जानें क्यों नॉन-स्मोकर्स युवाओं की तुलना में अधिक जीते हैं पुराने स्मोकर्स
धूम्रपान करना खतरनाक होता है, यह सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं पुराने स्मोकर्स युवा नॉन-स्मोकर्स की तुलना में अधिक जीते हैं, आइए हम बताते हैं ऐसा कैसे होता है।

स्मोकर्स और नॉन-स्मोकर्स
स्मोक करने से कैंसर हो जाएगा, हार्ट-अटैक से मर जाओगे, उम्र घट जाएगी... आदि कई बातें सिगरेट पीने वालों को सुनाई जाती हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। हाल ही में किए गए कई शोधों से पता चला है कि स्मोकिंग न करने वालों की तुलना में स्मोक करने वाले लोग अधिक जीते हैं और टेंशन फ्री रहते हैं। मतलब की स्मोकिंग के भी अपने फायदे हैं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हर कोई स्मोक करने लगे। इसका फायदा तभी होता है जब आपका शरीर ध्रुमपान की आदत को झेलने लग जाता है।

घुटनों की री-प्लेसमेंट सर्जरी का खतरा होता है कम
आस्ट्रेलिया के एडिलेड यूवर्सिटी के अनुसार स्मोकर्स की तुलना में नॉन-स्मोकर्स को घुटनों की री-प्लेसमेंट सर्जरी का अधिक खतरा होता है। स्टडी के अनुसार घुटनों और जोड़ों की दर्द की समस्या सुबह-सुबह दौड़ने वालों और परेशान रहने वालों में अधिक होती है। जबकि देखा गया है कि स्मोकर्स कम दौड़ते हैं और तनाव में भी कम रहते हैं जिन कारण इनमें जोड़ों की समस्या नहीं होती।

पार्किंसन का रोग स्मोकर्स को नहीं होता
जर्नल न्यूरॉली के अध्ययन के अनुसार जो स्मोक करते हैं उनमें पार्किंसंस रोग का खतरा ना के बराबर होता है। खासकर तो जो लंबे समय से स्मोक कर रहे हैं उनका शरीर में पार्किंसंस रोग के खिलाफ अच्छी तरह से लड़ पाता है। 2007 में न्यूरॉलॉजी में छपी हार्वर्ड के रिसर्च के अनुसार भी यह माना गया था कि स्मोक करने वाले में पार्किंसन रोग ना के बराबर मिलते हैं।

नॉन-स्मोकर्स मं लंग कैंसर का खतरा ज्यादा
फ्रांस के जनरल हॉस्पीटल रेस्पीरेटरी फीजिशियन रिसर्च के अनुसार पिछले कुछ सालों से स्मोकर्स की तुलना में स्मोक नहीं करने वाले और महिलाओं में लंग कैंसर के खतरे बढ़े हैं। 2000 में 7.9 प्रतिशत नॉन-स्मोकर्स में लंग कैंसर पाया गया था जो अब बढ़कर 11.9 प्रतिशत हो गया है। जबकि 16 प्रतिशत महिलाओं से बढ़कर 24.4 प्रतिशत महिलाओं में लंग कैंसर पाया गया है।

दिल की दवा को बेहतर बनाने में मदद
कोरियन रिसर्च, जो कि 2009 में प्रकाशित हार्वर्ड के शोध पर आधारित है, के अनुसार एक दिन में कम से कम 10 सिगरेट पीना फायदेमंद होता है। सिगरेट का धुंआ शरीर के अंदर के प्रोटीन को एक्टिवेट कर देता है जिसे साइटोक्रोम्स कहते हैं जो कि क्लोपीडोगरल में परिवर्तित हो जाती है। क्लोपीडोगरल दिल की एक दवा है।
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