खुशखबरी जब दे परेशानी

खुशखबरी की खबर सुनकर सबको खुशी होती है लेकिन जब नन्हा मेहमान घर में आता है तो परिवार के सदस्यों के पैर जमीन पर नहीं टिकते। लेकिन जब ये नन्हा सदस्य घरवालों से खूब इंतजार करवाने लगता है तो सभी परेशान होने लगते हैं। सबसे अधकि परेशानी गर्भवती महिला को होती है। डेट आने पर भी जब प्रसव पीड़ा नहीं होती है तो कुछ दिन इंतजार कर डॉक्टर ऑपरेशन के जरिये डिलिवरी कराते हैं। इस ऑपरेशन से बचने के लिए कई बार महिलाएं अपने तरफ से कई उपाय अपनाती हैं जो कि उनके औऱ उनके बच्चे के लिए खतरनाक हो सकते हैं।
ना अपनाएं घरेलू नुस्खे

दादी मां प्रसव पीड़ा के लिए दादीहुत खाने का उपाय बताती है। कई केस में ये घरेलू नुस्खे फायदेमंद हो सकते हैं लेकिन प्रसव पीड़ा के लिए लगातार इसका इस्तेमाल ना करें। कई बार प्रसव ना होने पर गर्भवती महिलाएं इसे ज्यादा खाने लगती है। अब ये प्रसव कराने में फायदेमंद है कि नहीं ये नहीं मालुम लेकिन इससे बॉडी इनएक्टिव जरूर हो जाती है। बेहतर होगा डॉक्‍टर की सलाह मानें।
ना करें ज्यादा व्यायाम

व्यायाम ज्यादा करने से बॉडी फ्लेक्सिबल और लचीली जरूर होती है लेकिन इससे प्रसव पीड़ा में कैसे फायदा हो सकता है ये तुक से बाहर है। लेकिन ये जरूर है कि ज्यादा व्यायाम करने से होने वाले बच्‍चे को नुकसान हो सकता है औऱ कई बार तो ब्‍लीडिंग भी होनी शुरू हो जाती है।
ज्यादा काम ना करें

कई बार महिलाएं ज्यादा काम करती हैं क्योंकि ऐसा मानना रहा है कि ज्यादा काम करने से प्रसव तुरंत हो जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है, इससे शरीर को थकान हो जाती है जिसका असर बच्चे के शरीर पर भी पड़ता है।
अवसाद में रहना

ये उस थ्योरी पर आधारित है कि जिस चीज के बारे में सोचो तो हो जाता है। ऐसे में कई बार गर्भवती महिला बहुत अधिक इस समस्या के बारे में सोच कर परेशान होते रहती हैं और डिप्रेशन में रहने लगती है। प्रसव पीड़ा का नहीं मालुम लेकिन इससे बच्‍चे का स्‍वास्‍थ्‍य जरूर प्रभावित होता है। जरूरी है कि अवसाद मुक्त रहें।
कुछ हिदायत

तय तारीख पर डिलिवरी ना होने से महिलाओं को तनाव होना स्वाभाविक है लेकिन ये समस्या का समाधान नहीं। जरूरी है कि विशेषज्ञ या चिकित्सकों से परामर्श लें और उन पर अमल करें। अपने से कोई भी उपाय ना अपनाएं।