महिलाओं में ज्यादा होता है

पुरूषों की तुलना में महिलाओं को एंग्जाइटी डिसऑर्डर की समस्या ज्यादा होती है। ये अंतर अलग अलग विकासशील और विकसित देशों और समय के हिसाब से बदल भी सकता है। आप भले ही किसी भी देश और सभ्यता से संबंध रखते हो पर शोध के मुताबिक बुजुर्गों की तुलना में 35 साल से कम वर्यु के लोगों मे एंग्जाइटी डिसऑर्डर ज्यादा देखा जाता है।
किसी भी प्रकार की लत

ड्रग्स, शराब, तंबाकू, सिगरेट और निकोटिन आदि का ज्यादा सेवन करने से एंग्जाइटी डिसऑर्डर की समस्या बढ़ती है। ड्रग्स के अलावा किसी भी प्रकार की लत का शिकार होना (ऐसी कोई चीज़ जिसके बिना आप नहीं रह सकते), इसके कारण मानसिक व्यग्रता की आशंका बढ़ जाती है। इसमें ताश खेलने से लेकर इंटरनेट की लत भी शामिल है। इसे भी पढ़ें: इन 5 तरीकों को अपनाएं स्ट्रेस को दूर भगाएं
मानसिक बीमारी के कारण

एंग्जाइटी की समस्या ज्यादातर अन्य मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों को होती है। बाइपोलर डिसऑर्डर, मल्टीपल स्क्लेरोसिस और सीजोफ्रेनिया आदि के रोगियों को एंग्जाइटी डिसऑर्डर की समस्या ज्यादा होती है। यूरोप में 13 से 28% बाइपोलर डिसऑर्डर के मरीजों को एंग्जाइटी की समस्या है वहीं विश्व के 12 फीसदी सीजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगो को ये दिक्कत है। इसे भी पढ़ें: ये 5 अच्‍छी आदतें आपको बनाती है 'होशियार'
अन्य बीमारियों से संबंध

हृदय रोग, कैंसर, सांस की बीमारी, मधुमेह जैसी अन्य क्रोनिक स्थिति की वजह से भी लोगों में एंग्जाइटी डिसऑर्डर हो सकता है। दिल के रोगियों में 2 से 49% प्रतिशत तक एंग्जाइटी का लक्षण देखा जाता है। वहीं 10 से 50 फीसदी तक ये लक्षण कोरोनरी धमनी की बीमारी में दिखायी देता है। इसे भी पढ़ें: डिप्रेशन दूर कर, दिमाग को तेज करते हैं ये 10 आहार
गर्भावस्था के कारण

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में एंग्जाइटी की समस्या हो जाती है। हालांकि इसका कारण मानसिक तनाव ब्लडप्रशर लो होना आदि होता है। कई महिलाओं को ये समस्या गर्भावस्था के बाद भी चलती है। सामान्यत: ये प्रसव के बाद ठीक हो जाती है।