हर लड़की को गुजरना पड़ता है इन चरणों से
कुछ चरण ऐसे होते हैं जिससे प्रत्येक लड़की को गुजरना पड़ता है और यह चरण जन्म के बाद से शुरू होते हैं और आजीवन चलते हैं।

लड़की के शारीरिक विकास के साथ-साथ उसमें मानसिक बदलाव होता है। लेकिन कुछ चरण ऐसे भी होते हैं जिससे प्रत्येक लड़की को गुजरना पड़ता है, और ये चरण जन्म के बाद से आते ही हैं। बाल्यावस्था, यौवनावस्था, वयस्क आदि के दौरान लड़की में बदलाव होते हैं। लड़की के शरीर में सबसे ज्यादा बदलाव यौवनावस्था में होते हैं

उम्र बढ़ने के साथ लड़कियों को नये-नये अनुभवों से गुजरना पड़ता है, किशोरावस्था से पूर्व यानी जन्म के लगभग 10 साल बाद तक लड़कियों की जिंदगी कम चुनौतीपूर्ण होती है। यह ऐसा समय होता है जब वह लड़कों के साथ कई प्रकार की गतिविधियों में हिस्सा ले सकती है। स्पोर्ट्स एक्टीविटीज, डांसिंग, स्वीमिंग आदि में बेहिचक हिस्सा लेती हैं।

लड़कियों के जीवन का यह दौर सबसे मुश्किल भरा होता है, क्योंकि इस दौरान शरीर में सबसे ज्यादा बदलाव आते हैं। इस समय लड़कियां अपने खानपान को लेकर लापरवाह भी हो सकती हैं। इसके अलावा स्कूल, खेल और जीवन के बीच में तारतम्य बिठाना थोड़ा मुश्किल होता है।

लड़कियों को लगभग 10 साल की उम्र के बाद मासिक धर्म होना शुरू हो जाता है। 10-15 उम्र की लड़की का अंडकोष लगभग हर महीने लगभग एक विकसित अण्डा उत्पन्न करना शुरू कर देता है, जो फैलिपियन ट्यूब के जरिये नीचे जाता है। फैलिपियन ट्यूब अंडकोष को गर्भाशय से जोड़ती है, जब अंडा गर्भ में पहुंचता है तब उसका स्तर खून और तरल पदार्थ से मिलकर गाढ़ा होता है। यह मासिक धर्म के रूप में बाहर निकलता है। इसकी अवधि 5 दिन की हो सकती है।

लड़की के शरीर में सबसे अधिक बदलाव किशोरावस्था के दौरान होता है। इस समय एस्ट्रोजन नामक हार्मोन का स्तर शरीर में बढ़ता है, इसके कारण लड़की के स्तनों में वृद्धि होती है। इस दौरान प्रजनन अंगों में भी बदलाव होते हैं

लड़की के शरीर में बदलाव हार्मोंस के कारण होता है। 13 साल की उम्र के बाद लड़की के शरीर में सबसे ज्यादा बदलाव हार्मोंस का होता है इसके कारण ही लड़की यौवनावस्था में प्रवेश करती है।

यौवनावस्था के दौरान लड़की को मुहांसों की समस्या से भी दो-चार होना पड़ता है। यौवनावस्था शुरू होते ही लड़की की त्वचा तैलीय हो जाती है और चेहरे पर मुहांसे होने लगते हैं। सामान्य रूप से तैलीय ग्रंथियां त्वचा में चिकनापन बनाये रखती हैं, जिसके कारण त्वचा से पुराने अणुओं को निकलनें मदद मिलती है और यही मुहांसे बनते हैं।

उम्र बढ़ने के साथ-साथ लड़की की सोच में भी बदलाव आता है। एक समय ऐसा भी आता है जब उसे जिम्मेदारी का एहसास होता है, एक समय ऐसा भी होता है जब उसके मन में किसी के लिए खयाल उठते हैं। इसके अलावा एक सयम ऐसा भी आता है और मन विचलित भी होता है।

शादी के बाद लड़की जिंदगी बदती है और उसकी जिंदगी में ऐसा सख्स आता है जो उसका जीवनसाथी होता है। उसकी जिम्मेदारियां बढ़ती हैं और वह एक नई जिंदगी में प्रवेश करती है। नई जिम्मेदारियों के साथ नये रिश्ते जुड़ते हैं और लड़की के जीवन का नजरिया भी बदलता है

लड़की को उस समय एक अलग ही एहसास होता है जब वह मां बनती है। शायद यह उसके जीवन का सबसे अच्छा दौर होता है। एक मां की जिम्मेदारियों को वहन करना भी एक चुनौती की तरह होता है।

महिला के जीवन में यह दौर तब आता है जब उसके पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं। इस समय शरीर में जलन का महसूस होना, अनिद्रा, दिल का तेजी से धड़कना, बात-बात पर गुस्सा आना, घबराना, परेशान रहने जैसी समस्या हो सकती है। इस दौरान बालों का रंग सफेद भी हो जाता है और शरीर भी कमजोर हो जाता है।
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