झूठ बोलना

जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो माता-पिता को उनके साथ दोस्त की तरह पेश आना चाहिए। क्योंकि इस उम्र में बच्चों को डांटना कई मायनों में गलत होता है। बावजूद इसके कई पेरेंट्स ऐसा करते हैं। जिसके चलते जवान बच्चे अपने परिजनों से छोटी-छोटी बात पर झूठ बोलते हैं। क्या आपने कभी सोचा कि बच्चे आखिर ऐसा क्यों करते हैं? आइए जानते हैं वो 6 क्या कारण हैं जिनसे बच्चे झूठ बोलने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
ज्यादा रोक-टोक

कई पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ जरूरत से ज्यादा रोक-टोक करते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि अगर वो ऐसा नहीं करेंगे तो उनके बच्चे हाथ से निकल जाएंगे और गलत संगत में पड़ जाएंगे। जबकि ऐसा नहीं है। पेरेंट्स का बच्चों के साथ बात-बात पर रोक-टोक करना उन्हें झूठ बोलने के लिए मजबूर करता है।
आपसी लड़ाई

कई माता-पिता ऐसे भी होते हैं जो छोटी-छोटी बातों पर आपस में लड़ते रहते हैं। जैसे उदाहरण के लिए बच्चा अपने बड़ों को किसी टूटे हुए बर्तन या कहीं बाहर जाने के लिए झगड़ा करता हुआ देखता है तो उसके मन में एक अलग तरह का डर बैठ जाता है। बच्चा सोचता है कि अगर उसने सच बोला या बीच में कुछ बोला तो उसकी पिटाई हो जाएगी। ऐसे में बच्चा अकेले रहना और झूठ बोलना ही पसंद करता है।
बात-बात पर शक करना

आजकल के अभिभावकों को ये बात समझनी बहुत जरूरी है कि आपके और बच्चों के समय में बहुत अंतर है। आजकल के बच्चे एक प्राईवेसी चाहते हैं। अगर वो गलत नहीं है तब भी उन्हें अपनी बात किसी के साथ शेयर करना या सफाई देना अच्छा नहीं लगता है। लेकिन कई पेरेंट्स इस बात को समझने के बजाय अपने बच्चों की छोटी-छोटी बातों पर शक करते हैं और अप्रत्यक्ष रूप से उन्हें ताने मारते हैं। आजकल के बच्चों का झूठ बोलने के पीछे ये सबसे बड़ा कारण है।
विश्वास की कमी

माता-पिता और बच्चों के बीच में जब विश्वास की कमी हो जाती है तो बच्चे को सिर्फ झूठ ही अपना हमदम दिखता है। कई पेरेंट्स ऐसे होते हैं जो बच्चों की बात के बजाय बाहर वालों की बातों पर विश्वास करते हैं। जबकि पेरेंट्स को सिर्फ अपने बच्चे पर विश्वास करना चाहिए। अगर आपका बच्चा झूठ भी बोल रहा है तब भी आप उसके सामने ऐसे व्यक्त करो कि आप उसकी बात से बिल्कुल सहमत है। जब आप 1-2 बार ऐसा करेंगे तो आपके बच्चे को खुद ही अहसास होगा कि वो गलत कर रहा है और उसे आपसे सच ही बोलना चाहिए।
पढ़ाई का दबाव

यह कोई आज की नहीं बल्कि बहुत पुरानी समस्या है कि पेरेंट्स बिना बात के अपने बच्चों पर पढ़ाई का दबाव डालते हैं। पेरेंट्स को ये समझने की सख्त जरूरत है कि अब वह वक्त नहीं है जब सिर्फ पढ़ाई के दम पर ही कामयाब हो सकते हैं। आजकल आजीविका के लिए कई तरह के विकल्प हैं। जिस चीज में आपके बच्चे की रूचि है उसे उसी चीज में ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित करें। फिर देखिए आपका बच्चा कैसे दोस्त की तरह आपको अपने दिल की छोटी-छोटी बात बताएगा और अपने जीवन में सफल होकर दिखाएगा।