कत्थे के औषधीय गुण

पान खाने के शौकीन लोग तो कत्‍थे के बारे में जानते ही होंगे। कत्‍थई रंग के दिखने वाले इस कत्‍थे के बिना, पान का स्‍वाद अधूरा है। जी हां कत्था भारत में एक सुपरिचित वस्तु है, जो मुख्य रूप से पान में लगाकर खाने के काम आता है। कत्था 'खैर' नामक वृक्ष की भीतरी कठोर लकड़ी से निकाला जाता है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि पान में लगाया जाने वाला यह कत्‍था औषधीय गुणों से भरपूर होता है। आइए कत्‍था के औषधीय गुणों के बारे में जानकारी लेते हैं। Image Source : bettawan.com
दांतों के लिए फायदेमंद

कत्‍थे को मंजन में मिला कर दांतों व मसूड़ों पर रोज सुबह शाम मलने से दांत की लगभग सभी बीमारियां दूर हो जाती हैं। थोड़े से कत्‍थे को सरसों के तेल में घोल कर रोजाना 2 से 3 बार मसूडों पर मलने से दांतों के कीड़े नष्‍ट होते हैं साथ ही इनसे खून आना तथा मुंह की बदबू भी दूर हो जाती है।
मलेरिया का बुखार

मले‍रिया के बुखार में भी सफेद कत्‍था काफी फायदेमंद होता है। मलेरिया के बुखार से पीड़ि‍त व्‍यक्ति को उपचार के लिए 10 ग्राम सफेद कत्‍था को नीम के रस में मिलाकर छोटी-छोटी गालियां देने से फायदा होता है। लेकिन ध्‍यान रहें कि यह गोली बच्‍चों और गर्भवती को नहीं देनी चाहिए।
गले में खराश और खांसी में लाभकारी

300 मिलीग्राम कत्‍थे का चूर्ण मुंह में रख कर चूसने से गला बैठना, आवाज रूकना, गले की खराश और छाले आदि दूर हो जाते हैं। इसका दिन में 5 से 6 बार प्रयोग करना चाहिये। साथ ही दिन में तीन बार कत्था, हल्दी और मिश्री 1-1 ग्राम की मात्रा में मिलाकर चूसने से खांसी दूर होती है। इसके अलावा लगभग 360 से 720 मिलीग्राम कत्‍था सुबह-शाम चाटने से लाभ मिलता है। इससे सूखी खांसी भी दूर हो जाती है।
कत्थे के प्रयोग में सावधानी

आयुर्वेद के अनुसार कत्‍था, ठंडा, कड़वा, तीखा व कसैला होता है। यह ओरल स्‍वास्‍थ्‍य, मोटापा, खांसी, चोट, घाव, रक्‍त पित्‍त आदि को दूर करने में मदद करता है। लेकिन इसके इस्‍तेमाल के दौरान इस बात का ध्‍यान रखना चाहिए कि इसके अधिक सेवन से किडनी के स्‍टोन की समस्‍या हो सकती है। इसलिए कत्‍थे के चूर्ण का सिर्फ 1 से 3 ग्राम तक ही प्रयोग करना चाहिए। साथ ही सफेद कत्‍था औषधि और लाल कत्‍था पान में प्रयोग किया जाता है। पान में लगाया जाने वाला कत्‍था बीमारियों को दूर करने के लिये प्रयोग में न लायें। Image Source : neurosoup.com