क्या होता है लेग अटैक

क्रिटिकल लिंब इस्कीमिया (सीएलआई) या लेग अटैक की समस्या ज्यादातर मधुमेह से रोगियों में देखने को मिलती है। इसमें पैरों की उंगलियों से नसे अवरूद्ध होना शुरू हो जाती है। जिससे रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है। कई बार इसकी वजह से मरीजों को अपने अंग तक कटवाने पड़ जाते हैं, जबकि संक्रमण ज्यादा फैलने की स्थिति में यह जानलेवा भी हो सकता है। सामान्यत: पुरुषों में ये समस्या महिलाओं की तुलना में ज्यादा होती है।Image Source-Getty
क्या होते हैं कारण

लेग अटैक 60 वर्ष से अधिक के पुरुष व रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाएं में ज्यादा होने का खतरा रहता है। ज्यादा धूम्रपान करने वाले, मधुमेह रोगी, उच्च कोलेस्ट्रॉल व उच्च रक्तचाप से परेशान लोगों को भी सावधान रहना चाहिए। जिन परिवार में नसों की बीमारी का पारिवारिक इतिहास हो, अत्यधिक वजन या मोटापा व अव्यवस्थित जीवनशैली रहती हो उन्हें अपनी जीवनशैली में तुंरत सुधार लाना चाहिए। Image Source-Getty
लेग अटैक के लक्षण

इस रोग में रक्त धमनियों की भीतरी दीवारों पर वसा जम जाती है। ये हाथ-पांवों के ऊतकों में रक्त प्रवाह को रोकता है। इस रोग के प्राथमिक चरण में चलने या सीढ़ियां चढ़ने पर पैरों और कूल्हों थकाना या दर्द महसूस होता है। अन्य लक्षणों में दर्द, सुन्न होना, पैर की पेशियों में भारीपन शामिल है। शारीरिक काम करते समय मांसपेशियों को अधिक रक्त प्रवाह चाहिए होता है। यदि नसें तंग हो जाएं तो पेशियों को पर्याप्त खून नहीं मिलता। आराम के वक्त रक्त प्रवाह की उतनी आवश्यकता नहीं होती, इसलिए बैठ जाने से दर्द भी चला जाता है। इसलिए शुरू में मरीज शारीरिक श्रम के वक्त दर्द की शिकायत करते हैं। फिर जैसे-जैसे मर्ज बढ़ता जाता है, मरीज को आराम के समय भी दर्द रहने लगता है।Image Source-Getty
एंडोवस्कुलर उपचार

इसमें एक कैथेटर या छोटी ट्यूब मस्तिष्क की धमनी में डालते हैं। इसे जांघ के पास से वहां तक पहुंचाया जाता है। इसके बाद एक सूक्ष्म कैथेटर धमनी के फूलने के स्थान पर पहुंचाया जाता है। अवरुद्ध धमनियों को खोलने के लिए कैथेटर से छोटे बैलून को धमनियों में प्रवेश कराते हुए एंजियोप्लास्टी भी की जा सकती है। बैलून को फुलाते हैं जिससे धमनियां खुल जाती हैं और रक्त का प्रवाह होने लगता है। इसके बाद धातु से बना स्टेंट नामक उपकरण प्रवेश कराया जाता है। अन्य उपचार अथ्रेक्टॉमी के तहत धमनियों के भीतर जमी परत हटाने के लिए कैथेटर के साथ घूमते हुए ब्लेड का इस्तेमाल किया जाता है।Image Source-Getty
धमनी की सर्जरी

अगर धमनियां इस हद तक अवरुद्ध हों कि एंडोवस्कुलर चिकित्सा कारगर न हो तो सर्जरी की सलाह दी जाती है। इसके अंतर्गत प्रभावित हिस्से को हटा दिया जाता है या मरीज के ही अन्य नस या कृत्रिम प्रत्यारोपण की मदद से बाईपास सर्जरी की जाती है। कुछ मामलों में सर्जन ओपन सर्जरी का भी सहारा लेते हैं, जिसके अंतर्गत अवरोधों को बाहर निकाल वर्तमान धमनी को क्रियाशील बना दिया जाता है। अंग विच्छेदन अंतिम विकल्प के तौर पर अंगूठे, पैर के अन्य हिस्से या पूरे पैर को काटना होता है। निदान में चूक या देरी होने पर सीएलआई के 25 प्रतिशत मामलों में अंग को काट कर हटाना पड़ता है।Image Source-Getty