किडनी काम करना बंद कर देती है तो वह पर्याप्त मात्रा में इरिथरोपोटीन का उत्पादन नहीं करती। जिससे शरीर में ऑक्सीजन ले जाने वाली लाल रक्त कोशिकाएं कम हो जाती है और परिणामस्वरूप मसल्स और ब्रेन बहुत जल्दी थक जाते हैं। इस अवस्था को रक्ताल्पता कहते हैं। इस अवस्था में लोगों को सांस लेने में भी तकलीफ होने लगती हैं।

अगर आपके यूरीन से ब्लड आता है तो यह चिंता का कारण है। इसके लिए आपको तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। लेकिन यूरीन से प्रोटीन का पता लगाना बहुत जटिल काम है इसके लिए आपको नियमित रूप से चेकअप और मूत्र परीक्षण की जरूरत होती हैं।

किडनी रोग होने पर आपकी यूरीन की मात्रा और आवृत्ति में परिवर्तन हो सकता है। विशेष रूप से रात में यूरीन में ज्यादा वृद्धि हो सकती है। यूरीन संबंधी समस्या होने पर आपको कम या ज्यादा मात्रा में यूरीन पीले रंग के साथ भी हो सकता हैं। इसके अलावा यूरीन करने में कठिनाई होना या यह समस्या लगातार भी हो सकती है।

किडनी के रोग होने पर किडनी ठीक प्रकार से काम करना बंद कर देती है। जिससे शरीर के अपशिष्ट पदार्थ बाहर नहीं आते और शरीर में इनका निर्माण होना शुरू हो जाता है। इसके कारण विषैले पदार्थों को त्वचा पर चकत्ते और खुजली माध्यम से बाहर निकालती हैं।

कुछ मामालों में किडनी के रोग दर्द का कारण बन सकता है। जिसके कारण शरीर के विभिन्न भागों में गंभीर रूप ऐंठन और दर्द हो सकता है। यह दर्द किडनी की बीमारी के आधार पर होता है।

शरीर की क्षमता में कमी के कारण दिल विभिन्न तंत्रिका कार्यों को पूरा करने के लिए तेजी से रक्त पंप करना शुरू कर देता है। दिल के ज्यादा काम करने से उच्च रक्तचाप की समस्या हो जाती है।

किडनी रोग में शरीर में अपशिष्ट उत्पादों के निर्माण के कारण मतली और उल्टी की समस्या भी पैदा हो जाती है। किडनी रोग के कारण उत्पन्न एनीमिया आपके ब्रेन में ऑक्सीजन को कम कर देता है जिससे चक्कर आना और एकाग्रता की कमी जैसी समस्या हो सकती हैं।

किडनी रोग होने पर रक्त में क्रिएटिनिन के स्तर का पता लगाने के लिए साधारण-सी जांच की जाती है। इससे किडनी की कार्यक्षमता का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसके अलावा पेशाब और स्क्रीनिंग के द्वारा भी किडनी के रोग की जांच की जा सकती हैं। यूरीन में क्रिएटिनिन और एलब्यूमिन के लिए जांच की जाती है और जो लोग किडनी रोगों के उच्चतम जोखिम पर हैं, उन्हें स्क्रीनिंग जरूर कराना चाहिए।
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