कोलोन और इससे संबंधित समस्याएं

बड़ी आंत छोटी आंत के अंतिम छोर से शुरू होती है। बड़ी आंत के अस्तर से निकलने वाला श्लेष्मा मल को आगे जाने के लिए चिकना बनाता है। जब इस आंत में गड़बड होती है, तो इससे इरिटेबल बाउल सिंड्रोम, तथा उम्र से संबंधित विकृतियां, जैसे बवासीर कब्ज तथा डिवैर्टिकुलोसिस आदि हो सकते हैं। तो चलिये कोलोन और इससे संबंधित समस्याओं के बारे में विस्तार से जानें। Image courtesy: © Getty Images
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम

आईबीएस यानी आंतों में होने वाली अकड़न से पेट में दर्द बना रहता है। इरीटेबल बाउल सिंड्रोम आंतों का रोग है जिसमें पेट में दर्द, बेचैनी व मल-निकास में दिक्कत आदि होती हैं। इसे स्पैस्टिक कोलन, इरिटेबल कोलन, म्यूकस कोइलटिस आदि नामों से भी जाना जाता है। इससे न केवल व्यक्ति को शारीरिक तकलीफ महसूस होती है, बल्कि उसकी पूरी जीवनशैली प्रभावित हो जाती है। यह आंतों को खराब तो नहीं करता लेकिन उसके संकेत देने लगता है। पुरुषों की तुलना में महिलाएं इस बीमारी से अधिक प्रभावित होती हैं।Image courtesy: © Getty Images
इरीटेबल बाउल सिंड्रोम के कारण व लक्षण

डॉक्टर बताते हैं कि यह समस्या संवेदनशील कोलन या कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता के कारण हो सकती है। इसके अलावा कई बार पेट में बैक्टीरियल संक्रमण का वजह से भी आईबीएस हो सकता है। इसमें कब्ज या दस्त की शिकायत हो सकती है, पेट में मरोड़ उठना, पेट में दर्द और सूजन तथा बार-बार डायरिया आदि इसके लक्षण होते हैं। Image courtesy: © Getty Images
इरीटेबल बाउल सिंड्रोम का इलाज

आईबीएस की कोई चिकित्सा नहीं है। लेकिन कुछ उपचार अवश्य हैं जिनकी मदद से इसके लक्षणों से छुटकारा पाया जा सकता है। जैसे भोजन में परिवर्तन, दवा तथा मनोवैज्ञानिक सलाह आदि। इसके अलावा कोई दवाई शुरू करने से पहले जीवनशैली और खान-पान में बदलाव बेहद जरूरत होती है। जैसे रोज व्यायाम करें, तनाव से बचें, कैफीनयुक्त चीजें कम लें, तले-भुने और मसालेदार भोजन न खाएं तथा प्रोबायोटिक प्रोडक्ट्‌स जैसे दही आदि अधिक लें। Image courtesy: © Getty Images
डायरिया

यह तब सबसे अधिक होता है जब वायरस के कारण आंतों में सूजन हो जाती है और भोजन और तरल पदार्थ ठीक से कोलोन की दीवारों से अवशोषित नहीं करते। डायरियम में अक्सर ऐंठन और सूजन, पेट में पानी व कभी कभी विस्फोटक दस्त आदि होते हैं। Image courtesy: © Getty Images
पीलिया

जब त्वचा रंगरहित तथा आंखें पीली दिखती हैं तब यह कोलोन में खराबी का लक्षण हो सकता है। इसमें रक्त में बिलीरूबिन (एक पित्त वर्णक) का स्तर बढ़ जाता है, जिस कारण शरीर से व्यर्थ पदार्थ बाहर नहीं निकल पाते हैं।Image courtesy: © Getty Images
कब्ज

कोलोन में समस्या होने पर कब्ज हो सकती है। जिसमें व्यक्ति को कड़े मल का अनुभव होता है जो कि मुश्किल से निष्कासित हो पाता है। यदि आहार तंत्र के माध्यम से खाद्य धीरे चले व बृहदान्त्र ज्यादा पानी अवशोषित करे तो इसके परिणामस्वरूप मल सूखा हो जाता है। साथ ही इसका निष्कासन कठिन हो सकता है। इसमें आंत्र निकासी की अधूरी अनुभूति होती है। Image courtesy: © Getty Images
होमोरोइड (बवासीर)

यदि आप कभी गर्भवती हो चुकी हैं तो इसके होने की आशंका अधिक होती है। ऐसे में मलाशय या इसके आसपास त्वचा, धमनियों और नसों में सूजन होती है। ऐसा मल त्याग के दौरान तनाव या गर्भावस्था के दौरान इन नसों पर दबाव बढ़ाने से हो सकता है। इसके लक्षणों के रूप में आप स्टूल पास करने में खून या उस क्षेत्र के आसपास खुजली या जलन महसूस कर सकती हैं। Image courtesy: © Getty Images
कोलोन कैंसर

कोलोन और मलाशय का कैंसर बड़ी आंत या मलाशय में होता है। जब यह कैंसर अधिक बढ़ जाता है तो कोलोन या फिर मलाशय में कैंसर के ट्यूमर बन जाते हैं। कोलोन का सबसे अंतिम हिस्सा मलाशय कहलाता है, यहीं से मल बाहर निकलता है। मल में खून आना, लगातार दस्त या कब्ज, पेट के निचले भाग में दर्द तथा लंबे समय तक मल सामान्य से अधिक मोटाई में आना मलाशय में ट्यूमर होने के कारण हो सकते हैं।Image courtesy: © Getty Images
कोलोन हाईड्रोथेरेपी

कोलोन हाईड्रोथेरेपी बड़ी आंत (कोलोन) को साफ करने तथा विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने के लिए किया जाता है। बड़ी आंत में फंसे गैस, बलगम और विषाक्त पदार्थों को दूर करने का यह एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। इस वैकल्पिक चिकित्सा में फिल्टर किया तथा निष्फल और तापमान विनियमित पानी आंत में भेजा जाता है। जिस पानी में आंत में फंसे विषाक्त एवं लम्बे अरसे से जमे हुए पदार्थ घूल जाते हैं और पानी में मिलने के बाद बाहर निकल जाते हैं। Image courtesy: © Getty Images