बच्चे को गोद लेना

मनीष और उसकी वाइफ ने शादी के दो साल बाद 3 साल की लतिका को गोद लिया था। लतिका के दो साल बाद उनको बेटा हुआ। आज उनकी शादी को पंद्रह साल हो गए हैं। दोनों बच्चे बड़े हो गए हैं। लेकिन दोनों की सोच में फर्क है। इस सोच में फर्क तब आ जाता है जब उनके पड़ोसी या रिलेटिव कुछ ऐसी बात पूछ लेते हैं जो उन्हें नहीं पूछनी चाहिए। ये सवाल तब औऱ भी ज्यादा पेचीदे बन जाते हैं जब वे सब साथ होते हैं। मतलब वे दोनों पति-पत्नी औऱ उनके दोनों बच्चे। मनीष की समस्या से समझा जा सकता है कि किसी बच्चे को गोद लेना भले ही सोसायटी में अच्छा काम माना जाता है लेकिन फिर भी सोसायटी इसके लिए तैयार नहीं है। तभी ऐसे बेतुके सवाल पूछती है।
तो ये अपना बच्चा है?

तो ये आपका अपना बच्चा है? ये सवाल अधिकतर पड़ोसी औऱ रिलेटिव पूछते हैं जब अपना बच्चा हो जाता है। जबकि ये सवाल बहुत ही इनसल्टिंग औऱ इनसेंसेटिव होते हैं। इस वाक्य के बारे में सोचिए... आपका अपना बच्चा... तो आप मेरे गोद लिए हुए बच्चे को मेरा नहीं समझते? पड़ोसी के इस सवाल के बाद जरूर ही ये सवाल एडपटिव पैरेंट्स के दिमाग में आता होगा।
आपसे बिल्कुल नहीं मिलता या मिलती

सालों हो जाने के बाद भी हमेशा पड़ोसी यही बोलकर याद दिलाते हैं कि वो आपसे नहीं मिलता या मिलती। अरे ये उस बच्चे के एडपटिव पैरेंट्स को भी मालुम है। लेकिन पैरेंट्स और बच्चे के एक-दूसरे के लिए फीलिंग्स पूरी तरह मिलती है। तो अगर आपके भी पड़ोस में किसी ने बच्चे को गोद लिया है तो उससे ये सवाल ना पूछें।
असली मां-बाप कहां

कई बार लोग पूछते हैं कि, उसके असली मां-बाप कहां है? असली मां-बाप? इसका मतलब क्या है? एडपटिव पैरेंट्स इतने दिनों से क्या कर रहे हैं? लोग क्यों इतने बेतुके सवाल करते हैं।
उसके साथ कुछ इश्यू तो नहीं

उसके साथ कुछ इश्यू तो नहीं? इश्यू मतलब? और इश्यू तो हर किसी के साथ होते हैं। कई बार पड़ोसियों को लगता है कि अपना बच्चा नहीं है तो जरूर उस बच्चे और उसके एडपटिव पैरेंट्स के बीच में इश्यू होंगे। अगर आप किसी से किसी के इश्यू के बारे में पूछें तो उससे पहले ये खुद सोच लीजिए की क्या आपके बच्चे के साथ कोई इश्यू नहीं होगा? अरे हर इंसान के पास इश्यू होते हैं।
असली मां-बाप के बारे में पूछा?

आपको डर नहीं लगता कि किसी दिन वो अपने असली मां-बाप के बारे में ना पूछ लें? असली मां-बाप क्या होता है? अगर आपको एक दिन पता चले कि आपका बच्चा आपका बच्चा नहीं है तो क्या सारा प्यार खत्म हो जाएगा? नहीं ना। तो फिर एडपटिव पैरेंट्स और उनके बच्चे के बीच में अशली मां-बाप कहां से आ गए।
कितना कॉस्ट लगा था?

कितना कॉस्ट लगा था? ये सवाल सुनने में ही कितना ज्यादा शेमलेस लगता है। यहां बच्चे के आने की खुशी है और आप पैसे पर लटके हैं। क्या आप कभी खुद से पूछते हैं कि आपके बायोलॉजिकल का कॉस्ट कितना रहा था सबकुछ मिलाकर उस समय? नहीं तो। फिर गोद लिये हुए बच्चे के बारे में ऐसा क्यों?