सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस

प्रतिदिन होने वाली समस्याओं में गर्दन दर्द या सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस भी एक है। आज घंटो डेस्क वर्क करना हमारी मजबूरी बन गया है। जिसके चलते गर्दन में दर्द होना लगभग कॉमन कोल्‍ड जितना सामान्‍य होता जा रहा है। वैसे तो यह समस्‍या सामान्‍य होती है लेकिन कुछ परिस्थितियों में यह गंभीर रूप भी ले सकती है।
क्या है सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस

स्‍पॉडिलाइसिस दो यूनानी शब्‍दों से मिलकर बना है। पहला स्‍पॉडिल जिसका अर्थ होता है रीढ़ की हड्डी और दूसरा शब्‍द आइटिस जिसका अर्थ है सूजन। अर्थात् रीढ़ की हड्डी में सूजन की शिकायत को स्‍पॉडिलाइसिस कहते हैं। यह रोग बैठने, खड़े होने व लेटने के गलत तरीकों के कारण होता है। गर्दन में दर्द किसी पुरानी चोट या स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी जटिलताओं के कारण भी हो सकता है।
सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस की समस्या

स्‍पांडिलाइसिस की समस्‍या महिला या पुरुष दोनों को हो सकती है। 40 वर्ष की उम्र के बाद लगभग 80 प्रतिशत लोग इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। लेकिन आजकल युवा वर्ग भी इसकी चपेट में आने लगा हैं। युवा वर्ग में यह समस्‍या गलत ढंग से बैठने, लेटकर टी.वी. देखने या बिस्तर पर टेढ़े लेटने से हो जाता है।
सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस के लक्षण

स्पांडिलाइसिस होने के कई लक्षण हो सकते हैं, जैसे गर्दन में दर्द होना, दर्द के साथ चक्कर आना, गर्दन में दर्द के साथ बाजू में दर्द होना तथा हाथों का सुन्न हो जाना। यहां तक गर्दन के आसपास की नसों में दर्द या सूजन भी फैल जाती है।
सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस के कारण

वैसे तो सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस का दर्द 40 वर्ष की आयु के बाद शुरू होता है। लेकिन आजकल युवा वर्ग तथा बच्चे भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। जिसका बहुत बड़ा कारण है बॉडी पाश्चर का सही नहीं होना। इसके अलावा यह यह रोग चोट, संक्रमण, ओस्टियोआर्थराइटिस आदि विभिन्न कारणों से भी उत्पन्न होता है।
बैठने का गलत तरीका

गर्दन का दर्द या स्पांडिलाइसिस की समस्‍या गलत तरीके से बैठने की वजह से होता है। सिर झुकाकर काम करने वाले लोगों या कम्प्यूटर पर काम करने वाले लोगों में सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस से ग्रस्त होने की संभावना अन्य लोगों से अधिक होती है।
चोट के कारण

खेलते समय या किसी अन्य कारण से रीढ़ की हड्डी में चोट लग जाने पर भी स्पांडिलाइसिस हो सकता है। इसके अतिरिक्त अधिक गर्दन झुका कर काम करने, भारी बोझ उठाने और अधिक ऊंचे तकिए पर सोने आदि से भी स्पांडिलाइसिस हो सकता है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण

ऑस्टियोआर्थराइटिस जोड़ों का विकार है, इसमें हड्डियों को सपोर्ट करने वाले सुरक्षात्‍मक क‍ार्टिलेज और कोमल ऊतकों का किसी कारणवश टूटना शुरू हो जाता है। इस समस्‍या के कारण भी व्‍यक्ति स्‍पॉडिलाइसिस से ग्रस्‍त हो सकता है।
गर्दन की शिकायत

गर्दन दर्द के और भी कारण हैं जैसे गर्दन की टी.बी., बोन ट्यूमर, कई बार गर्दन की हड्डियों में पैदा होने पर ही खराबी होना आदि। बचपन में इन समस्‍याओं का पता नहीं चलता बल्कि इसका पता बड़ी उम्र में आकर लगता है। कई बार स्‍पॉडिलाइसिस की समस्‍या क्रोनिक चोट के कारण से भी हो सकती है। जैसे बाइक की सवारी करते हुए भारी हेलमेट पहनना, गर्दन की शिकायत या रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर या अव्यवस्था या चोट के कारण।
समस्या का समाधान

गर्दन के दर्द को अनदेखा न करें। इसके अलावा डाक्‍टर की सलाह के बिना किसी भी तरह की एक्‍सरसाइज या इलाज न करें। बॉडी का पॉश्चर ठीक नहीं होने से रीढ़ की हड्डी का अलाइनमेंट बिगड़ने से कमर के निचले हिस्से और गर्दन में तेज दर्द होता है। इसलिए अपने पॉश्चर को ठीक रखें और शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। इसे भी पढ़ें: चेस्ट में दर्द के होते हैं ये जानलेवा कारण, कभी ना करें इग्नोर