टैनिंग से जुड़े मिथ और उनकी सच्चाई
इस स्लाइडशो में टैनिंग से जुड़े मिथ और उनकी सच्चाई के बारे में विस्तार से जानते हैं, कि किस हद तक सूर्य की किरणें हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचाती है या फिर शरीर की जरूरत के मुताबिक हमारे पास विटामिन डी दूसरे विकल्प क्या हैं।

समुद्र के किनारे घंटों धूप में बैठने का सुख सभी लेना चाहते हैं। पश्चिमी देशों में धूप सेंकने का प्रचलन अधिक है, और यह प्रचलन अब पूरी दुनिया में फैल गया है। लोग घंटों बिना परवाह के घंटों एंटी-अल्टावॉयलेट क्रीम लगाकर धूप सेंकते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं सूर्य की हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट किरणों से टैनिंग के साथ मेलानोमा यानी स्किन कैंसर का खतरा भी रहता है। इस स्लाइडशो में टैनिंग से जुड़े मिथ और उनकी सच्चाई के बारे में विस्तार से जानते हैं, कि किस हद तक सूर्य की किरणें हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचाती है या फिर शरीर की जरूरत के मुताबिक हमारे पास विटामिन डी दूसरे विकल्प क्या हैं।

सच: सूर्य की हानिकारक किरणों से बचने के लिए लोग सन बेड का प्रयोग करने लगे हैं और लोगों को ऐसा लगता है कि इसके कारण मेलानोमा यानी स्किन कैंसर का खतरा बिलकुल नहीं होता है। वॉशिंगटन में हूए एक शोध की मानें तो इंडोर टैंनिग के कारण भी मेलानोमा के बढ़ने की संभावना रहती है। इस शोध में यह भी कहा गया कि त्वचा कैंसर के पारिवारिक इतिहास वाले किसी भी तरह की टैनिंग से बचें। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल, बोस्टन द्वारा किये गये शोध की मानें तो केवल 35 की उम्र से पहले आप टैनिंग बेड का प्रयोग करते हैं तो मेलानोमा के होने की संभावना 75 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।

सच: अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मोटोलॉजी में 2008 में छपे एक शोध की मानें तो, 'मेलानोमा और अल्टावॉयलेट किरणों के बीच संबंध है।' लेकिन स्किन कैंसर के लिए केवल सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट किरणें ही जिम्मेदार नहीं होती हैं, पारिवारिक इतिहास वालों में भी मेलानोमा फैलने का खतरा रहता है।

सच: हड्डियों को मजबूत रखने के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी है। लोगों को लगता है कि शरीर के लिए जरूरी विटामिन डी केवल सूर्य की किरणों से मिलता है। सुबह के वक्त केवल 2 10 मिनट बिना सनस्क्रीन के सूर्य की रोशनी में बैठना फायदेमंद है। लेकिन यह नुकसानदेह भी हो सकती हैं। इसलिए शरीर के लिए जरूरी विटामिन डी आप विटामिन डी सप्लीमेंट और विटामिन डी युक्त दूसरे आहारों से भी प्राप्त कर सकते हैं। डेयरी उत्पादों में विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में होता है। इससे टैनिंग का खतरा भी नहीं रहेगा।

सच : टैनिंग चाहे जिस तरह से (इंडूर या आउटडोर) हो वह त्वचा को प्रभावित करती है। चिकित्सकों की भाषा में कहा जाये तो टैनिंग के कारण अल्ट्रावॉयलेट किरणें त्वचा पर जो असर करती हैं उसे 'फोटो एजिंग' या झुर्रियां कहते हैं। जर्मन में हुए एक शोध की मानें तो कुछ लोगों लगातार 3 महीने तक सन बेड का प्रयोग किया, इसके कारण उनको फोटो एजिंग की समस्या हुई। दरअसल अल्ट्रावॉयलेट किरणों के कारण कोशिकायें प्रभावित होती हैं और परिणाम स्वरूप डीएनए म्यूटेशन होता है और त्वचा उम्रदराज दिखने लगती है।

अगर आप धूप सेंकना चाहते हैं तो कुछ बातों को ध्यान में रखें, इससे स्किन कैंसर और त्वचा में होने वाली दूसरी समस्याओं से बचाव हो सकता है। धूप में निकलने से 30 मिनट पहले एसपीएफ 15 युक्त सनस्क्रीन लगायें, ये आपकी त्वचा को सूर्य की हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचायेंगे। हर 2 घंटे बाद सनस्क्रीन का प्रयोग करते रहें। जब धूप बहुत अधिक हो यानी सुबह 10 बजे से दोपहर बाद के 3 बजे तक धूप में जाने से बचें। ऐसे कपड़े पहने जिससे पूरा शरीर ढंका हो।
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