हो जाएं सावधान! साइलेंटली डिप्रेस्ड महिलाएं करती हैं इस तरह व्यवहार
जो लोग साइलेंटली डिप्रेस्ड होते हैं, वे वास्तव में सिर्फ खुद से ही परेशान नहीं होते बल्कि इनमें कई तरह की परेशानियां होती हैं। ये दूसरों से घुलने मिलने से बचते हैं, दूसरों से ज्यादा बातें नहीं करते।

जो लोग साइलेंटली डिप्रेस्ड होते हैं, वे वास्तव में सिर्फ खुद से ही परेशान नहीं होते बल्कि इनमें कई तरह की परेशानियां होती हैं। ये दूसरों से घुलने मिलने से बचते हैं, दूसरों से ज्यादा बातें नहीं करते। यहां तक कि इनमें आत्मविश्वास की भी कमी होती है। इस तरह के लोग हमारे आसपास होते हैं, सामान्य व्यवहार करते हैं। लेकिन इसके बावजूद ये मन ही मन डिप्रेशन या अवसा से घिरे होते हैं। सवाल है इन्हें हम कैसे पहचानें? क्या इनका व्यवहार अन्य लोगों से भिन्न होता है? आइए इनके बारे में जानते हैं।

सर गंगा अस्पताल की साइकोलाजिस्ट डा. आरती आनंद कहती हैं, ‘ऐसी महिलाओं में अचानक देखा जाता है कि वे कम बोलने लगती हैं। वे दूसरों के साथ अपनी मन की बात साझा नहीं करतीं। जबकि डिप्रेशन में आने के पहले वह बिल्कुल इसके उलट थीं। वे सबके साथ अपने मन की बात शेयर करती थी। अचानक अगर इस तरह के बदलाव आते हैं, तो लोगों को नोटिस करना चाहिए और उस महिा विशेष की मदद करनी चाहिए ताकि वह अपने मन की बात शेयर कर सके।’

डा. आरती आनंद की मानें तो ऐसी महिलाएं डर से भी घिरी रहती हैं जो साइलेंटली डिप्रेस्ड होती है। असल में इसके पीछे वजह जानना अहम हो जाता है। जो महिला कामकाजी हैं, वे हो सकता है कि आफिस में हैरेसमेंट के कारण साइलेंटली डिप्रेस्ड हो गई हैं। लब्बोलुआब यह है कि आपके आसपास रहते हुए भी यदि कोई महिला अपनी बात कहते हुए अचानक डरने लगी है तो समझें कि वह डिप्रेशन का शिकार हैं।

जो महिलाएं साइलेंटली डिप्रेस्ड होती हैं, वे असल में हर समय नेगेटिविटी से घिरी रहती हैं। उनमें आप नोटिस करेंगी कि वह अकसर हर बात को घुमा-फिराकर नकारात्मकता की ओर ले जाएगी। साइलेंटली डिप्रेस्ड महिलाएं किसी भी स्तर पर खुद को पॉजीटिविटी के साथ नहीं जोड़ पाती। ऐसा नहीं है कि वे नहीं जानती कि वे नेगेटिविटी से घिरी हुई हैं। लेकिन वे चाहकर भी इस तरह की सोच से उबर नहीं पाती।

सर गंगा अस्पताल की साइकोलाजिस्ट डा. आरती आनंद कहती हैं, ‘एक बार यह पता चल जाए कि आपके साथ रह रही महिला साइलेंटली डिप्रेस्ड है तो उसका ट्रीटमेंट कराना बहुत जरूरी है। लेकिन पहले पहल उसकी घर में ही हीलिंग करें। उसके साथ प्यार से पेश आएं। उसके साथ उसकी दिल की बात कहें। हो सकता है कि वह आपसे अपने मन की बात साझा करने से कतरा रही है। बेहतर है कि आप उसे अपना समय दें। खासकर घर वालों को चाहिए कि हर समय उस महिला विशेष के आसपास रहें। उसकी समस्या को समझने की कोशिश करें।’
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साइकोलाजिस्ट डा. आरती आनंद कहती हैं, ‘अगर आप इस तरह की साइलेंटली डिप्रेस्ड महिला को अपने स्तर पर ठीक नहीं कर पा रहे हैं तो बेहतर किसी काउंसलर की मदद लें। किसी साइकोलाजिस्ट के पास जा सकती हैं। वे पहले स्तर पर बातचीत करके इस समस्या का समाधान खोजेगा। अगर तब भी समस्या का निदान न हो तो मरीज को दवाई भी दी जा सकती है। लेकिन यह सबसे आखिरी विकल्प होता है। हमें साइलेंटली डिप्रेस्ड महिलाओं को प्यार और सद्भावना से ही ठीक करना चाहिए।’
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