डायबिटिक नर्व पेन से निपटने के प्राकृतिक तरीके
मधुमेह एक ऐसी बीमारी है, जो धीरे धीरे शरीर के सभी अंगो को खराब करने लगती है। इससे बचाव ही इसका सबसे बड़ा इलाज है। अगर आपको भी मधुमेह की शिकायत हो तो इन वैकल्पिक उपचारों को अपनाएं।

मधुमेह की वजह से तंत्रिका कोशिकाएं व रक्त नलिकाएं बर्बाद हो जाती थीं, जिसके कारण पैरों के निचले हिस्से को रक्त संचरण मुश्किल हो जाता था। मधुमेह से पीड़ित मरीजों को पैर से संबंधित गंभीर समस्याओं जैसे अल्सर के कारण उन्हें बार-बार अस्पतालों का चक्कर लगाना पड़ता है। क्षतिग्रस्त शिराओं की वजह रोगी की टांगो व पांवों में दर्द, गर्मी, ठंड का एहसास नहीं होता। पैरों में सूजन व खरोंच बदतर हो जाती है, क्योंकि संवेदना जाती रहती है। इस अवस्था को डायबिटिक न्यूरोपैथी कहते है |
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यह एक ऐसी क्रीम है जो लाल मिर्च से बनी है। इसका प्रयोग उन लोगों के लिए किया जाता है जिनमें हाथों और पैरों में दर्द की समस्या रहती है। लेकिन ऐसे लोग जिनमें हाथों और पैरों में संवेदना खत्म होने की परेशानी रहती है, उनके लिए इसके प्रयोग के समय सतर्क रहना जरुरी है। हो सकता है कि इस दवाई के प्रयोग से हो सकता है कि उन्हें पूरी तरह से आराम न मिले। इसलिए यदि आप भी इसे प्रयोग करने की सोच रहें तो इसके लिए पहले अपने डॉक्टर से बात जरूर कर लें। इवनिंग प्राइमरोज तेल भी मधुमेह पीड़ितों में तंत्रिका दर्द (nerve pain) में लाभदायक है।
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विटामिन B -6 और B 12 मधुमेह तंत्रिका दर्द (Diabetic nerve pain) में सहायक हो सकते हैं।इसके साथ ही बायोफीडबैक, ध्यान, हाइपोथेरेपी और योग, तनाव वाले हार्मोन्स को कम करता है। इस से रक्त शर्करा के स्तर को कम होने में भी मदद मिलती है। इसके अलावा बायोफीडबैक रक्त चाप (Blood Pressure) को भी कम करता है।
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शुगर के रोगी के पैरों के अंगूठे, एडी, मुंह, टांगे कमजोर पड जाती हैं। एक्यूप्रेशर तकनीक रोगी की प्रतिरोधक क्षमता बढती है।नर्व और मसल्स स्टिमुलेटर, फेरेडिक जेनेरेटर, एक्यूजप्रेशर प्वांइट मॉर्कर, नर्व जेनरेटर और हैवी वाइब्रेटर जैसे एक्यूप्रेशर थेरेपी के उपकरण हैं। एक्यूप्रेशर चिकित्सा से शरीर में उन उर्जा केंद्रों को फिर से सक्रिय करने की कोशिश की जाती है जो कि किसी कारण से काम करना बंद कर देते हैं या सुस्त हो जाते हैं। एक्यूप्रेशर द्वारा मधुमेह रोगी के शुगर स्तर को कम किया जा सकता है।
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मधुमेह से ग्रस्त लोगों को एक्सरसाइज करने से काफी फायदा पहुंचता है। एरोबिक्स जैसे एक्सरसाइज से तो शरीर के सभी प्रमुख मसल्स हरकत में आ जाते हैं, जिससे रोगी का हार्ट रेट बेहतर होता है। शरीर में ब्लड सूगर लेवल को नियंत्रित करने का एक्सरसाइज एक अचूक उपाय है, क्योंकि यह सीधे रक्त प्रवाह से ग्लूकोज को सोखता है। एक्सरसाइज का असर सिर्फ 72 घंटे तक रहता है, इसलिए मधुमेह के रोगी को चाहिए कि वह नियमित रूप से एक्सरसाइज करे।
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