ल्यूकोरिया

योनि मार्ग से आने वाले सफेद और चिपचिपे गाढ़े स्राव को ल्यूकोरिया कहते हैं। ल्यूकोरिया या श्वेत प्रदर स्वयं में एक आम बीमारी है लेकिन नजरअंदाज करने पर यह गंभीर रूप ले सकती है। भारत में ही नहीं बल्कि सभी देशों में हर आयु की महिलाएं इस रोग से ग्रस्त पाईं जाती हैं।
क्या है ल्यूकोरिया

ल्यूकोरिया का मतलब है महिलाओं की योनि से श्वेत, पीले, हल्के नीले या हल्के लाल रंग के चिपचिपे और बदबूदार स्राव का आना। यह स्राव अधिकतर श्वेत रंग का ही होता है इसलिए इसे श्वेत प्रदर के नाम से भी जाना जाता है। यह समस्या महिलाओं में पीरियड्स से पहले या बाद में एक या दो दिन सामान्य रूप से होती है। महिलाओं में इसकी मात्रा, स्थिति और समयावधि अलग-अलग होती है।
ल्यूकोरिया के कारण

ल्यूकोरिया से अविवाहित युवतियों को भी सामना करना पड़ता। इस रोग का मुख्य कारण पोषण की कमी और योनि के अंदर 'ट्रिकोमोन्स वेगिनेल्स' नामक बैक्टीरिया की मौजूदगी है। इसके अलावा योनि की अस्वच्छता, खून की कमी, गलत तरीके से सेक्स, अत्यधिक उपवास, बहुत अधिक श्रम, तीखे, तेज मसालेदार और तले हुए खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन, योनि या गर्भाशय के मुख पर छाले, बार-बार गर्भपात होना या कराना, मूत्र स्थान में संक्रमण, शरीर की कमजोर रोगप्रतिरोधक क्षमता और डायबिटीज के कारण योनि में सामान्यतः फंगल यीस्ट नामक संक्रामक रोग के कारण यह समस्या होती है।
ल्यूकोरिया के सामान्य लक्षण

ल्यूकोरिया के सामान्य लक्षणों में कमजोरी का अनुभव, हाथ-पैरों और कमर-पेट-पेडू में दर्द, पिंडलियों में खिंचाव, शरीर भारी रहना, चिड़चिड़ापन, चक्कर आना, आंखों के सामने अंधेरा छा जाना, भूख न लगना, शौच साफ न होना, बार-बार यूरीन, पेट में भारीपन, जी मिचलाना, योनि में खुजली आदि शामिल है। मासिक धर्म से पहले, या बाद में सफेद चिपचिपा स्राव होना इस रोग के लक्ष्ण हैं। इससे रोगी का चेहरा पीला हो जाता है। इसके अलावा स्थिति तब और भी कष्टपूर्ण बन जाती हैं जब धीरे-धीरे जवान महिला भी इस समस्या के कारण ढलती उम्र की दिखाई देने लगती है।
ल्यूकोरिया के प्रकार

ल्यूकोरिया सामान्यत: पांच प्रकार का होता है। पहला साधारण, जो पीरियड्स के साथ आता है और चला जाता है। दूसरा, यौन संबंध से होने वाला इंफेक्शन के कारण होता है। तीसरा बच्चेदानी के अंदर दाना होने के कारण होता है। चौथा बच्चेदानी के कैंसर के कारण होता है और पाचवां बच्चेदानी के निकाल जाने के बाद बच्चेदानी के मुंह में होनेवाली लाली की वजह से होता है।
ल्यूकोरिया की जांच

महिलाओं को 30 वर्ष की उम्र के बाद हर पांच साल में एक बार पैपस्मीयर जांच अवश्य करवानी चाहिए। ल्यूकोरिया से पीड़ित महिलाओं को इसकी नियमित जांच कराते रहना चाहिए। जिससे यह सामान्य बीमारी गंभीर रूप न ले सके। अगर आप ल्यूकोरिया का इलाज करवा रही हैं तो उन दिनों में शारीरिक संबंध न बनाएं।
ल्यूकोरिया से बचाव
ल्यूकोरिया की समस्या से बचने के लिए शारीरिक स्वच्छता का ध्यान रखें। इसके लिए नहाते समय योनि मार्ग को अच्छी तरह पानी से साफ करना चाहिए। मूत्र त्याग करने के पश्चात भी योनि को पानी से धो लेना चाहिए। सूती अंतःवस्त्र पहनें और दिन में दो बार अंतर्वस्त्र बदलें। मासिक चक्र के समय स्वच्छ व स्टरलाइज पैड का प्रयोग करें।
ल्यूकोरिया की रोकथाम के लिए पौष्टिक आहार लें

ल्यूकोरिया की रोकथाम करने के लिए अपने शरीर को निरोग रखने का प्रयास करें। पौष्टिक भोजन लें, समय पर भोजन खाएं और अपने खाने के प्रति लापरवाही न बरतें। साथ ही भोजन में अधिक तेज मिर्च मसालों के प्रयोग से बचें, इसके अलावा भोजन में आयरन, सलाद और हरी सब्जियों का सेवन भरपूर मात्रा में करें।
डॉक्टर की सलाह जरूर लें

गर्भपात हेतु दवाइयों का अधिक सेवन न करें। और अपनी इच्छा से किसी भी दवा का सेवन न करें, न ही बिना डाक्टरी सलाह के कुछ भी योनि मार्ग में रखें। यौन रोग पीड़ित पुरुष से यौन संबंध न बनाये। और अगर आपके पति यौन रोग से पीड़ित है तो उसका उपचार करवाएं। उपचार के दौरान और ठीक होने तक यौन संबंध न बनाएं।