मन के हारे हार है और मन के जीते जीत
जीवन बदलाव का दूसरा नाम है और हर मनुष्य के जीवन में परिस्थितियां भी बदलती रहती हैं। कई बार इंसान के सामने हार खड़ी होती है, लेकिन दृढ़ संकल्प से उसे हाराया जा सकता है। विपरीत परिस्थिति में क्या करें, इसके बारे में इस स्लाइडशो में जानें।

हार मन से होती है
“हर दिन अपनी जिन्दगी को एक नया ख्वाब दो, चाहे पूरा ना हो पर आवाज तो दो।
एक दिन पूरे हो जायेंगे सारे ख्वाब तुम्हारे, सिर्फ एक नई शुरुआत तो दो।”
जीवन बदलाव का दूसरा नाम है, हर मनुष्य के जीवन में परिस्थितियां बदलती रहती है। जीवन में सफलता-असफलता, हानि-लाभ, जय-पराजय के अवसर मौसम के जैसे ही होते हैं, इसमें कभी कुछ भी एक जैसा नहीं रहता। किसी भी इंसान को एक पूर्ण व्यक्ति बनने के लिए जीवन के सभी खट्टे-मीठे अनुभवों से होकर गुजरना पड़ता है। हम सौ प्रतिशत अपने जीवन की सभी घटनाओं पर नियंत्रण नही रख सकते, लेकिन उनसे निपटने के लिये सकारात्मक सोच के साथ सही तरीका ज़रूर अपना सकते हैं। अकसर देखने को मिलता है कि लोग अपनी पहली असफलता से इतना विचलित हो जाते हैं कि अपने लक्ष्य को छोड़ देने तक का फैंसला कर लेते हैं। लेकिन जीवन गिर के और भी जोश के साथ उठ खड़े हो जाने का नाम है, और जो ऐसा करते हैं उनकी लोग गाथाएं सुनाते हैं। क्योंकि असली ताकत दिल में होती है और बड़ी हार मन से।
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अब्राहम लिंकन जैसे लोगों से सीखें
अब्राहम लिंकन अपने जीवन में कई बार असफल हुए और लंबे समय तक अवसाद में भी रहे, लेकिन उनके साहस और सहनशीलता जैसे गुणों ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ सफलता दिलाई। कई चुनाव हारने के बाद 52 साल की उम्र में वे अमेरिका के राष्ट्रपती चुने गए। इसी तरह महाराणा प्रताप और कई ऐसे अन्य लोग रहे निन्होंने हारने पर हिम्मत नहीं छोड़ी और सफलता की अदभुद गाथाएं रची।
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हार के प्रति अपनी सोच बदलें
सच तो यह है कि जिंदगी की राह में कितनी बार भी हार से सामना हो, उससे जिंदगी का सफर न तो रुकता है और न ही आगे बढ़ने के रास्ते ही समाप्त होते हैं, बल्कि चुनौतियों से आपका आत्मबल और मज़बूत होता है। बस जरूरत होती है तो हार के प्रति अपने नज़रिए को बदलने की। वास्तविकता में लक्ष्य प्राप्त करने वाले लोग हार और जीत को कुछ इस तरह देखते हैं। जैसे वे जो कदम उठाते हैं, उसमें हो सकता है कि शुरुआती समय में उन्हें हार का सामना करना पड़े लेकिन अगर सही दिशा में बढ़ रहे हैं तो हार के आगे जीत आपका इंतजार ज़रूर कर रही होती है।
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क्या जीत और क्या है हार?
ज़िंदगी में हम कई चीज़ें केवल इसलिए नहीं करते हैं क्योंकि हमें हार जाने का डर होता है। अगर ये किया तो वो हो जाएगा, अगर वो किया तो ये न हो जाए। साथ ही हमें न जानें संभावित 'न' शब्द को सुनते ही मन में निराशा और तरह-तरह के डर व आशंकाएं घर कर लेती हैं। लेना बहुत ही स्वाभाविक है। लेकिन लोगों के मुंह से निकलने वाले 'न' शब्द की वजह जानने की कोशिश करनी चाहिए। एक बार ना का कारम जान लेने पर सफलता का रास्ता और आसान हो जाता है। किसी भी बड़े लक्ष्य को हांसिल करने के लिए अगर छोटे-छोटे लक्ष्यों में मिलने वाली हार और आलोचना पर ईमानदारी से ध्यान और विचार किया जाए तो आगे की रणनीति तय करने में सरलता होती है और आपका अगला कदम अधिक मजबूत हो जाता है।
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लक्ष्य बनायें और नकारात्मकता दूर करें
ध्यान रहे कि लक्ष्य निर्धारित करते वक्त जितना जरूरी सफलता के बारे में सोचना, उतना ही जरूरी होता है असफलता के बारे में सोचकर उसके लिए भी तैयार रहना। साथ ही सकारात्मकता का साथ बनाए रखना चाहिए। अकसर सफलता मिलने की खुशी हमारा मनोबल बढ़ाती है और हम ज्यादा सकारात्मक हो जाते हैं लेकिन एक छोटी सी असफलता भी हमें नकारात्मक विचारों से भर देती है। लेकिन सच तो ये है कि अगर आप अपनी हार को एक सबक के रूप में देखेंगे तो यह नकारात्मकता कम होगी और आगे बढ़ने की इरादा और भी पुख्ता होगा।
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