मैदे के नुकसान

मैदे के कई साइड इफेक्‍ट होते हैं, जो लंबे समय तक प्रयोग करने के बाद ही पता चलते है। मैदा एक परिष्कृत गेहूं का आटा है। मैदा बनाने के लिए गेहूं के ऊपरी छिलके हटाए जाते हैं। उसके बाद बचे हुए सफेद हिस्से को बारीक पीसकर मैदा बनता है। जबकि सबसे ज्यादा न्यूट्रिएंट्स गेहूं की इसी परत में होते हैं जो मैदा बनते समय पूरी तरह निकल जाते हैं। छिलका हटने से मैदे में फाइबर बिल्कुल नहीं होता। फिर इसके बाद इसे बेंजोइल पेरोक्साइड ब्‍लीच किया जाता है जिससे इसको साफ और सफेद रंग और टेक्‍सचर दिया जाता है। आइए मैदे के स्‍वास्‍थ्‍य पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव के बारे में जानते हैं।
डायबिटीज का खतरा

मैदा खाने से शुगर लेवल तुरंत ही बढ़ जाता है, क्‍योंकि इसमें बहुत ज्‍यादा हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्‍स होता है। तो अगर आप बहुत ज्‍यादा मैदे का सेवन करते हैं, तो पैंक्रियास की फिक्र करना शुरु कर दें।
मोटापा बढ़ायें

मैदा में स्‍टार्च की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसलिए इसे खाने से मोटापा बढ़ता है। बहुत ज्‍यादा मैदा खाने से शरीर का वजन बढ़ना शुरु हो जाता है। यही नहीं इससे कोलेस्‍ट्रॉल और ब्‍लड में ट्राइग्‍लीसराइड स्‍तर भी बढ़ता है। इसलिए अगर आप अपना वजन कम करना चाहते हैं तो यदि अपने आहार में से मैदे को हमेशा के लिये हटा दें।
पेट की समस्या और फूड एलर्जी

मैदा पेट के लिए अच्‍छा नहीं होता है, क्‍योंकि इसमें डाइट्री फाइबर बिलकुल भी नहीं होता, इसलिए जब कोई मैदे से बनी सामग्री का सेवन करता है तो ये पूरी तरह से पच नहीं पाता है। सही से पाचन न हो पाने के कारण इसका कुछ हिस्सा आंतों में ही चिपक जाता है और कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकता है। इसके सेवन से अक्सर कब्ज की समस्या हो जाती है। मैदे में भारी मात्रा में ग्‍लूटन पाया जाता है जो खाने को लचीला बना कर उसको मुलायम टेक्‍सचर देता है, फूड एलर्जी का कारण बनता है।
हड्डियां और इम्यूनिटी में कमजोरी

गेहूं से मैदा बनाते समय इसमें से प्रोटीन निकाल लिया जाता है, जिसके कारण यह एसिडिक बन जाता है जो हड्डियों से कैल्‍शियम को खींच लेता है। इससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। इसे खाने से मसल्‍स कमजोर होती है और अर्थराइटिस की संभावना बढ़ जाती है। मैदे के नियमित सेवन से शरीर का इम्‍यून सिस्‍टम कमजोर हो जाता है और बार-बार बीमार होने की संभावना बढ़ने लगती है। Image Source : Getty