फोबिया- आपको किस बात से लगता है डर

डर अगर आपके लिए सजा बन जाए तो यह खतरे की बात है। क्‍योंकि यह डर मात्र डर नहीं हैं बल्कि आप फोबिया से पीडि़त हैं। क्‍या आप जानते हैं कि फोबिया एक गंभीर बीमारी है जो आपके सामान्‍य जीवन को प्रभावित कर सकती हैं।

Pooja Sinha
Written by:Pooja SinhaPublished at: Feb 21, 2014

डर

डर
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हंसने या रोने की तरह डर भी एक स्‍वाभाविक क्रिया है। डर सबको लगता है लेकिन यही डर अगर आपके लिए सजा बन जाए तो यह खतरे की बात है। क्‍योंकि यह डर मात्र डर नहीं हैं बल्कि आप फोबिया से पीडि़त हैं। क्‍या आप जानते हैं कि फोबिया मानसिक बीमारी है जो आपके सामान्‍य जीवन को प्रभावित कर सकती है।

क्या है फोबिया

क्या है फोबिया
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फोबिया एक बीमारी है, जिसमें व्‍यक्ति में किसी खास वस्तु, कार्य एवं परिस्थिति के प्रति डर उत्पन्न हो जाता है। इसमें वह उन चीजों या स्थिति से बचने की कोशिश करता है। फोबिया में व्‍यक्ति अपने डर की सोच भी डरने लगता है कि उसकी मानसिक व शारीरिक क्षमताओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसमें डर वास्तविक या काल्पनिक दोनों तरह का हो सकता है।

कुछ आम फोबिया

कुछ आम फोबिया
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ब्रिटिश वैज्ञानिकों शोध टीम का नेतृत्व करने वाले डीन मोब्स के अनुसार, किसी चीज, लोग, जानवर और परिस्थितियों से बिना किसी बात का डर और लगातार होता डर ही फोबिया कहलाता है। आमतौर पर फोबिया में व्‍यक्ति को बंद स्थानों, ऊचाई, हाईवे ड्राइविंग, सुरंग या पुल उड़ते हुए पक्षियों-कीड़े मकोड़ों, सांप, तूफान, पानी, अंधेरे, खून बहने या चोट लगने का डर या इंजेक्शन अथवा किसी भी अन्‍य चीज से डर लगता है। अधिकतर फोबिया बचपन में होता है लेकिन यह वयस्कों को भी हो सकता है।

युवाओं का रोग

युवाओं का रोग
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फोबिया किसी भी उम्र में हो सकता है। लेकिन इसकी शुरूआत प्राय यौवन में ही शुरू हो जाती है। शुरू होने पर यह विकार लंबे समय तक बना रहता है, लेकिन इसकी गंभीरता घटती-बढ़ती रहती है। युवाओं को चाहिए कि अपने भीतर के फोबिया से बाहर निकलें, अन्‍यथा इसका गहरा असर उनके आत्मविश्वास और कार्यक्षमता पर हो सकता है।

फोबिया के लक्षण

फोबिया के लक्षण
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आमतौर पर फोबिया से पीडि़त लोग अपने डर से दूर ही रहते हैं, लेकिन अनजाने में अपने अगर डर को सामने देखकर उन्हें फोबिया का दौरा पड़ता है। ऐसे में उनमें तनाव, बेचैनी, पसीने आना, परिस्थिति या लोगों से दूर भागना, सिर में भारीपन, कानों में अलग-अलग आवाजें सुनाई देना, दिल की धड़कन बढ़ जाना, सांस तेज होना, डायरिया, चक्कर आना, शरीर में कहीं भी दर्द को महसूस करना, पेट खराब हो जाना, ब्लड प्रेशर बढ़ना या कम हो जाना जैसी दिक्कतें दिखाई देती हैं।

डर उचित

डर उचित
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आमतौर पर फोबिया से ग्रस्‍त व्यक्ति यह जानता हैं कि उसका डर अनु‍चित है। लेकिन इसके बावजूद भी वह अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाता। जैसे ही मन में वह वस्तु या स्थिति आती है तो वह फोबिया से डरने लगता है। यह डर इतना गहरा होता है कि व्यक्ति इससे बचने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।

फोबिया के प्रकार

फोबिया के प्रकार
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फोबिया में दिल तेजी से धड़कने लगता है, सांस लेने में तकलीफ महसूस होती है। हाथ-पैर कांपने लगते हैं। यहां तक कि मसल्‍स तक टूटने और चटकने लगती हैं और अगर फोबिया निगलने से संबंधित होता है तो व्‍यक्ति का खाना-पीना तक मुश्किल हो जाता है। वैसे तो फोबिया के कई प्रकार है लेकिन इसके यह तीन प्रमुख प्रकार सिंपल फोबिया, एग्रोफोबिया और सोशल फोबिया बहुत अधिक देखने को मिलते हैं।

सिंपल फोबिया

सिंपल फोबिया
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सिंपल फोबिया में सामान्‍य स्थिति से व्‍यक्ति को डर लगने लगता है। सामान्य स्थिति से डर में व्‍यक्ति को बंद जगहों, अंधेरे, अजनबी लोगों, जीव-जन्तु और ऊंचाई जैसी चीजों के प्रति भय बैठ जाता है।

एग्रोफोबिया

एग्रोफोबिया
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एग्रोफोबिया विचित्र प्रकार का डर होता है। इसमें व्यक्ति को बिना किसी कारण के ही डर लगता रहता है। यह डर किसी चीज, व्यक्ति, जानवर या परिस्थिति से जुड़ा हुआ न होकर खुद के प्रति ही होता है। एग्रोफोबिया के होने पर किसी खुली सार्वजनिक जगह जैसे बाजार या गली में अकेले जा पाना मुश्किल हो जाता है। बाहर निकलते ही अजीब सी बेचैनी और घुटन होने लगती है।

सोशल फोबिया

सोशल फोबिया
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सोशल फोबिया युवाओं में पाया जाने वाला सबसे आम फोबिया है। आमतौर पर इस फोबिया के शिकार स्कूल और कॉलेज जाने वाले युवा होते हैं। सोशल फोबिया के शिकार लोग किसी भी सार्वजनिक स्थान पर जाने से, वहां बोलने से, वहां खाने से भी डरते हैं। सोशल फोबिया में व्यक्ति उन चीजों से प्रभावित हो जाता है, जिनमें दूसरों लोगों की भागीदारी होती है। ऐसा व्यक्ति सार्वजनिक रूप से किसी भी तरह की परफोर्मेस या बोलने से डरता है।

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