7 कारणों से घास पर चलना स्वास्थ्य के लिए है लाभदायक
चलने के फायदे सभी को पता होंगे और यह एक तरह का व्यायाम भी है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नंगे पैर घास पर चलना आपके स्वास्थ्य के लिहाज से कितना फायदेमंद है। तो आइए जानते हैैं कि हर रोज सुबह घास पर चलने के क्या फायदे हैं।

सुबह के समय की जाने वाली वॉक स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। इससे आपके स्वास्थ्य को कई फायदे होते हैं। अक्सर डाक्टर भी आपको सुबह सैर करने यानि कि मॉर्निंग वॉक करने की सलाह देते हैं। सुबह की ताजी हवा और हरी घास में की जाने वाली सैर से आप तनावमुक्त, चुस्त-दुरूस्त व स्वास्थ रहते हैं। सुबह हरी घास में की जाने वाली सैर व्यक्ति को कई बीमारियों से बचाती है। आखों की रौशनी की बात हो या दिल की बीमारी की कोई समस्या हरियाली के बीच टहलने के फायदे ही फायदे हैं। इसके अलावा अगर आप हरी घास में नंगे पैर चलते हैं, तो इससे आपके शरीर को एनर्जी और मन शांत होता है और पैरों से जुड़ी समस्याएं भी दूर होती हैं। सुबह-सुबह हरे-भरे वातावरण में नंगे पैर चलना एक अच्छा व्यायाम भी है।

आप जितनी देर और जितना अधिक हरियाली के बीच रहेंगे, उतने ही स्वस्थ और तनावरहित रहेंगे। हरियाली का प्रभाव हमें सुरक्षा का एहसास दिलाता है, जो धीरे-धीरे मांसपेशियों का खिंचाव कम करता है और तनावरहित बनाता है। ग्रीन थेरेपी से मस्तिष्क की शक्ति भी बढ़ती है।

मधुमेह रोगियों के लिए हरियाली के बीच बैठना, टहलना और उसे देखना बहुत अच्छा माना जाता है। ऐसे लोगों में कोई भी घाव आसानी से नहीं भरता, परन्तु मधुमेह रोगी यदि हरियाली के बीच रह कर नियमित गहरी सांस लेते हुए टहले तो शरीर में ऑक्सीजन की पूर्ति होने से समस्या से निजात पाया जा सकता है।

ग्रीन थेरेपी का मुख्य अंग है हरी-भरी घास पर नंगे पैर चलना या बैठना। सुबह-सुबह ओस में भीगी घास पर चलना बहुत बेहतर माना जाता है। जो पांवों के नीचे की कोमल कोशिकाओं से जुड़ी तंत्रिकाओं द्वारा मस्तिष्क तक राहत पहुंचाता है। घास पर कुछ देर प्यार भरी भावना से बैठ जाने से तनाव, एलर्जी और छींक तक दूर हो जाती है।

सुबह-सुबह ओस में भीगी घास पर चलने से आंखों की रोशनी भी तेज होती हैं। जो लोग चश्मा लगाते है कुछ दिन नंगे पैर हरी घास पर चलने से उनका चश्मा उतर जाता है या चश्मे का नम्बर कम हो जाता है। ये भी ग्रीन थेरेपी का चमत्कार है।

जो लोग देर तक प्रदूषित वायु के संपर्क में रहते है, उनमें सांस रोग होने की संभावना ज्यादा होती है, यह वायु उनके मस्तिष्क पर भी असर डालती है। व्यक्ति में याद रखने की क्षमता घटने लगती है। यहां भी ग्रीन थेरेपी काम आती है। यदि आप अपने कार्यस्थल के आस-पास हरियाली रखेंगे, तो प्रदूषणकारी तत्व आप तक नहीं पहुंच पाएंगे।

उच्च रक्तचाप के सभी रोगियों को प्रतिदिन सूर्योदय के समय भ्रमण के लिये किसी पार्क में जाकर एक घंटे शुद्ध वायु के वातावरण में प्रतिदिन बैठने व इसी अवधि में ओस पडी हरी घास पर कुछ समय नंगे पैर नियमित चलने से पर्याप्त लाभ मिलता है।

ग्रीन थेरेपी से शरीर में ऊर्जा का निर्माण होता है। हरियाली के बीच टहलने पर पसीना निकलता जिससे शरीर में जमा वसा जलती और ऊर्जा मिलती है। टहलते हुए जब शरीर अतिरिक्त ऑक्सीजन की मांग करता है तो हृदय तेजी से पंपिंग करता है और जल्दी से फेफड़ों से ऑक्सीजन की सप्लाई मांगता है। ऐसे करने से हृदय और फेफड़े दोनों का काम होता हैं। इसे कहते हैं ग्रीन थेरेपी का कमाल।
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