खेलना और घूमना है जरूरी

बच्चों को ज्यादा घर में कैद कर के रखना सही बात नहीं है। बचपन होता ही खेलने-कूदने के लिए है। अगर आप गौर करेंगे तो पाएंगे कि सेलेब्रिटी भले ही अपने बच्चों को गली-सड़क में न खेलने दें लेकिन वो उनके साथ वल्र्ड टूर पर जाते हैं। साथ ही कई पार्टीज में भी अपने बच्चों को लेकर जाते हैं। इसी तरह आम व्यक्ति को भी अपने बच्चों के साथ घूमना चाहिए। बच्चों के फिटनेस की बात आती है तो इसका अर्थ है कि उन्हें बाहर बच्चों के साथ खेलने के भेजें। सिर्फ पढ़ाई से ही बच्चों का विकास संभव नहीं है। खेलकूद से बच्चों में आत्मविश्वास पैदा होता है।
बच्चों के लिए फिटनेस मंत्र

छोटे बच्चों में कुछ सीखने की ललक बड़ों के मुकाबले बहुत ज्यादा होती है। पेरेंट्स की ये जिम्मेदारी बनती है कि वो अपने बच्चों की मनपसंद आदतों के बारे में जानें और उन्हें उसके गुर सीखने के लिए प्रेरित करें। जैसे अगर बच्चा डांस, क्रिकेट या अन्य चीजों में रुचि रखता है तो उसे इससे रोके नहीं। ये चीज बच्चे शारीरिक विकास के साथ साथ मानकिस विकास के लिए भी जरूरी होती है।
बचपन के बदलते पड़ाव

बच्चों से हर उम्र में एक जैसी उम्मीद रखना अच्छी बात नहीं है। उम्र के साथ हर चीज में बदलाव आता है। कई पेरेंट्स अपने बच्चों के बदलते व्यवहार पर नाराज होकर उनके हर वक्त एक जैसी उम्मीद रखते हैं। जो संभव नहीं है। जैसे-जैसे बच्चे बड़े होने लगते हैं आप उनकी पसंद में बदलाव देख सकते हैं। ऐसे में आप उनकी इच्छाओं को जानें-समझें और इनकी पसंद का सम्मान करें।
बढ़ते बच्चों के लिए

इस उम्र में खेलकूद ही बच्चों का व्यायाम है। इससे ना केवल बच्चे का शारीरिक स्वास्‍थ्‍य ठीक होगा बल्कि उसका मानसिक स्वास्‍थ्‍य भी ठीक रहेगा। इस उम्र में आपका बच्चा सामाजिक तौर पर दूसरे बच्चों से जुड़ता है और इससे उसका व्यक्तित्व विकास भी होता है। बढ़ती उम्र में बच्चों को शारीरिक गतिविधी करने के लिए कभी मना नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसके अभाव में बच्चों की हाईट भी प्रभावित हो सकती है।
किशोरावस्था की शुरूवात

इस उम्र में बच्चे को जिम या योगा क्लासेज जाने की भी सलाह दी जा सकती है। इससे उनके अंदर खुद को फिट रखने की आदत का विकास होगा, जिससे वे हमेशा प्रशनचित्त व ताजगी का अनुभव करेंगे। हो सके तो आप भी अपने बच्चों की इस पसंद में उनका बढ़ चढ़कर हौंसला बढ़ाएं।