टीनएजर्स कभी नहीं बताते अपने ये सीक्रेट्स!
टीनएज जीवन का बदलावों और नई चीजों से भरा दौर होता है। ऐसे में कई सही और गलत चीजें होना लाज़मी है। इस उम्र में टीनएजर्स के कई ऐसे राज़ भी होते हैं, जिन्हें वे ज़ाहिर नहीं करते।

टीनएज जीवन का एक ऐसा पड़ाव होता है, जो बदलावों और नई चीजों से भरा होता है। ऐसे में कई सही और गलत बातें होना स्वाभाविक होता है। तो मुमिकिन है कि इस उम्र में टीनएजर्स के कई ऐसे राज़ भी होते हैं, जिन्हें वो किसी से शेयर नहीं करना चाहते हैं। यही कारण है कि कुछ समय पहले तक पेरेंट्स अपने बच्चों की प्राइवेट लाइफ जानने के लिए उनकी सोशल नेटवर्किग साइट्स की गतिविधियों पर नजर रखने लगे थे। लेकिन टीनएजर्स के पास इससे बचने के भी कई विकल्प होते हैं। लेकिन आज हम आपको टीनएजर्स के कुछ ऐसे ही सीक्रेट्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में में अमूमन वे लोगों को नहीं बताते हैं।
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टीनएज में अक्सर प्यार और आकर्षण के बीच का फर्क समझ नहीं आता, या कहिये कि उम्र के इस दौर में टीनएजर्स का आकर्शण प्यार पर भारी पड़ जाता है। ऐसे में गलती होना स्वभावि है, और टीनएजर्स ऐसी कुछ गलतियों को राज़ रखना ही पसंद करते हैं।
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वास्तव में पिछली बार आपने अपनी जीन्स को कब धोया था, वे सच-सच बताने में टीनएजर्स थोड़े अनकम्फर्टेबिल रहते हैं। खासतौर पर लड़के तो इस राज़ को राज़ ही बनाकर रखना चहते हैं। तो अगली बार जब कोई टीनएजर्स इस विषय पर हिचकिचाये तो समझ लीजियेगा कि हो सकता है कि उसकी जीन्स को धुले एक हफ्ता या ज्यादा हो चुका है।
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अक्सर टीनएजर्स पहली बार हुई कुछ खास चीजों को राज़ ही रखना चाहते हैं। जैसे पहला क्रश, पहला क्रश और पहला......। तो वे इन खास बातों को केवल कुछ खास लोगों से ही शेयर करते हैं और आमतौर पर राज़ ही रखते हैं।
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लगभग हर टीनएजर के पास किसी सच को छुपाने के लिए एक खुद द्वारा बनायी गई एक काल्पनिक कहानी होती है। जो संभवतः पूरे जीवनभर एक राज़ ही बन कर भी रह सकती है। लेकिन इस कहानी के पीछे एक सच भी होता है।
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कौमार्य अर्थात वर्जिनिटी एक ऐसा राज़ है, जिसे शायद हर टीनएजर छुपाकर रखता है और किसी को नहीं बताता। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इस बात को राज़ बनाए रखने की वे पूरी कोशिश करते हैं।
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टीनजर्स के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके शोशल नेटवर्किंग साइट्स की सुरक्षा से जुड़ी, चीजें जैसे आईडी, पासवर्ड और आकाउंट प्राइवेसी सेटिंग्स को कोई भी टीनजर साझा नहीं करना चाहता। ये उनके खास राज़ों में से होते हैं।
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अक्सर देखा जाता है कि किशोर भूतकाल में हुए या वर्तमान में हो रहे शारीरिक या मानसिक शोषण के बारे में नहीं बताते हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। लेकिन ये बात राज़ रखना जोखिम भरा होता है, जिसका परिवार जनों को विशेष ध्यान रखना चाहिए।
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हाल में हुए एक शोध से पता चला कि पेरेंट्स व अन्य लोगों के डर से किशोरों ने अपनी सीक्रेट ऑनलाइन लैंग्वेज डवलप की है। इसमें दो तरह की कोड भाषाओं का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें से एक में टीनएजर्स अपनी बातचीत के बीच दूसरे शब्दों को जोड़कर कॉन्फिडेंशियल बातचीत करते हैं। वहीं दूसरी ऑनलाइन लैंग्वेज है, जिसमें बड़ी लाइंस के पर्टिकुलर एक शब्द को चैटिंग के दौरान इस्तेमाल किया जाता है।
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