कॉलेज के दिनों में वापिस जाने के कारण
ढेर सारे दोस्त बनाना, खूब मस्ती करना, तनाव का नामोनिशान नहीं, यानी कॉलेज के सुहाने दिन जिसमें आज भी वापिस जाने का मन करता है।

वो सुहाने और हसीन दिन जब आपके ऊपर कोई जिम्मेदारी नहीं थी, पैरेंट्स का कोई दबाव नहीं था, बस साथ थीं तो किताबें और ढेर सारे दोस्त। कभी न खतम होने वाली पार्टियां, नॉनस्टॉप मस्ती, क्लास बंक करके फिल्म देखने जाना, हर पंगे में टांग लगाना, कुल मिलाकर बेबाक और बिंदाज जीवन यानी कॉलेज के दिन। इस व्यस्त दिनचर्या में हम अक्सर अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हैं तो मन करता है कि काश वो दिन फिर से वापिस आ जायें।
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स्कूल से कॉलेज में दाखिला लेने के बाद शुरू होती है आपकी नयी जिंदगी की शुरूआत, ऐसी शुरूआज जो आपके जीवन के मायने को बदल देती है, आपको जिम्मदेारी का एहसास भी कुछ हद तक कराती है और सबसे बड़ा एहसास यह होता है कि आप बड़े हो गये। यानी कॉलेज में कदम रखने के बाद आप जवानी की दहलीज पर कदम रखते हैं। ऐसे दिन को भला कौन भूल सकता है।
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जब भी आप शॉपिंग करने किसी मॉल में जाते हैं तब आपको अपने स्कूल के दिन याद आते हैं, वो दिन जब आप स्कूल का यूनीफार्म पहनकर बोर हो गये थे। लेकिन उसके बाद जब आप कॉलेज में दाखिला लेते हैं तब आपको स्कूल ड्रेस नहीं पहनना पड़ता, यानी यह वो समय होता है जब कॉलेज जाते समय आपके कई विकल्प होते हैं।
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कॉलेज में प्रवेश करने के बाद घरवाले भी मान लेते हैं कि उनका लाडला/लाडली बड़ी हो गई। आपकी सोच और समझदारी पर आपके घरवालों पर भरोसा भी हो जाता है। यानी अब आप चाहें तो अपने दोस्तों के साथ खूब मस्ती कर सकते हैं, अपने किसी दोस्त के घर रुक सकते हैं। लेकिन गृहस्थी संभालने के बाद वो संभव नहीं, ऐसे में आप अपने उन दिनों को याद करके यही सोचेंगे कि काश वो दिन फिर से आ जाते।
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काम के दौरान आपके साथ काम करने वाले लोग ऐसे होते हैं जो केवल अपना हित देखते हैं, ऐसे में आपको कॉलेज के वो दिन याद आते हैं जब रोज नये दोस्त बनते थे और आपके बीच किसी भी प्रकार द्वेश और स्वार्थ की भावना नहीं होती थी।
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ऑफिस का कोई काम करना आप भूल गये हैं तो बॉस की डांस आपको खानी पड़ती है। इस समय आपको वो दिन याद आते हैं जब कॉलेज बंक करना आपकी सबसे अच्छी आदतों में शुमार हुआ करता था। लेक्चर बंक करके मस्ती करते वक्त आपको कोई रोकने और टोकने वाला नहीं था।
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कॉलेज में कैंटीन का वो खाना जिसके लिए आपको कोई मेन्यू नहीं देखना पड़ता था, बस कुछ ही विकल्प होते थे लेकिन वो आपका सबसे प्रिय व्यंजन हुआ करता था। किसी बड़े रेस्टोरेंट में सलीके से खाना खाते वक्त आपको वो दिन तो याद ही आयेंगे जब बिना हाथ साफ किये आप अपने दोस्तों की थाली में झपट्टा मारते थे।
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कॉलेज में दाखिले के बाद हॉस्टल आपका नया घर होता है, और आपके हॉस्टल में रहने वाले आपके साथी आपके नये घरवाले बनते हैं। एक छोटा सा कमरा उसमें बिखरी किताबें, बेड पर बिखरे हुए कपड़े, बेढंगे तरीके से सोया हुआ आपका रूममेट, इन सबको याद करके बेबस ही उस टाइम में वापिस जाने का मन करता है।
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3 इडियट्स, यारियां, मै हूं ना आदि कई ऐसी फिल्में हैं जिन्हें देखने के बाद आपको बेबस ही अपने कॉलेज के दिन याद आते हैं। वो दिन जब आप दोस्तों से चंदा इकक्ठा करके फिल्म देखने जाया करते थे।
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कॉलेज के दिन में आपके साथ दोस्तों का एक लम्बा जमावड़ा तो था साथ ही आपके साथ कभी न खतम होने वाली बातों का दौर भी हुआ करता था। वो वक्त जब बिना मुद्दे के आप घंटों बात किया करते थे और आपको टोकने वाला कोई भी नहीं होता था, बात के दौरान कोई भी ऐसा नहीं होता था जो गलतियां निकाले।
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पहला प्यार सबसे पहले कॉलेज में ही होता है, कुछ को अपनी क्लास की लड़की पसंद आती है तो कुछ अपनी टीचर की अदाओं पर मरते हैं। यानी ये वह समय होता है जब आपका प्यार परवान चढ़ता है, दोपहर में कैंटीन में बैठकर एक-दूसरे को ताकना, घंटों तक मोबाइल पर बातें करना, क्लास के बहाने बाहर घूमने जाना, ये सब कॉलेज के दिनों में ही हो सकता है।
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