गर्भावस्था की 7 सामान्य समस्याओं से निपटने के टिप्स
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव होने के कारण कई तरह की सामान्य और गंभीर समस्यायें होती हैं, गंभीर समस्याओं के लिए चिकित्सक से सलाह लें, लेकिन सामान्य समस्याओं को आप आसानी से दूर कर सकती हैं।

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है। ऐसे में किसी के साथ सामान्य तो किसी के साथ गंभीर समस्यायें होती हैं। इन दोनों में कुछ समस्याएं सामान्य होती हैं जिनसे ज्यादातर सभी गर्भवती महिलाओं को गुजरना पड़ता है। हम आपको इस स्लाइड शो में उन सामान्य समस्याओं और उनके इलाज के बारे में बता रहें ताकि आप आसानी से उनका उपचार कर सकें।
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गर्भावस्था के दौरान उल्टी या मार्निग सिकनेस होना एक बहुत आम समस्या है जिसका सामना ज्यादातर सभी गर्भवती महिलाओं को करना पड़ता है। उल्टी आना एक अच्छा लक्षण भी हो सकता है, क्योंकि इसका अर्थ है कि शिशु का अच्छी तरह से विकास हो रहा है। ऐसे में आप ऐसे में आप जब भी बिस्तर से उठें तो धीरे से उठे। अपनी पीठ को सहारा देते हुए धीरे-धीरे बैठें। थोड़ा-थोड़ा खाएं, भोजन के साथ तरल पदार्थ न लें तथा ऐसी जगह पर रहें जहां खुला वातावरण हो।
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गर्भवती महिलाओं में इस दौरान हाथ पैरों में सूजन की समस्या भी देखी जाती है। जब आप गर्भावस्था के दौरान चलना बंद कर देते हैं तो आपका शरीर फूल जाता है। लगातार बैठे रहने से शरीर में पानी का जमाव बढ़ जाता है और यह शरीर के फूलने में मदद करता है। इसलिए थोड़े समय के अंतराल में चलते रहें और अपने डॉक्टर के अनुसार बताये गए कसरत करें, खाने में नमक की मात्रा कम रखें।
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गर्भावस्था के दौरान हार्मोंस में परिवर्तन और असुविधा के कारण अनिद्रा की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। अच्छी नींद के लिए सोने से पहले बहुत ज्यादा खाना न खाएं। एक बार में ज्यादा खाने से आपको अपच या छाती में जलन की शिकायत हो सकती है। सोने से पहले चाय, कॉफी या चॉकलेट आदि का सेवन न करें। इससे आपको नींद नहीं आएगी।
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दूसरे और तीसरी तिमाही के दौरान पेट दर्द एक सामान्य समस्या है क्योंकि इस दौरान श्रोणि बच्चे के लिए जगह बना रही होती है। जैसे-जैसे गर्भ में शिशु का विकास होता है और गर्भाशय फैलता है, गर्भवती महिला के शरीर के विभिन्न अंगों में दर्द भी बढ़ने लगता है। गर्भावस्था के दौरान पीठ दर्द से बचने के लिए लगातार एक ही मुद्रा में न रहें, चलती-फिरती रहें। पर्याप्त मात्रा में आराम करें और नींद लें। अपनी कमर को आराम देने के लिए थोड़ी बहुत नींद दिन में ही ले लीजिए।
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गर्भवस्था के दौरान महिलाओं को कब्ज की शिकायत रहती है। हार्मोन्स में आए बदलाव के कारण शरीर की पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है, गर्भावस्था के आखिरी दो तिमाही में आंतों पर गर्भाशय का दबाव कब्ज पैदा कर देता है। इससे निजात पाने के लिए रोजाना रेशेदार फल एवं सब्जियों व दालों का ज्यादा मात्रा में सेवन करें, पानी की कमी न होने दें।
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गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान आपको पैरों में दर्दनाक ऐंठन हो सकती है। पैरों की ऐंठन गर्भावस्था के दौरान शरीर का भार बढ़ने, तरल पदार्थ के इकट्ठा हो जाने और बहुत देर तक एक ही अवस्था में रहने के कारण होती है। इस परेशानी से बचने के लिए खूब सारा पानी पिएं और नियमित रूप से हल्का व्यायाम करें। धीरे-धीरे अपने पैरों की मांसपेशियों को खींचें।
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गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को स्ट्रेच मार्क्स हो जाते हैं। पेट का आकार बढ़ने पर त्वचा फैलती है, जिसके कारण स्ट्रेच मार्क्स होते हैं। ये निशान दूसरी तिमाही से पड़ने शुरू हो जाते हैं। स्ट्रेच मार्क्स से बचने के लिए संतुलित पोषक आहार का सेवन करें। ध्यान रखें कि शरीर में पानी की कमी न हो, जिससे त्वचा ढीली ना पड़े।
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इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।