डिप्रेशन से जुड़े 6 मिथकों के बारे में जानें
अगर आपके घर में कोई सदस्य डिप्रेशन से ग्रस्त है तो उसका साथ दें, क्योंकि यह घातक भी हो सकता है। इस स्लाइडशो में डिप्रेशन से जुड़े मिथकों के बारे में जानते हैं।

यूं तो डिप्रेशन यानी तनाव आजकल की लाइफस्टाइल में दिनचर्या की तरह हो गया है। वर्तमान में लोगों की जीवनशैली ऐसी हो गई है कि डिप्रेशन उसका हिस्सा बनता जा रहा है। डिप्रेशन को मानसिक समस्या से जोड़कर भी देखा जा सकता है। डिप्रेशन को लेकर लोगों में कई विचार हैं और ज्यादातर इसके बारे में अनजान है और इसके कारण ही उनके मन में भ्रम भी है। डिप्रेशन कम समय के लिए भी हो सकता है और यह किसी को लंबे समय तक अपनी गिरफ्त में रख सकता है। अगर आपके घर में कोई सदस्य डिप्रेशन से ग्रस्त है तो उसका साथ दें, क्योंकि यह घातक भी हो सकता है। इस स्लाइडशो में डिप्रेशन से जुड़े मिथकों के बारे में जानते हैं।

सच - डिप्रेशन को लेकर लोगों के मन में यह पहला मिथक है कि यह दुख का ही पर्यायवाची है यानी यह उसी का एक पकार है। यानी अगर किसी को तनाव है तो उसे दुख का अभास हो रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि तनाव दुख से कहीं अधिक गहरा है। दुख क्षण मात्र के लिए हो सकता है, लेकिन तनाव लंबे समय तक किसी को अपनी गिरफ्त में रख सकता है। डिप्रेशन का असर इंसान की सामान्य दिनचर्या पर पूरी तरह से पड़ता है।

सच - डिप्रेशन का एक ही नाम है सकता है, लेकिन इसका असर लोगों पर एक जैसा नहीं पड़ता। यह विभिन्न लोगों में अलग-अलग प्रभाव डालता है। इंसान की शख्सियत के हिसाब से इसके लक्षण दिखाई देते हैं। दूसरे इंसान को इस बात का पता नहीं चल सकता कि जिसे डिप्रेशन है वह कैसा अनुभव कर रहा है। तनाव को लेकर आपके शरीर की जो प्रतिक्रिया होती है, उसी आधार पर उसके लक्षण अलग-अलग होते हैं। मसलन, किसी को तनाव के दौरान चिढ़चिढ़ापन अधिक होता या नींद नहीं आती है तो किसी को अधिक नींद आती है या पेट खराब हो सकता है।

सच - जो इंसान से डिप्रेशन में है जरूरी नहीं कि उसके लक्षण दिखे। सामान्यतया तनाव के जिन लक्षणों - अनिद्रा, वजन बढ़ने की बात हम करते हैं वे हमें तुरंत नहीं पता चलते हैं। कई बार तो स्ट्रोक या हार्ट अटैक के बाद हमें तनाव के इन लक्षणों का पता चल पाता है। ऐसे में अपना नियमित जांच करायें जिससे शरीर में होने वाले बदलाव की जानकारी आपको हो।

सच - लोगों को ऐसा लगता है कि हर गम की दवा शराब है, जबकि सच्चाई इसके विपरीत है। अगर आप डिप्रेशन में है और आराम पाने के लिए नशे का सहारा लेते हैं तो आप पूरी तरह से गलत हैं। चिकित्सकों की मानें तो शराब के सेवन से शरीर में कार्टिजोल नामक हार्मोन बनता है जो तनाव को बढ़ाता है। ऐसे में तनाव होने पर शराब फायदेमंद नहीं बल्कि घातक है।

सच - इंसान के जीवन में घटने वाली हर बुराई का कारण तनाव नहीं होता है। और न ही तनाव बुरा होता है, क्योंकि अगर हमें किसी काम को लेकर तनाव है तो वह बुरा नहीं है। तनाव हमें काम को पूरा करने की प्रेरणा भी देता है। कई शोधों में यह साबित हो चुका है कि जीवन में अगर तनाव न हो तो नीरसता भी जल्द घर करती है।

सच - लोगों के दिमाग में यह भी भ्रम है कि जो इंसान डिप्रेशन में है वह सामान्य जीवन यापन नहीं कर रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि डिप्रेशन पर काबू पाया जा सकता है। अगर किसी को काम को लेकर डिप्रेशन है तो काम पूरा होने के बाद वह सामान्य हो जाता है। यदि किसी को प्यार में धोखा मिलने की वजह से डिप्रेशन है तो दोबारा लोगों के संपर्क में आने से वह सामान्य हो जाता है।
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