नाखून चबाना

नाखून चबाना एक सामान्य आदत है। यह आदत व्‍यक्ति के नर्वस या तनाव में होने पर देखने को मिलती है। इसके अलावा, यह सिर्फ एक आदत भी हो सकती है। लेकिन सेहत से जुड़े इसके कई नुकसान हैं। इससे नाखूनों की सामान्य वृद्धि पर तो असर पड़ता ही है, साथ ही उनकी शेप भी अनियमित हो जाती है। जिससे हाथों का सौंदर्य भी कम होने लगता है। नाखूनों की उचित सफाई न रखने पर उनमें जमा कीटाणु खाने के जरिए पेट में जाकर संक्रमण का कारण बन जाते हैं। नाखूनों की परत के नीचे नुकसानदायक स्टेफिलोकोकस नामक बैक्टीरिया होता है, जो चबाने पर मुंह में चला जाता है। एक शोध के अनुसार, लगभग 19 से 29 प्रतिशत युवा वयस्क और 5 प्रतिशत बड़ी उम्र के व्यक्ति नाखून चबाते हैं। बच्चे हों या बड़े, नाखून चबाने की गंदी आदत किसी में भी हो सकती है। यहां पर नाखून चबाने के सेहत से जुड़ी समस्याओं के बारे में जानकारी दी गई है। Image Courtesy : Getty Images
नाखून से मुंह में बैक्टीरिया का स्थानांतरण

आप अपने हाथों को कितनी बार भी साफ करें लेकिन नाखूनों के भीतर गंदगी रह ही जाती है। नाखून बैक्‍टीरिया को विकसित होने का एक आदर्श वातावरण देते हैं, विशेष रूप से साल्‍मोनेला और ई कोलाई जैसे रोगजनक बैक्‍टीरिया को। जब आप नाखून काटते नहीं हैं तो बैक्‍टीरिया आपके मुंह से शरीर में प्रवेश कर आसानी से संक्रमण को स्‍थानांतरित करते हैं। शोधों के अनुसार, नाखून उंगलियों से दोगुने गंदे होते हैं इसलिए इनमें बैक्टीरिया की आशंका भी अधिक होती है। ऐसे में नाखून चबाते वक्त मुंह के रास्ते शरीर में प्रवेश कर संक्रमण का कारण बनता है। Image Courtesy : Getty Images
नाखूनों में संक्रमण

नाखून चबाने वाले लोगों में पैरोनिशिया से पीड़ि‍त होने का जोखिम बहुत ज्‍यादा होता है। पैरोनिशिया एक त्‍वचा संक्रमण है जो नाखून के आसपास की त्‍वचा में होता है। नाखून चबाने से उनके आसपास की त्वचा की कोशिकाओं की भी क्षति होती है। इनके जरिए बैक्टीरिया और दूसरे कीटाणु त्वचा में प्रवेश करते हैं। शल्‍य प्रक्रिया से द्वारा इस समस्‍या का इलाज किया जा सकता है। विज्ञान के अमेरिकन अकादमी के अनुसार, नाखून चबाने के कारण बैक्टीरिया का संक्रमण सबसे आम नाखून समस्याओं में से एक है।Image Courtesy : Getty Images
वार्ट्स

बहुत अधिक नाखून चबाने वाले लोगों में मानव पेपिलोमा वायरस या एचपीवी के कारण संक्रमण फैलने की आंशका बहुत अधिक होती है, जिससे नाखूनों पर गांठ बन जाती है। वार्ट्स एचपीवी के कारण होने वाली त्‍वचा की समस्‍या है। लेकिन यह समस्‍या शरीर के अन्‍य हिस्‍सों की तुलना में हाथों और पैरों को ज्‍यादा प्रभावित करती है। नाखून चबाने की आदत के कारण यह समस्‍या हाथों से होंठों या मुंह में भी हो सकता है। Image Courtesy : Getty Images
दांतों की समस्याएं

नाखूनों से निकलने वाली गंदगी दांतों को समय के साथ-साथ कमजोर करने लगती है। बहुत अधिक मात्रा में नाखून चबाने वाले लोगों में मुंह बंद करने पर ऊपरी और निचले दांतों को एक साथ आने पर समस्‍या होती है। अगर आप अक्‍सर अपने नाखूनों को चबाते है तो दांतों के अपने मूल स्‍थान से शिफ्ट होकर बाहर आने और कमजोर होने की भी बहुत अधिक आंशका रहती है। जनरल दंत चिकित्‍सा अकादमी के अनुमानों के अनुसार, अक्सर नाखून चबाने वाले लोगों के जीवन में लगभग 4,000 डॉलर की अतिरिक्त राशि दंत बिलों पर खर्च होती है। Image Courtesy : Getty Images
जीवन की गुणवत्ता में कमी

एक शोध के दौरान पाया गया कि 20 से 30 प्रतिशत लोग नाखून चबाते हैं। इस अध्ययन से यह बात भी सामने आई कि जो लोग लंबे समय से नाखून चबाते हैं उन लोगों में अन्‍य लोगों की तुलना में जीवन स्तर अच्छा नहीं होता है। इसके अलावा अन्‍य कारक जैसे नाखून चबाने की प्रतिरोध की वजह तनाव का भी जीवन की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। Image Courtesy : Getty Images
आदत से बचने के उपाय

अपने हाथों की अच्‍छे से देखभाल करने से भी नाखून चबाने की आदत को कम किया जा सकता है। इसके लिए आप दो से तीन सप्ताह में एक बार किसी प्रोफेशनल से मैनीक्योर करवा सकते हैं। येल यूनिवर्सिटी मेडिकल स्कूल में क्लीनिकल प्रोफेसर अंजेलिका कनेर के अनुसार, जब आपके नाखून सुंदर लगते हैं तो आप उन्हें चबाना पसंद नहीं करते। नाखून चबाने की इच्छा उत्पन्न होने पर क्रीम या तेल से उनकी मालिश करें या फिर गाजर या सेब जैसे चीजें चबाएं।Image Courtesy : Getty Images
उंगलियों को लपेटकर रखें

अगर आपको इस बात का डर है कि अनजाने में कभी आप अपने नाखून चबाने न शुरू कर दें तो अपने नाखून को बैंड-एड्स या बिजली के टेप से लपेट कर रखें। आप हाथ का व्‍यस्‍त रखने वाली बुनाई जैसी किसी गतिविधि को भी अपना सकते हैं। यह आपने उंगलियों के टिप पर सिरका या हॉट सॉस जैसी अप्रिय टेस्‍ट वाले पदार्थ को लगा सकते हैं। अगर यह सभी सुझाव आपकी मदद नहीं कर रहे हैं तो आपको इस आदत से बचने के लिए व्‍यवहार थेरेपी पर विचार करना होगा। Image Courtesy : Getty Images