मोटापे से याद्दाश्त में कमी

क्या आप जानते हैं कि जापान में जरूरत से ज्यादा मोटा होना गैरकानूनी है? वहां की सरकार ने एक 'मैटाबो कानून' बनाया है, जिसके तहत लोगों के लिए कुछ अनिवार्य वजन और कमर की चौड़ाई की सीमा तय की गई हैं। इस कानून से सभी जापानी लोग प्रभावित हैं। इस कानून का पालन न कर पाने की स्थिति में मोटे जुर्माने का भुगतान या कारावास परिणाम हो सकता है। इसमें कोई शक नहीं, कि यदि यह कानून भारत में लागू किया जाता तो मोटापे के चलते आधे से ज्यादा लोग जेल में होते। हालांकि दुनिया के किसी और देश में इस तरह का कोई कानून नहीं है। लेकिन एक सर्वे के मुताबिक दुनिया भर में लगभग 300 मिलियन लोग मोटापे से ग्रस्थ हैं। इसका मतलब कि उनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 30 के मानक सीमा से अधिक है। जोकि उनकी सेहत की दृष्टी से एक गंभीर बात है। मोटापा हानिकारक है, यह कई गंभीर बीमारियों का कारण बनता है, शोध बताते हैं कि मोटापे के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और स्मरण शक्ति कम हो जाती है। चलिये जानें ऐसा क्यों और कैसे होता है। Images source : © Getty Images
बड़ी उम्र के लोगों को अधिक जोखिम

कई शोध बाते हैं कि रोज़ाना 2,100 से 6,000 के बीच कैलोरी की खपत, स्मृति हानि के खतरे को बढ़ा या हल्के संज्ञानात्मक हानि (एमसीआई) का कारण बन सकती है। हालांकि, अच्छी बात ये है कि ऐसा 70 वर्ष या इससे अधिक आयु के लोगों के साथ अधिक होता है। तो यदि आपके घर के बडे-बूढ़े एक और गुलाब जामुन मांगे तो उन्हें इस बारे में जरूर बताइएगा। Images source : © Getty Images
मानसिक विकास में कमी का कारण

एक शोध के अनुसार मोटोपे के कारण मानसिक विकास में बाधा उतपन्न होती है। मोटे लोगों में साधारण वजन वाले लोगों की तुलना में मस्तिष्क ऊतक 4 से 8 फीसदी तक कम होते हैं। मनुष्यों में 100 अरब के करीब न्यूरॉन्स होते हैं, जिनमें से मोटापे के शिकार लोग तकरीबन 8 अरब न्यूरॉन्स खो देते हैं। ये उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिये एक बड़ी हानि है। Images source : © Getty Images
शोध और वैज्ञानिकों की राय

एक नए शोध के अनुसार वज़न घटने पर एकाग्रता और सोच-विचार की क्षमता में इज़ाफा होता है। केन्ट स्टेट यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर जॉन गनस्टड ने वज़न घटाने और स्मरणशक्ति के बीच संबंध का पता लगाने के लिए एक अध्ययन किया। लंबे समय तक चले इस अध्ययन से पता चला कि शरीर में अतिरिक्त चर्बी जमा होने या वज़न बढ़ने से मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और इसके कारण स्मरण शक्ति और एकाग्रता में व्यवधान पहुंचता है। वैसे इससे पहले अधिक चर्बी या वजन से अल्जाइमर या स्ट्रोक की संभावना बढ़ने से संबंधित परिणाम भी सामने आ चुके हैं। Images source : © Getty Images
मोटापे की वजह से ग्लूकोज का प्रवाह सीमित हो जाता है

न्यूरॉन्स के प्रतिशत में लगातार गिरावट दिमाग की अन्य क्रियाओं को भी बाधित करती है। इससे कोशिकाओं को ग्लूकोज की आपूर्ति सीमित हो जाती है और उर्जा वाले कार्य जैसे यद्दाश्त को दिमाग में संजोना या यद्दाश्त का तुरत इस्तेमाल बाधित हो जाता है। Images source : © Getty Images