हार्ट अटैक के जोखिम कारक

आधुनिक जीवनशैली और छोटी उम्र में काम के तनाव के कारण युवाओं में हृदयरोग की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है। जहां एक ओर फास्ट फूड और कोला संस्कृति के बढ़ते जोर से मधुमेह के रोगियों की संख्या बढ़ी हैं वहीं उच्च रक्तचाप, रक्त में अधिक कोलेस्ट्रोल, मोटापा आदि की समस्या भी बढ़ी है। वहीं सुस्त जीवन शैली, असंतुलित आहार, धूम्रपान व शराब का सेवन भी दिल के रोगों के लिए जिम्मेदार रिस्क फैक्टर हैं। तो चलिये जानें ऐसे ही कुछ हार्ट अटैक के प्रमुख जोखिम कारक व इनसे बचाव के तरीके। Images courtesy: © Getty Images
आनुवांशिक जोखिम

आनुवांशिक तौर पर भारतीयों में हमेशा से ही दिल के रोग होने का जोखिम अधिक होता है। यही काराण है कि अमेरिकियों के मुकाबले भारतीयों को दिल के रोग होने का जोखिम लगभग 3 से 4 गुना तक ज्यादा होता है। यह आंकडा चीन के लोगों की तुलना में 6 गुना व जापानियों की तुलना में 20 गुना तक अधिक होता है। Images courtesy: © Getty Images
शहरी युवाओं को अधिक जोखिम

कई अध्ययनों से पता चला है कि 45 वर्ष से कम आयु के भारतीयों में एक्यूट मायोकार्डियल इंफ्राक्शन (एएमआई) के 25 से 40 प्रतिशत मामले दर्ज किए जाते हैं। हृदय संबंधी रोगों के मामले शहरी युवाओं में ग्रामीण युवाओं की तुलना में अधिक होते हैं। इस अंतर का कारण अधिक जोखिम भरी जीवनशैली, दूषित पर्यावरण और आधुनिक खानपान हैं। Images courtesy: © Getty Images
उच्च रक्तचाप

उच्च रक्तचाप भी हृदय रोग की संभावनाएं बढ़ा देता है। हालांकि नियमित व्‍यायाम से रक्‍तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है। किसी काम या मेहनत वाली गतिविधि के दौरान हृदय की मांसपेशियां शरीर की ऑक्सीजन की जरूरत के हिसाब से तेजी से धड़कने लगती हैं। रक्त वाहिकाओं, जो दिल को ऑक्सीजन से लबरेज रक्त की आपूर्ति करती हैं, भी लचीली हो जाती हैं और बेहतर तरीके से फैल पाती हैं, और रक्त वाहिका बेहतर ढ़ंग से काम कर पाती हैं और उच्च रक्तचाप की संभावना भी कम हो जाती है। Images courtesy: © Getty Images
मोटापा

मोटापे से ग्रस्त होने का सीधा संबंध हृतद रोगों के साथ है। जिन लोगों के पेट पर चर्बी ज्यादा होती है, उन्हें इसका जोखिम अधिक होता है। व्यायाम अतिरिक्त कैलोरी को कम करने में मदद करता है और नियमित व्यायाम करने से पूरे शरीर की वसा कम होती है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। पेट पर चर्बी कम होने से सीएचडी, डायस्लिपिडेमिया, टाईप 2 डीएम और उच्च रक्तचाप के जोखिम कारकों को कम करने में भी मदद मिलती है। Images courtesy: © Getty Images
हृदय रोग पर रोकथाम के लिए क्या करें

हृदय रोग के जोखिम कारक को नियंत्रित या कम किया जा सकता है। जोखिम कारकों जैसे नमक के सेवन, धूम्रपान, हाई एलडीएल (बुरा) कोलेस्ट्रॉल के स्तर या कम एचडीएल (अच्छा) स्तर, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता, अनियंत्रित मधुमेह, विटामिन सी और बी काम्प्लेक्स की कमी और उच्च तनाव के स्तर को नियंत्रित आदि को नियंत्रित कर जोखिम कम किया जा सकता है।Images courtesy: © Getty Images
स्वस्थ डाइट अपनाएं

स्वस्थ डाइट एक स्वस्थ जीवनशैली का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। एक दिन की डाइट में 25 से 35 प्रतिशत से अधिक कैलोरी न लें। फाइबर लें, फाइबर पाचन तंत्र को कोलेस्ट्रॉल सोखने से रोकता है। ओटमील, जई का चोकर, सेब, केले, संतरे, नाशपाती, आलू बुखारे, काबुली चने, राजमा, दाल, लोबिया आदि में प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। इसके अलावा खाने में नमक की मात्रा को संतुलित करें। Images courtesy: © Getty Images
शारीरिक तौर पर सक्रिय रहें

नियमित रूप से शारीरिक श्रम हृदय से जुड़ी कई बीमारियों (जैसे उच्च रक्तचाप, अत्यधिक वजन) के जोखिम को काफी हद तक कम कर देता है। यही नहीं, इससे मधुमेह का खतरा भी कम होता है। लिफ्ट के बजाए रोज तेज-तेज चलें, सीढियां चढ़ें या कोई आउटडोर खेल खेलें। जॉगिंग, स्विमिंग, बाइकिंग, वॉकिंग आदि एरोबिक व्यायाम भी हृदय को स्वस्थ बनाते हैं। एक सप्ताह में 150 मिनट अर्थात तकरीबन ढाई घंटे के हल्के व्यायाम या 75 मिनट अर्थात सवा घंटे के कड़े व्यायाम की सलाह दी जाती है। साथ ही तनाव से दूर रहें, क्योंकि शओध बताते हैं की तनाव हार्ट अटैक होने के मुख्य कारणों में से एक होता है। Images courtesy: © Getty Images
धूम्रपान व शराब आदि के सेवन से बचें

धूम्रपान दिल का दौरा पड़ने का एक बहुत बड़ा कारण है। प्राप्त आंकड़े के मुताबिक 65 साल से कम उम्र के एक तिहाई लोगों में क्रोनिक हर्ट डिजीज का मुख्य कारण धूम्रपान होता है। वहीं शराब का सेवन भी हृदय रोगों का एक बड़ा कारण होता है। Images courtesy: © Getty Images