World Epilepsy Day 2020: मिर्गी से जुड़े ये 6 झूठ जिन पर कभी न करें भरोसा

मिर्गी एक गंभीर बीमारी है, लेकिन जानकारी के अभाव में मिर्गी के रोगी के पास लोग जाने से बचते हैं, आइए जानते हैं मिर्गी के रोगी से संबंधित कुछ भ्रांतियों के बारे में।

सम्‍पादकीय विभाग
Written by:सम्‍पादकीय विभागPublished at: Nov 30, 2015

मिर्गी का रोग

मिर्गी का रोग
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मिर्गी को एक खतरनाक बीमारी माना जाता है। मिर्गी की समस्याय होने पर मरीज के मुंह से झाग आता है और शरीर अंकड़ जाता है। इस बीमारी को लेकर लोगों के बीच जानकारी का अभाव है, इसके कारण इससे संबंधित भ्रम भी लोगों में व्याइप्तल हैं। कुछ लोग इसे भूत-प्रेत का साया मानते हैं तो कुछ इसका दौरा पड़ने पर जूता सुंघाकर इसका उपचार करने में विश्वाास करते हैं। इस स्लागइडशो में ये जानने की कोशिश करते हैं कि इनसे जुड़े भ्रम किस हद तक सही हैं और इनको कितना तार्किक माना जाये।

मिथक 1 : रोगी मानसिक रूप से कमजोर होते हैं।

मिथक 1 : रोगी मानसिक रूप से कमजोर होते हैं।
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सच : मिर्गी के रोगियों को दिमागी रूप से कमजोर माना जाता है। यह बीमारी दिमाग के असंतुलन के कारण होती है। इसमें तंत्रिका कोशिकाएं कुछ समय के लिए प्रभावित हो जाती हैं जिससे मरीज की भावना, उत्तेुजना और रोगी का व्यिवहार बदल जाता है। कुछ मामलों में मरीज अपने दिमाग का संतुलन भी खो बैठता है। हालांकि दिमाग और शरीर के अन्यव हिस्सेर सामान्यै रहते हैं। इसलिए इसे मानसिक बीमारी नहीं माना जा सकता है।

मिथक 2 : मरीज के शरीर में ऐंठन होती है।

मिथक 2 : मरीज के शरीर में ऐंठन होती है।
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सच : मिर्गी के दौरे के कई प्रकार होते हैं। कुछ मामलों में रोगी की संवेदनाएं बदल जाती हैं, कुछ मामलों में रोगी दोहरा काम करते हैं, कुछ मामलों में औरस का अनुभव हो सकता है। हालांकि मिर्गी के कई मामलों में रोगी के शरीर में ऐंठन हो जाना सामान्ये है लेकिन ऐसा सभी मामलों में नहीं देखा गया है।

मिथक 3 : यह एक आनुवांशिक बीमारी है।

मिथक 3 : यह एक आनुवांशिक बीमारी है।
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सच : मिर्गी होने का कारण आनुवांशिक नहीं है। तांत्रिक कोशिकाओं को प्रभावित करने वाले सभी कारक, असामान्य मस्तिष्क विकास, बीमारी या क्षति मिर्गी का कारण बन सकती है। इसके साथ ब्रेन ट्यूमर,दिमागी बुखार, बुखार, अल्जाइमर, सिर की चोटों और यहां तक कि शराब के अन्य संक्रमण भी इस बीमारी के होने का कारण बन सकते हैं।

मिथक 4 : इसका दौरा कभी भी आ सकता है।

मिथक 4 : इसका दौरा कभी भी आ सकता है।
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सच : मिर्गी के मरीज से इसलिए भी लोग दूरी बना लेते हैं क्योंणकि उनको लगता है कि इसका दौरा कभी भी आ सकता है। जबकि सच्चा्ई यह है‍ कि नींद की कमी, चमकती रोशनी, तनाव, शराब के सेवन, मासिक धर्म के दौरान हार्मोनल बदलाव, धूम्रपान, आदि कारणों से मिर्गी के दौरे अधिक पड़ते हैं।

मिथक 5 : मिर्गी से पीड़ित महिला के बच्चे नहीं हो सकते।

मिथक 5 : मिर्गी से पीड़ित महिला के बच्चे नहीं हो सकते।
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सच : यह एक बड़ा भ्रम है कि, मिर्गी से ग्रस्तस महिला कभी मां नहीं बन सकती है। जबकि सच्चाई यह है कि मिर्गी के उपचार के लिए ली जाने वाली दवाओं का असर प्रजनन क्षमता पर नहीं पड़ता है। यहां तक कि गर्भावस्था  के दौरान भी महिला मिर्गी की दवा चिकित्साक की सलाह पर ले सकती है और यह उसकी मां बनने की राह में रोड़ा नहीं बनती है।

मिथक 6 : दौरा पड़ते समय रोगी को जोर से पकड़ लेना चाहिए।

मिथक 6 : दौरा पड़ते समय रोगी को जोर से पकड़ लेना चाहिए।
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सच : मिर्गी के रोगी जब भी दौरा पड़े उसे दबायें नहीं। बल्कि उसके आसपास से खतरनाक वस्तुं हटा दीजिए। उसके मुंह को सीधा रखना चाहिए, उसके कपड़ों को ढीला कर देना चाहिए, अगर उसने चश्मास पहना है तो उसे हटा दीजिए। उसके मुंह में कुछ भी डालने का प्रयास ना करें। सामान्य तया मिर्गी का दौरा 5 मिनट तक रहता है। अगर इससे अधिक रहता है तो उसे तुरंत अस्प ताल लेकर जायें। All Images - Getty

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