काली या भूरी? जानें, आंखों का कौन का रंग है स्वस्थ शरीर का संकेत

आखें आपके दिल का ही नहीं सेहत का भी हाल बताती है। कभी ध्यान से देखिये इनमें आपको थके होने का पता चलेगा और दूसरी बीमारियों का भी, आइए हम आपको बताते हैं कैसे ये आपके सेहत के राज खोलती हैं।

Rashmi Upadhyay
Written by:Rashmi UpadhyayPublished at: Jan 19, 2018

आखों से सेहत का राज

आखों से सेहत का राज
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सुबह उठकर आप फ्रेश फील नहीं करते, यही नहीं, आपको छोटी-छोटी बात पर गुस्सा आ जाता है, तो यह लक्षण स्लीप सिंड्रोम के हैं। कई लोगों को नींद न आने से ऐसी दिक्कतें आने लगती हैं। रुटीन सही न रहना, चाय व कॉफी अधिक पीना, ज्यादा ऐल्कॉहॉल लेना, इंटरनेट, लेट नाइट पार्टी, सोने का समय फिक्स न रखना वगैरह से भी स्लीप डिसऑर्डर होता है। इन सबका पता आपकी आंखों से चल जाता है कि आप बीमार है या नहीं।Image Source-Getty

रैपिड आई मूवमेंट

रैपिड आई मूवमेंट
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रैपिड आई मूवमेंट ज्यादातर उन लोगों का होता है जिनमें धैर्य नहीं होता है। वे बहुत जल्दी निर्णय लेने मे भरोसा रखते है। शोध बताती है कि रैपिड आई मूवमेंट और नर्वस सिस्टम के बीच एक पारस्परिक संबंध होता है। ये फैसला करते समय आखों के घूमाव-फिराव मे स्थिरता लाते है। Image Source-Getty

प्लाडिंग आई

प्लाडिंग आई
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प्लाडिंग आई मूवमेंट में आखों का संबंध दिमाग से कम होता है। अक्सर हम किताब पढ़ते समय उसे एक सिरे से दूसरे सिरे तक पढ़ते जाते है पर हमारा दिमाग उसको स्टोर नहीं करता है। ना हीं दिमाग उसका आकलन करने की कोशिश करता है। इसे प्लाडिंग आई मूवमेंट कहा जाता है। सामान्यत हम जब कुछ पढ़ते है तो दिमाग उसका आकलन कर उसे समझने मे आसान बनाता है। Image Source-Getty

स्लो आई मूवमेंट

स्लो आई मूवमेंट
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स्लो आई मूवमेंट थकान का संकेत होता है। जो लोग रांउड द क्लॉक काम करते है अक्सर उनकी आखों का मूवमेंट धीरे होता है। दरअसल ये थकान का असर होता है। शरीर को ठीक से आराम ना मिल पाने के कारण उसका कार्य प्रभावित होने लगता है।   Image Source-Getty

नॉन-पिड आई मूवमेंट

नॉन-पिड आई मूवमेंट
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गहरी नींद यानी नॉन-पिड आई मूवमेंट स्लीप और कच्ची नींद, जिसे सपनों वाली नींद भी कहते हैं। अगर नॉन-पिड आई मूवमेंट स्लीप 6 घंटे की भी आ जाए, तो बॉडी रिलैक्स हो जाती है, लेकिन 9-10 घंटे की कच्ची नींद के बावजूद बॉडी थकी ही रहती है। Image Source-Getty

क्या है स्लीप डिस्ऑर्डर

क्या है स्लीप डिस्ऑर्डर
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नींद ना आने की कई वजहें हैं। रुटीन सही न रहना, चाय व कॉफी अधिक पीना, ज्यादा ऐल्कॉहॉल लेना, इंटरनेट, लेट नाइट पार्टी, सोने का समय फिक्स न रखना वगैरह से भी स्लीप डिस्ऑर्डर होता है। हालांकि खासतौर पर लोगों में चार तरह के स्लीप डिस्ऑर्डर देखने में आते हैं।Image Source-Getty

क्यों होता है यह

क्यों होता है यह
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स्लीप डिस्ऑर्डर बेसिकली तनाव, चिंता और डिप्रेशन की वजह से होता है। इसके अलावा, शरीर में होने वाला दर्द भी नींद न आने की वजह होता है।  दरअसल, अवेयरनेस ना होने की वजह से लोग खर्राटे लेना और अच्छी नींद ना आना जैसी प्रॉब्लम्स को मामूली चीज समझ लेते हैं और डॉक्टर को नहीं दिखाते।Image Source-Getty

रुटीन करें फिक्स

रुटीन करें फिक्स
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सोने का समय फिक्स रखें। सही टाइमिंग्स ना होने की वजह से भी अच्छी नींद नहीं आती। कभी-कभी टाइमिंग्स का बिगड़ना तो चल जाता है, लेकिन ऐसी हैबिट होने पर नुकसान ही पहुंचता है। इसके अलावा, दिन में बहुत घंटे सोना भी रात को अच्छी नींद ना आने की एक वजह है।Image Source-Getty

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