काम को टालना क्या आपकी भी है आदत
प्रोक्रैस्टीनेटर एक प्रकार की मानसिक समस्या है, जिसमें व्यक्ति काम को टालने की कोशिश करता और यह उसकी आदत भी बन जाती है। ऐसे लोगों में दूरदर्शिता का अभाव होता है और वे समय का प्रबंधन भी नहीं कर पाते।

काम को टालना
काम को टालना, काम में मन न लगना, दूसरों की बात सुनकर नजरअंदाज करना, दिनचर्या का पालन न करना। यदि आप भी इनमें से एक हैं तो आप प्रोक्रैस्टीनेटर यानी काम को टालने वालों में से एक हो सकते हैं। यह एक प्रकार की मानसिक समस्या भी हो सकती है। एडीएचडी (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर) से ग्रस्त लोगों में यह समस्या अधिक देखी जाती है। तो काम को टालने वालों के कुछ सामान्य लक्षण होते हैं।
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दूरदर्शिता का अभाव
काम को टालने वालों में दूरदर्शिता नहीं होती। ऐसे लोग फायदे और नुकसान को देखे बगैर एक ही काम को बार-बार दोहराते हैं। वे इस बात पर विचार नहीं करते कि उनके इस व्यवहार का किसी पर क्या असर पड़ेगा। या उन्हें ही इससे किस प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
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समय का प्रबंधन न कर पाना
प्रोक्रैस्टीनेटर की समस्या से ग्रस्त लोगों की यह शिकायत हो सकती है कि किसी काम को कर न पाने के पीछे समय की कमी रही है। दरअसल समय की कमी की बात करके वे काम को टाल देते हैं। ऐसे लोग समय का प्रबंधन सही तरीके से नहीं कर पाते हैं।
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अकेला होना
अगर आपसे पिछले एक या उससे अधिक महीने से किसी दोस्त ने संपर्क नहीं किया तो इसके पीछे आपका आलस्यपूर्ण रवैया और काम को टालने वाली आदतें हो सकती हैं। ऐसे लोग खुद को इस समाज में अकेला पाते हैं, क्योंकि उनकी आदतों के कारण लोग उनसे दूर जाने की कोशिश करते हैं।
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थकान की शिकायत
प्रोक्रैस्टीनेटर से ग्रस्त लोग थकान को अपना सबसे बड़ा हथियार मानते हैं। वे किसी काम की शुरूआत में ही थकान का बहाना बनाकर उसे टालने की कोशिश करते हैं।
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वातावरण का बहाना
ऐसे लोग अकसर काम न कर पाने के पीछे आसपास के माहौल को जिम्मेदार ठहराते हैं। वे अपनी गलतियों को नजरअंदाज करने लगते हैं। उनकी शिकायत होती है कि आसपास का माहौल उन्हें परेशान करता है। जैसे ही वे काम की शुरुआत करते हैं माहौल के कारण उसे ठीक तरीके से कर नहीं पाते। किंतु वास्तव में ये सब चीजें इतनी परेशान करने वाली होती नहीं हैं।
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अटपटे काम पर ध्यान देना
आपको जो काम दिया गया है उसे करने में आपकी कोई रुचि नहीं है। इस काम को करने में आपका मन बिलकुल नहीं लगता है। इसके अलावा आप अटपटे और बेकार के कामों में अपना दिल और समय लगाते रहते हैं। ऐसे काम अधिक करते हैं जिसका संबंध नियमित दिनचर्या से बिलकुल भी नहीं। जैसे - ऑफिस में रहकर मूवी देखना, कंप्यूटर में गेम खेलना आदि।
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कठिन लगता है
प्रोक्रैस्टीनेटर से ग्रस्त लोग साधारण से काम को भी कठिन मानते हैं। अगर उन्हें सामान्य सा काम करने के लिए दिया जाये तो वे सोचते हैं कि यह दुनिया के सबसे कठिन कामों में से एक है और यह करना उनके बस का नहीं है।
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