शॉक थेरेपी कैसे देते हैं

तथ्य - शाक थैरेपी देने के दौरान शरीर पूरी तरह से उद्वेग से भर जाता है। यही नहीं इससे डिप्रेशन बढ़ जाता है। असल में यह कह पाना बहुत मुश्किल है कि आखिर यह ट्रीटमेंट काम क्यों करता है। विशेषज्ञों की मानें तो शाक थैरेपी हमारे शारीरिक सिस्टम को पूरी तरह से रीबूट करता है। इसे हम यूं भी समझ सकते हैं। जिस प्रकार कंप्यूटर को बंद करके दोबारा खोला जाए तो उसे पुरानी चीजें तनाव से नहीं भरती ठीक उसी तरह शाक थैरेपी से पुरानी चीजों से निजात मिलने में मदद मिलती है। वास्तव में शाक थैरेपी की मदद से नव्र्स जुड़ जाते हैं, न्यूरोकनेक्शन रीस्टोर हो जाते हैं। विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि इस प्रक्रिया के चलते डोपामिन, सेरोटोनिन आदि के स्तर पर बदलाव महसूस किये जाते हैं।Image Source-Getty
इसको लेकर मिथक

मिथक - आम लोगों में यह अवधारणा घर कर गई है कि जो लोग डिप्रेशन के मरीज हैं, उनके लिए ही शाक ट्रीटमेंट होता है। खासकर जो लोग आत्महत्या करने के लिए उतारू रहते हैं, उन पर यह ट्रीटमें आजमाया जाता है। जबकि ऐसा नहीं है।Image Source-Getty
किसे दी जाती है

तथ्य - डिप्रेशन के ज्यादातर मरीज शाक ट्रीटमेंट तक पहुंच ही नहीं पाते। सामान्यतः डिप्रेशन के मरीजों का साइकोथैरपी और दवाओं से ही इलाज किया जाता है। शाक थैरेपी कई बार बाइपोलर डिस्आर्डर से पीडि़त मरीजों के लिए भी दिया जाता है। इसके अलावा सिज़ोफ्रेनिया के मरीजों पर भी शाक ट्रीटमेंट कभी कभार आजमाया जाता है।Image Source-Getty
यह केवल पागलों के लिए नहीं है

मिथ्य - यह पता लगाना बेहद मुश्किल है कि प्रति वर्ष कितने लोग शाक ट्रीटमेंट से अपना इलाज कराते हैं। वास्तव में लाखों लोग इस इलाज का सहारा लेते हैं और ठीक होते हैं। लेकिन सामान्यतः लोगों को लगता है कि शाक ट्रीटमेंट सिर्फ और सिर्फ पागलों के अस्पतालों में ही होता है। जबकि ऐसा नहीं है। शाक ट्रीटमेंट का इतिहास काफी ड्रामेटिक रहा है। यही कारण है कि हर कोई यही मानता है कि शाक ट्रीटमेंट खतरनाक है। इससे मरीज को प्रताडि़त किया जाता है। जबकि ऐसा कतई नहीं है।Image Source-Getty
शॉक थेरेपी से पहले

तथ्य - सच्चाई यह है कि मरीज को शाक ट्रीटमेंट देने से पहले एनेस्थेसिया दिया जाता है ताकि उसे तकलीफ का कम से कम एहसास हो। इसके अलावा मसल रिलैक्सर भी दिया जाता है जो कि शाक थैरेपी की तकलीफ को कुछ कम करने में सहायक होता है।मिथ्य - कुछ लोग शाक ट्रीटमेंट को किसी दुर्घटना की प्रचार प्रसार करते हैं। दरअसल कुछ लोगों को लगता है कि शाक ट्रीटमेंट से मरीज के हाथ टूटने का डर होता है। साथ ही दांत भी प्रभावित होते हैं। जबकि इसका सच्चाई से कोई लेना देना नहीं है।Image Source-Getty