पुरुषों को जल्दी घेरती हैं ये 6 जानलेवा बीमारियां
जिस तरह महिला और पुरुष की शारीरिक संरचना में बहुत अंतर ही ठीक उसी तरह ये दोनों और भी कई मायनों में एक दूसरे के विपरित है।

जिस तरह महिला और पुरुष की शारीरिक संरचना में बहुत अंतर ही ठीक उसी तरह ये दोनों और भी कई मायनों में एक दूसरे के विपरित है। जैसे कि कुछ बीमारियां ऐसी हैं जो पुरुष को जल्दी अपना शिकार बनाते हैं। कई बीमारियां बढ़ती उम्र के पुरुषों को अपना शिकार बनाती हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी ही बीमारियों के बारे में बता रहे हैं जो पुरुषों को 50 वर्ष की आयु के बाद हो सकती हैं।

बढ़ती उम्र के पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर होना बहुत ही आम चीज हो जाती है। इसमें प्रोस्टेट में जाने वाले रक्त में एंटीजन की मात्रा बढ़ जाती है। इस कैंसर के बढ़ने में फैट, पुरुष नसबंदी, यौन गतिविधियां और परिवारिक इतिहास भी प्रमुख कारक होते हैं। लगभग पचास की उम्र के बाद हर साल प्रोस्टेट कैंसर की जांच करानी चाहिए।

हृदय रोग भी महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा होता है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, 50 वर्ष की उम्र पार कर चुके पुरुषों को हृदय रोग होने का खतरा लगभग 40 से 50 फीसदी तक बढ़ जाता है। इस उम्र में रक्त वाहिनियां संकरी और सख्त हो जाती हैं। इनकी दीवारों पर प्लाक जम जाता है और दिल को जाने वाले ब्लड फ्लो पर असर पड़ता है।

जांघ के विशेष हिस्से की मांसपेशियां कमजोर होने के कारण पेट के हिस्से बाहर निकल आने को हर्निया कहते हैं। वैसे तो यह समस्या पुरुषों व महिलाओं दोनों में होती है, लेकिन पुरुषों में पेट के निचले हिस्से का हर्निया अधिक पाया जाता है। खासतौर पर पचास साल की आयु के बाद यह समस्या अधिक देखी जाती है।

हालांकि ये कैंसर भारत की तुलना में अमेरिका के लोगों को ज्यादा है। अमेरिका में कैंसर के कारण होने वाली मौतों का दूसरा बड़ा कारण भी यही है। कोलोन कैंसर में बड़ी आंत प्रभावित होती है। बेलगाम सेलों की ग्रोथ से शौच के रास्ते में ट्यूमर बन जाता है। शौच के साथ यह ट्यूमर छिलने लगता है जिससे रक्त आता है और व्यक्ति में रक्त की भी कमी होने लगती है।

डिप्रेशन की चपेट में तो आजकल ना सिर्फ महिलाएं और पुरुष हैं बल्कि बच्चे भी हैं। डिप्रेशन 50 वर्ष से ऊपर के पुरुषों में होने वाली एक आम मानसिक समस्या हो जाती है। इस उम्र में अधिकतर पुरुष अवसादग्रस्त होने लगते हैं। इसके लिए क्रियाशीलता, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, काम में गिरावट और आसपास के लोगों के दृष्टिकोण में होने वाले बदलाव जिम्मेदार हैं।
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