रिलेशनशिप और उम्र का फासला

हमारी मान्‍यतायें, हमारी परंपरायें और हमारे विचारों को विज्ञान ने भी मान्‍यता दी है तो आप इसे नकारने में क्‍यों लगे है। शादी को लेकर पहले यह परंपरा थी की दो लोगों के बीच के उम्र में अंतर तो होना ही चाहिए। सामान्‍यतया पहले की शादी में कम उम्र की लड़की होती थी और लड़के की उम्र अधिक होती थी। इसका सबसे ज्‍यादा सकारात्‍मक असर दांपत्‍य जीवन पर पड़ता है और ऐसी शादियां अधिक खुशहाल होती हैं। आइए हम आपको बता रहे हैं आखिर शादी के बीच में उम्र का फासला क्‍यो जरूरी है।
बायोलॉजिकल तर्क जानें

विज्ञान जिस बात को मान लेता है वह सत्‍य होता है, क्‍योंकि विज्ञान तर्क नहीं प्रमाण के आधार पर मान्‍यता देता है। शादी के बीच के उम्र को लेकर भी यही बॉयोलॉजिकल तर्क हैं। इनके अनुसार पुरुषों में ढलती उम्र के लक्षण महिलाओं की तुलना में देर से नजर आते हैं। जबकि पुरुषों की तुलना में महिलाएं जल्दी उम्रदराज नजर आने लगती हैं, ऐसे में उनका उम्र में छोटा होना ही सही है।
भावनात्मक तर्क भी हैं

उम्र बढ़ने के साथ व्‍यक्ति की सोच और विकसित होने लगती है, वह चीजों को अच्‍छे से समझने लगता है और किसी चीज में संतुलन सही तरीके से बना सकता है। चाहे वह शादी हो या दूसरी चीजें। क्‍योंकि एज-गैप होने से रिलेशनशिप का संतुलन बना रहता है, और ऐसे रिश्ते हमेशा तरोताजा बने रहते हैं।
आर्थिक रूप से भी सुरक्षित है

रिश्‍ते को खुशहाल बनाये रखने के लिए आर्थिक सुरक्षा बहुत जरूरी होती है। यह स्थायित्व उम्र के साथ आता है, अगर कोई शख्स अभी स्ट्रगल ही कर रहा है या फिर उसने अभी-अभी नौकरी शुरू की है तो उसे घर संभालने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इस लिहाज से देखा जाए तो शादी के लिए पुरुष और महिला के उम्र में थोड़ा अंतर होना जरूरी है।
रिश्ते से संबंधित दूसरे मुद्दे

कोई भी रिश्‍ता तभी अच्‍छा होगा जब इसमें सभी समस्‍याओं का समाधान सोच-विचार कर किया जायेगा और पक्षपात नहीं होगा। लेकिन अगर बात छोटे और बड़े की आती है तो यहां लाड और दुलार आ जाता है। ऐसे में अगर लड़की की उम्र कम और लड़के की उम्र अधिक होगी तो आदर और प्‍यार दोनों साथ रहेंगे, जो कि रिश्‍ते को बेहतर बनाने के लिए बहुत जरूरी हैं।