महिला सशक्तिकरण पर बनी टॉप फिल्में
इन फिल्मों ने महिलाओं की वीरता और संघर्ष को बयां किया है।

महिलाओं पर बनी फिल्में
पुरुष प्रधान भारतीय समाज में बालीवुड ने कुछ ऐसी फिल्में बनायी हैं जो महिलाओं पर केंद्रित हैं। इन फिल्मों ने महिलाओं को सशक्त बनाया है। फिल्मों में यह दिखाया है कि अगर महिला चाहे तो दृढ़ इच्छाशिक्त के दम पर अपना लोहा मनवा सकती है और यह दिखा सकती है कि वह अबला नही सबला है। आइए हम आपको कुछ इस प्रकार की फिल्मों के बारे में जानकारी देते हैं।

लज्जा (2001)
तस्लीमा नसरीन के उपन्यास पर बनी इस फिल्म में कई ज्वलंत मुद्दों को उठाया गया। इस फिल्म में बॉलीवुड की कई बड़ी अभिनेत्रियों ने साथ काम किया। माधुरी दीक्षित (जानकी), ने रंगमंच की कलाकार की भूमिका निभाई जो पुरुष दोगलेपन को स्वीकार करने से इंकार कर देती है। रेखा ने ग्रामीण महिला का किरदार निभाया जो स्त्री अधिकारों को लेकर काफी सजग होती है। लज्जा में लैंगिक भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई गई थी।

डोर (2006)
आशया टाकिया ने इस फिल्म में एक राजस्थानी बहू का किरदार निभाया था। वह लड़की जो कम उम्र में ही विधवा हो जाती है और उसे किस तरह अपनी जिंदगी बितानी पड़ती है, इसे आशया ने बखूबी जिया। सामाजिक बंधनों से जूझता एक युवा हृदय, उसकी उमंगे और सारी कशमकशों के बीच इस फिल्म की कहानी रची गयी।

अस्तित्व (2000)
इस फिल्म में तब्बू ने शानदार अभिनय किया था। वह अपने पति की हर मांग को पूरा करती है। उसका पति अन्य स्त्रियों के साथ अपने संबंधों के बारे में बड़ी बेशर्मी से बताता है। लेकिन, जब उसे यह पता चलता है कि उसकी पत्नी का अपने संगीत टीचर के साथ आकस्मिक शारीरिक संबंध रह चुका है, तो वह इसे बर्दाश्त नहीं कर पाता। इसके बाद तब्बू नैतिकता के नाम पर उसके दोगलेपन को दुत्कार कर चली जाती है।

चक दे इंडिया (2007)
खेलों पर हमेशा से ही पुरुषों का आधिपत्य रहा है। लेकिन, चक दे इंडिया इसके उलट थी। इस फिल्म में लड़कियों की हॉकी टीम पुरुषों को कड़ी चुनौती देती है। और आखिर में एकजुट होकर विश्व चैंपियनशिप जीकर आती है। इस फिल्म ने बेशक कई लड़कियों को खेलों में आने के लिए प्रोत्साहित किया।

मदर इंडिया (1957)
एक महिला जो अपने दम पर अपना परिवार पालती है। हर तरह की मुसीबतें झेलती है और इसके बावजूद कभी नाउम्मीद नहीं होती, यही थी मदर इंडिया की कहानी। समाज के लिए वह अपने बेटे को भी गोली मारने से नहीं चूकती। नरगिस ने इस फिल्म में जो भूमिका निभाई वह आज तक मिसाल है। इस फिल्म में उनके किरदार को कई चुनौतीपूर्ण फैसले लेने पड़ते हैं और वह बिना किसी भेदभाव के हमेशा सच का साथ देती है।

नो वन किल्ड जेसिका (2011)
जेसिका लाल हत्याकांड पर बनी इस फिल्म में महिलाओं की जिंदादिली और साहस को दिखाया गया। फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह शक्तिशाली लोग अपने अपराध को छिपाने के लिए अपनी ताकत का दुरुपयोग करते हैं। आम आदमी को न्याय पाने के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। आखिरकार दो महिलाएं, जेसिका की बहन सबरीना (विद्या बालन) और टीवी रिपोर्टर मीरा (रानी मुखर्जी) ने जेसिका को इंसाफ दिलाने का जिम्मा उठाया, लेकिन उनकी राह इतनी आसान नहीं थी।

कहानी (2012)
इस फिल्म की कहानी हीरोइन (विद्या बालन) के इर्दगिर्द घूमती है। फिल्म में विद्या ने एक सीक्रेट एजेंट की भूमिका निभाई जो देश के गद्दार और उसके पति के कातिल को तलाशने के मिशन पर निकली है। इस फिल्म में विद्या के सशक्त अभिनय ने आलोचकों और प्रशंसकों दोनों को प्रभावित किया।

डर्टी पिक्चर (2011)
दक्षिण भारतीय अभिनेत्री सिल्क स्मिता 80 के दशक में बी-ग्रेड फिल्मों की सुपरस्टार थी। अपनी कामुक अदाओं और अंग प्रदर्शन के जरिये उन्होंने दर्शकों को दीवाना बना दिया था। उनकी जिंदगी में सब कुछ तेजी से घटा और 36 वर्ष की आयु में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।

इंग्लिश विंग्लिश (2012)
इंग्लिश विंग्लिश शशि (श्री देवी) नामक महिला की कहानी है जिसे अंग्रेजी नही आती है। जिसके कारण उसकी बारह वर्ष की लड़की पैरेंट्स-टीचर मीटिंग में अपनी मां को ले जाने में शर्मिंदगी महसूस करती है। घर पर बच्चे और पति अक्सर उसका मजाक बनाते है क्योंकि अंग्रेजी शब्दों का वह गलत उच्चारण करती है। लेकिन शशि न्यूयार्क में अपनी बहन के घर रहकर अंग्रेजी की कोचिंग क्लासेज की और अंग्रेजी सीख गई। फिल्म में महिला के दृढसंकल्प को दिखाने की कोशिश की गई है।
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