रक्‍तदान बचा सकता है किसी के प्राण

रक्‍तदान को महादान कहा जाता है, यह किसी को जिंदगी देता है साथ ही आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिहाज से भी फायदेमंद है, जानिए कैसे।

Bharat Malhotra
Written by:Bharat MalhotraPublished at: Apr 11, 2013

क्‍यों जरूरी है रक्‍तदान

क्‍यों जरूरी है रक्‍तदान
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भारत में हर दो सेकेण्‍ड पर किसी व्यक्ति को रक्‍त की आवश्‍यकता होती है। महज 450 मिली रक्‍त कम से कम तीन लोगों का जीवन बचा सकता है। एक अनुमान के अनुसार तीन में से एक व्‍यक्ति को अपनी जिंदगी में कभी न कभी रक्‍त की जरूरत पड़ती है। तकनीक के इस दौर में भी रक्‍त का कोई विकल्‍प नहीं है। अस्‍पतालों में रक्‍त की जरूरत हर साल पांच फीसदी की दर से बढ़ रही है।

क्‍यों है रक्‍त की कमी

क्‍यों है रक्‍त की कमी
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जीवन के लिए रक्‍त अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण है, लेकिन अक्‍सर हम इसकी कमी से जूझते नजर आते हैं। लेकिन, इसकी बड़ी वजह यह है कि लोग रक्‍तदान नहीं करते। भारत की रक्‍तदान करने योग्‍य आबादी में से महज चार फीसदी लोग ही रक्‍तदान करते हैं।

क्‍यों नहीं करते लोग रक्‍तदान

क्‍यों नहीं करते लोग रक्‍तदान
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कुछ लोगों को इस बात का डर होता है कि रक्‍तदान करने से कमजोरी और अन्‍य स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं हो सकती हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि रक्‍तदान करना बेकार की चीज है। लेकिन, ये दोनों ही बातें पूरी तरह गलत है।

रक्‍तदान संबंधी तथ्‍य

रक्‍तदान संबंधी तथ्‍य
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अगर रक्‍तदान करने योग्‍य व्‍यक्ति साल में केवल दो बार रक्‍तदान करे, तो कभी भी रक्‍त की कमी से किसी की जान न जाए। एक अनुमान के अनुसार सीमित मात्रा में रक्‍तदान होने के बाद भी भारत में हर वर्ष करीब 45 लाख लोगों की जान बचाई जाती है।

रक्‍तदान है आसान और सुरक्षित

रक्‍तदान है आसान और सुरक्षित
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एक स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति हर तीन महीने में रक्‍तदान कर सकता है। शरीर दान किया गया खून जल्‍द ही बना लेता है। नियमित रक्‍तदान करने से कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर नियंत्रित रहता है और शरीर में अतिरिक्‍त फैट भी जमा नही होती।

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